नजरें पितृसत्ता की बुरी, पर्दा करें औरतें, बदलने चाहिए महिलाओं को लेकर ये नजरिये

महिलाएं आज चांद तक पहुंच चुकी हैं। लेकिन इन्हें लेकर समाज का नजरिया अभी भी पुराना ही है। 

women in veil

'अरे थोड़ा लंबा घूंघट लो, सामने तुम्हारे जेठ जी खड़े हैं', 'लड़की ने छोटे कपड़े पहने थे, इसलिए उसके साथ गलत काम हुआ।' ऐसे ना जाने कितने जुमले हैं जिनका इस्तेमाल अक्सर ही पितृसत्ता सामाजिक दबाव बनाने या अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए हमेशा से इस्तेमाल करती रही है। भारतीय समाज के अलावा भी कई देश ऐसे हैं जिनका महिलाओं के प्रति नजरिया नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है। वही चीजें जो महिलाओं के लिए शर्म का पर्याय मानी जाती हैं, पुरुषों के लिए उनके पौरुष की निशानी कहीजाती हैं।

देश काफी तेजी से बदल रहा है लेकिन भारतीय समाज में पुरुषों को लेकर ये सोच कि, 'घी का लड्डू तो टेढ़ा भी भला होता है' अब भी वहीं की वहीं है। गलती किसी की भी लेकिन इसका भुगतान अक्सर महिलाओं को ही करना पड़ता है। वक्त के साथ महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हुईं तो उन्होंने जाना कि घर की देहरी से बाहर भी एक दुनिया है, जो चारदीवारियों से ज्यादा खूबसूरत और संभावनाओं से भरी हुई है। लेकिन महिलाएं आज भले ही हर ऊंचाइयां छू रही हैं। लेकिन घर के अंदर उनसे उम्मीद यही की जाती है कि वो पितृसत्ता के बनाए हुए खांचे में एकदम फिट बैठें। ये कुछ बातें इसकी एक बानगी पेश करती है।

उम्र बढ़ती जा रही है शादी कब करोगी?

हायर एजुकेशन के बाद जॉब करने के कारण ज्यादातर महिलाएं घर बसाने में थोड़ा समय लेना चाहती हैं। ऐसे में अक्सर उन्हें अपने करीबियों के ही तानों का सामना करना पड़ता है। हालांकि भारत मैट्रिमोनी के एक पुराने सर्वे में यह बात सामने आई कि 95 फीसदी लोगों ने ये माना कि बढ़ती उम्र का स्वभाव या मैच्योरटी का कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में उनके लिए ये बात मायने नहीं रखती। लेकिन ये भी इतना ही बड़ा सच है कि इस बात से अधिकतर भारतीय पुरुषों का सरोकार बहुत कम है।

मां जैसा खाना नहीं बनाती?

women

शादी के बाद ज्यादातर मर्द अपनी पत्नियों को ताने देते हैं कि यार तुम मां की तरह या मेरे बहन की तरह खाना नहीं बना पाती या कैसा खाना बनाती हो तुम? जो स्वाद मां के हाथ में है वो तुम्हारे हाथों में कहां? अब सोचने वाली बात ये है कि आपकी पत्नी भी आपकी तरह ही अपनी जॉब को 8 से 9 घंटे का समय देकर आ रही है। तो ऐसे में खाना केवल वो ही क्यों बनाएं जबकि भूख आप दोनों को लगती है और पेट आप दोनों के पास है।

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हालांकि सारे पुरुष ऐसे नहीं हैं, कुछ आटा गूंथने या साल में 2 से 3 बार किचन में खाना बनाने में अपने पार्टनर की हेल्प भी करते हैं। लेकिन ये मदद कम एहसान ज्यादा महसूस होता है। महिलाएं रोज खाना बनाती हैं जिसका कोई भी हिसाब ना तो समाज और ना ही उनके पार्टनर के पास होता है। लेकिन अगर पुरुष किचन में 1 दिन भी जाकर आटा गूंथ दे या खाना बना दें तो क्या मजाल है कि वो फोन पर अपने दोस्तों, पत्नी के रिश्तेदारों को बढ़ा चढ़ाकर अपनी उब्लाब्धि की दास्तान ना बताए। पूरा कुनबा जान जाएगा कि जनाब ने आज खाना बनाया। वहीं तो कुछ उसे जोरू का गुलाम होने का ताना भी मार देंगे।

बच्चे कब पैदा करोगी?

women with kid

शादी हुई नहीं कि लड़की के मायके वालों से लेकर ससुराल वाले और दोस्त तक उससे पूछने लग जाते हैं कि गुड न्यूज़ कब दे रही हो? ऐसा लगता है मानो वो औरत ना होकर बच्चे पैदा करने की कोई फैक्ट्री है। अगर लड़की की उम्र ज्यादा हुई तो पति उसको बायोलॉजिकल क्लॉक का हवाला देकर उस पर बच्चे पैदा करने का दबाव बनाता है। रिश्ते में प्यार हो ना हो लेकिन बच्चा सबको चाहिए। वहीं अगर रिलेशनशिप सही नहीं चल रहा तो लड़की के घरवाले उसे अचूक नुस्खा समझाते हैं कि बच्चे पैदा कर लो सब सही हो जाएगा। लेकिन कोई ये नहीं समझ पाता कि जो व्यक्ति अपने पार्टनर के लिए जिम्मेदार नहीं है वो बच्चे की रिस्पॉन्सिबिलिटी कैसे उठाएगा।

मेड क्यों रखोगी?

women and men

अधिकतर पुरुष अपनी पत्नियों से ये कहते दिख जाएंगे कि मेड के हाथ का खाना अच्छा नहीं होता, वो अच्छा काम नहीं करती, थोड़ा सा तो काम है तुम क्यों नहीं कर लेती, मेरी मां तो घर का सारा काम अकेले करती थीं। कुल मिलाकर देखा जाए तो इन्हें सुंदर, गृहकार्य दक्ष, पढ़ी-लिखी और कामकाजी बीवी चाहिए। आज के समय में महिलाएं वर्किंग है ऐसे में ये सवाल ही नहीं उठता कि वो घर आकर काम करें। और अगर मेड के हाथ का खाना पसंद नहीं है तो आप खुद क्यों नहीं बना लेते, रही बात मां की तो क्या आपकी मां वर्किंग लेडी थीं? अगर आपका जवाब हां तो भी जनाब ये बिलकुल जरूरी नहीं है कि आपकी बीवी आपकी मां की तरह हो। हर इंसान का अपना अलग नेचर होता है और उसका अपना एक आसमान होता है। केवल पति या बॉयफ्रेंड बन जाने से आपको किसी की निजता का हनन करने का हक नहीं मिल जाता।

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image credit: shutterstock

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