हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि अश्विन मास में पड़ने वाले पितृ पक्ष के 16 दिनों के दौरान हमारे मृत पूर्वज धरती पर आते हैं और अन्न व जल ग्रहण करते हैं। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने हेतु तर्पण करने का विधान है। इस पूरे पक्ष के दौरान मृत पूर्वजों और पितरों का विधि विधान से श्राद्ध करके उनकी आत्मा की शांति की मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। इसलिए इस पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष की प्रत्येक तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है।
इसी आधार पर पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर मृत माताओं, सुहागिन स्त्रियों और अज्ञात महिलाओं के श्राद्ध का विधान बताया गया है। इस तिथि को मातृ नवमी तिथि के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस तिथि में यदि मृत महिलाओं का श्राद्ध विधि विधान से करने के साथ तर्पण भी किया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए विश्व के जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल कब पड़ रही है मातृ नवमी और इस दिन किस तरह से मृत माताओं का श्राद्ध करना उपयुक्त होगा।
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उपर्युक्त विधान से मृत पूर्वज महिलाओं एवं दिवंगत माताओं का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और जन कल्याण भी होता है।
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Image Credit:free pik
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