नेटफ्ल्किस जल्द ही Wild Wild Country नाम से एक सीरिज शुरू करने वाला है जो ओशो और उसके कंट्रोवर्सियल 'सेक्स पंथ' की यात्रा के बारे में दिखाएगा। इस कार्यक्रम में अच्छे और बुरे, सहिष्णुता व असहिष्णुता और हिंसा व नैतिकता के बीच जो धुंधली रेखा होती है उसे दिखाया जाएगा। इसके साथ ही यह सीरिज हमें शीला के बारे में भी बताने वाली है जो ओशो की पूर्व सेक्रेटरी थीं और इंडिया की सबसे कंट्रोवर्सियल महिला रह चुकी हैं।
तो चलिए जानते हैं कि कौन है मां आनंद शीला?
रजनीश ओशो का जन्म 11 दिसंबर, 1931 को हुआ। इनका नाम 20वीं सदी के आध्यात्मिक गुरुओं में प्रमुखता से लिया जाता है। ओशो 20वीं सदी के ऐसे इंसान थे जिसने सभी धर्मों का खंडन करते हुए एक अलग ही पंथ चलाया था। जब ओशो... ओशो बने तो उनकी सबसे करीबी थी शीला जो उन्हें काफी प्रिय थीं। इन्हें मां आनंद शीला भी कहते हैं।
मां आनंद शीला ने अपने गुरू ओशो पर भी एक बात लिखी है। हालांकि, मां आनंद शीला पर ओशो के आश्रम में घपला करने का आरोप भी लगा था जिसके कारण उन्हें आश्रम निकाल दिया गया था। मां आनंद शीला पर 55 मिलियन डॉलर का घपला करने के आरोप लगा था। जिसके कारण उन्हें 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था।
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ओशो पर किताब
जेल से बाहर आने के बाद आनंद शीला ने किताब 'डोंट किल हिम! द स्टोरी ऑफ माई लाइफ विद भगवान रजनीश' लिखी। 2013 में आई इस किताब में उन्होंने कई दावे किए। इस पर उन्होंने ओशो पर कई सारे यौन शोषण के आरोप भी लगाए थे।
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घर के नजदीक था ओशो का घर
मां आनंद शीला के चाचा के घर के करीब ही ओशो का घर था जिसके कारण उन्हें ओशो को जानने का मौका मिला। एक दिन शीला ओशो के घर गई और उनसे जाकर मिली। ओशो सफेद कपड़ों में में थो जिनके ठीक पीछे एक छोटी सी टेबल थी जिस पर कई किताबें पड़ी थीं। उनकी कुर्सी के सामने दो पलंग थे। वह जब मुझसे मिले तो कुछ क्षणों तक उन्होंने मुझे अपने सीने से लगाए रखा। उस समय मुझे एक अद्भुत व आनंद का अनुभव हुआ। इसके बाद आहिस्ता-आहिस्ता उन्होंने मुझे छोड़ा और फिर मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरे सिर को अपनी गोद में रखा। इसके बाद उन्होंने मेरे पिता से बातचीत शुरु की। इन सारी बातों का खुलासा मां आनंद शीला ने अपनी ओशो की किताब में किया था।
आश्रम में होती थी सेक्स की बातें
किताब 'डोंट किल हिम! द स्टोरी ऑफ माई लाइफ विद भगवान रजनीश' में उन्होंने लिखा है कि ओशो के आश्रम में अध्यात्म के लोगों को खुलेआम सेक्स पर बातें करने की अनुमति थी। आश्रम में खुलेपन के नाम पर लोग सेक्स की बातें करते थे और वहां शारीरिक रिश्ते बनाने पर कोई पाबंदी नहीं थी। आश्रम में सबसे ज्यादा सेक्स पर ही चर्चा की जाती थी।
इस किताब में मां आनंद शीला ने लिखा है कि आश्रम का हर संन्यासी एक महीने में करीब 90 लोगों के साथ सेक्स करता था। ओशो अपने भक्तों को बताते थे कि सेक्स की इच्छा को दबाना कई कष्टों का कारण हो सकता है, इसलिए खुलकर सेक्स करना चाहिए।
था लग्जरी का शौक
ओशो को लग्जरी का शौक था और उनके पास 90 लग्जरी रॉल्स रॉयस गाड़ियां थीं। ओशो ने लगभग 15 साल तक लगातार सार्वजनिक जीवन बिताया लेकिन अचानक से वर्ष 1981 में मौन धारण कर लिया था। उसके बाद उनके द्वारा रिकॉर्डेड सत्संग और किताबों के आधार पर प्रवचन सुनाए जाते थे। वर्ष 1984 से उन्होंने सीमित तरीके से सार्वजनिक सभाएं करना शुरू किया। जून, 1981 में आचार्य रजनीश अपने इलाज के लिए अमरीका गए, जहां ओरेगन सिटी में उन्होंने ‘रजनीशपुरम’ की स्थापना की।
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