देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने में मोहनदास करम चंद गांधी ने अहम योगदान दिया था। उन्होनें लोग प्यार से बापू कहकर पुकारते थे। महात्मा गांधी ना सिर्फ एक बड़े राजनेता थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का मार्ग प्रशस्त किया। महात्मा गांधी देश की महिलाओं को पुरुषों के बराबर स्थान देते थे और उन्होंने महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए महत्वपूर्ण काम किए।
गांधी जी का मानना था कि देश को आगे बढ़ाने के लिए समाज का तरक्की करना बहुत जरूरी है और इसका एक अहम हिस्सा है महिलाओं को सशक्त बनाना। गांधी जी के प्रेरक विचारों से महिलाओं को बल मिला और उनके नेतृत्व में बड़ी संख्या में महिलाएं देश को आजाद कराने की राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुई थीं।
महिलाओं के बारे में गांधी जी ने कहा था, 'महिलाओं को कमजोर कहना अपराध है और यह पुरुषों का महिलाओं पर अन्याय है।'आज गांधी जंयती है। आज ही के दिन यानी 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन के खास मौके पर आज हम आपको महात्मा गांधी के महिलाओं को प्रेरित करने वाले विचारों के बारे में बताएंगे।
महात्मा गांधी ने उस समय में महिलाओं के हक में आवाज उठाई, जब हमारे समाज में कई तरह की कुरीतियां व्याप्त थीं। उस समय के पुरुष प्रधान समाज में दहेज प्रथा और बाल विवाह प्रचलित थे। महिलाओं का औसत जीवनकाल महज सिर्फ 27 साल का होता था। उस समय में डिलीवरी के दौरान अक्सर महिलाओं की मौत हो जाती थी। महिलाओं की शिक्षा का स्तर भी तब सिर्फ 2 फीसदी था। उस समय पर्दा प्रथा भी प्रचलित थी। महिलाओं को किसी भी पुरुष के सामने पर्दे में रहने का रिवाज था। अकेले बाहर जाने की मनाही थी, साथ में किसी पुरुष का जाना अनिवार्य माना जाता था। ये सभी चीजें महिलाओं को आगे बढ़ने से रोक रही थीं।
गांधी जी ने महसूस किया कि जब तक महिलाओं को इन बंधनों से आजाद नहीं किया जाएगा, उन्हें शिक्षित ना किया जाए तब तक समाज प्रगति नहीं कर सकता। इसीलिए उन्होंने अपने भाषणों में महिलाओं को हमेशा महत्वपूर्ण स्थान दिया और उन्हें देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाने के लिए इंस्पायर किया।
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महात्मा गांधी से पहले जितने भी विचारक हुए उन्होंने सिर्फ महिलाओं की दयनीय दशा ही दिखाई, लेकिन महात्मा गांधी ने महिलाओं की छवि को बदलने के लिए व्यापक प्रयास किए। महात्मा गांधी का कहना था कि महिलाओं पुरुषों के हाथ का खिलौना नहीं हैं और ना ही उनकी प्रतिद्वंद्वी हैं। महिलाओं और पुरुषों में आत्मा एक ही है और उनकी समस्याएं भी एक जैसी हैं। महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। महात्मा गांधी ने महिलाओं के शिक्षित होने पर सबसे ज्यादा जोर दिया क्योंकि यही वो चीज थी जो महिलाओं को पुरुषों के बराबर ले जा कर खड़ा कर सकती थी।
गांधी जी का मानना था कि महिलाएं ज्ञान, विनम्रता, धैर्य, त्याग और विश्वास की मूर्ति हैं। महात्मा गांधी ने जिस अहिंसा का उपदेश दिया, उसमें सहनशक्ति का होना अनिवार्य है और यह चीज महिलाओं का एक प्रमुख गुण है। गांधी जी ने द्रौपदी, सावित्री, सीता और दमयंती जैसी रोल मॉडल्स का जिक्र करके लोगों को बताया कि महिलाएं कभी कमजोर नहीं हो सकतीं। गांधी जी ने महिलाओं के लिए कई इंस्पायरिंग बातें कहीं हैं, लेकिन उनकी एक चीज बहुत हद तक महिलाओं की शक्ति बताती है, 'पत्नी पुरुष की गुलाम नहीं है बल्कि उसकी साथी है, उसकी खुशियों और गम में बराबर की साथी है और पति की तरह ही उसे भी अपनी राह चुनने का हक है।'
गांधी जी के कई प्रेरक विचारों को आज भी सार्वजनिक जीवन में उल्लेख किया जाता है। अगर महिलाएं उनके इन विचारों को आत्मसात करें तो उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की ऊर्जा मिलती रहेगी और वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित रहेंगी।
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