herzindagi
mahakumbh 2025 know about prayagwals who arrange puja pind daan rituals of devotees

Mahakumbh 2025 Prayagwal: क्या होता है महाकुंभ में प्रयागवाल? क्यों होती है अहम भूमिका? कई लोगों को नहीं पता होगी यह बात!

महाकुंभ 2025 का आयोजन कुछ ही दिनों में होने जा रहा है। यह धार्मिक आयोजन प्रयागराज में होगा। महाकुंभ में प्रयागवाल का विशेष महत्व होता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-12-31, 15:16 IST

कुंभ मेला भारत का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए एकत्र होते हैं। इस विशाल मेले में पंडों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे श्रद्धालुओं को धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा विधियों और मंत्रों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे श्रद्धालु सही तरीके से पूजा पाठ कर सकें और पुण्य अर्जित कर सकें। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। आपको बता दें, प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में पंडों को विशेष रूप से 'तीर्थराज' और 'प्रयागवाल' के नाम से जाना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से इस लेख में प्रयागवाल के बारे में जानते हैं।

महाकुंभ में प्रयागवाल कौन होते हैं?

prayagra panda

प्रयागराज की धार्मिक परंपराओं में प्रयागवालों का अहम योगदान रहा है। सदियों से ये तीर्थ गुरु के रूप में पूजे जाते रहे हैं और धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करते आए हैं। एक समूह के रूप में रहने के कारण इन्हें प्रयागवाल कहा गया। ये उच्च कोटि के ब्राह्मण हैं, जिनमें सरयूपारी और कान्यकुब्ज दोनों शामिल हैं। इतना ही नहीं, प्रयागराज के पंडों के पास देश-विदेश में रहने वाले भारतीयों के पूरे परिवार का 500 साल पुराना रिकॉर्ड है। वे जानते हैं कि कौन किसका यजमान है और कहां से आया है। ये पंडे बहुत पुराने समय से ही प्रयागराज आने वाले लोगों का रिकॉर्ड रखते आए हैं।

आपको बता दें, इस साल का महाकुंभ मेला प्रयागराज में मनाया जा रहा है. यह धार्मिक आयोजन 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी, 2025 तक चलेगा. इस दौरान देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए आएंगे. हिंदू धर्म के अनुसार, इस पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि प्रयागराज को कुंभ मेले का प्रमुख स्थल माना जाता है।

इसे जरूर पढ़ें - Maha Kumbh Kab Hai 2025: कब से लग रहा है महाकुंभ? जानें क्या हैं शाही स्थान की तिथियां और महत्व

ग्रंथों के अनुसार, प्रयागराज में अस्थिदान और पिंडदान का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि इन संस्कारों को पूरा करने से हमारे पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है। प्रयागराज की पवित्र भूमि पर किए गए ये संस्कार और अधिक फलदायी होते हैं। प्रयागराज में रहने वाले प्रयागवाल ही इन संस्कारों को संपन्न कराते हैं। महाकुंभ और माघ मेले में आने वाले तीर्थयात्रियों के रहने की सारी व्यवस्था प्रयागवाल करते हैं।

इसे जरूर पढ़ें -  Maha Kumbh 2025: महाकुंभ लगाने के लिए कैसे चुना जाता है स्थान?

प्रयागवाल को कैसे पहचानें?

flag

प्रयागवाल अपना निशान या झंडा एक ऊंचे बांस पर लगाते हैं ताकि तीर्थयात्री उन्हें आसानी से पहचान सकें। प्रयागवाल के झंडे तीर्थयात्रियों के लिए एक मार्गदर्शक के समान हैं।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- HerZindagi

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।