आज के समय में भले ही एकल परिवारों का चलन बढ़ गया हो, लेकिन वास्तव में जो गुण बच्चे को अपने दादा-दादी, नाना-नानी से मिलते हैं, वह आप चाहकर भी बच्चे को नहीं दे सकते। एक परिवार अगर बरगद का पेड़ है तो grandparents उसकी जड़ की तरह होते हैं, जो पूरे घर को मजबूती की डोर से बांधकर रखते हैं। इतना ही नहीं, घर के मासूम से बच्चे grandparents से कई गुण अनजाने ही मिल जाते हैं। इसलिए तो कहा जाता है कि हर घर में बड़ो का आशीर्वाद जरूर होना चाहिए।
आमतौर पर लोगों की सोच होती है कि अगर वह अकेले रहेंगे तो बेहद खुश रहेंगे क्योंकि इस तरह अपनी मर्जी से लाइफ जी पाएंगे।
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हालांकि उनकी यह सोच पूरी तरह सही नहीं है। जरूरी नहीं है कि आप संयुक्त परिवार में ही रहें, लेकिन घर में grandparents का होना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं दादा-दादी के होने से बच्चों को क्या-क्या फायदे मिलते हैं-
इमोशनल इंटेलिजेंस
आज के समय में जब अधिकतर कपल्स वर्किंग होते हैं। पिता के साथ-साथ मां भी बच्चों को पूरी तरह समय नहीं दे पातीं और बच्चों की परवरिश ज्यादातर केयरटेकर के हाथों ही होती है तो ऐसे में बच्चे इमोशनली उतने स्ट्रॉन्ग नहीं होते और ना ही वह पूरी तरह अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस कर पाते हैं। जबकि घर में दादा-दादी होने से बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। उन्हें एक फैमिली का माहौल मिलता है।
इतना ही नहीं, ययह भी देखा जाता है कि जो बच्चे अपने दादा-दादी के साथ क्वालिटी टाइम बिताते हुए बड़े होते हैं, वह अपने इमोशन को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते हैं, जबकि जो बच्चे अकेले रहते हैं या फिर आया की मदद से बड़े होते हैं, उनमें यह गुण नहींं होता।
अच्छी सीख
भले ही आप बच्चे के लिए कितना भी अच्छा सोचें, लेकिन जो सीख आपके माता-पिता बच्चे को दे सकते हैं, वह आप कभी नहीं दे सकते। इसके कई कारण होते हैं। सबसे पहले तो स्ट्रेसफुल लाइफ के कारण आप खुद ही दिमागी तौर पर शांत नहीं होतीं और जरा सी बात पर झुंझला जाती हैं। इसके अलावा दादा-दादी का बच्चों को कोई भी बात बताने व सिखाने का तरीका काफी अलग होता है।
वह बच्चों के साथ शांत बैठकर उनके मनोभावों को समझते हुए ही कुछ भी समझाते हैं। चूंकि उन्हें जीवन का अनुभव आपसे कहीं अधिक है, इसलिए वह अपने अनुभवों के आधार पर बच्चे को अच्छी सीख देते हैं।
अकेलापन नहीं
जिस घर में grandparents होते हैं, वहां पर बच्चा खुद को कभी भी अकेला महसूस नहीं करता। भले ही आप ऑफिस गई हों, लेकिन जब बच्चा घर लौटता है तो उसे घर में दादा-दादी मिलते हैं। जिसके साथ वह अच्छा समय बिताता है। इतना ही नहीं, इस तरह बच्चे की दादा-दादी के साथ बॉन्डिंग भी अच्छी बनती है और वह फैमिली वैल्यूज के बारे में जानता, सीखता व समझता है। दादा-दादी के साथ वह बड़ों का आदर करना भी सीखता है।
रीति-रिवाजों की जानकारी
आज के समय में भले ही हम वक्त में आगे बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन पुरानी परंपराओं व रीति-रिवाजों की जानकारी बहुत कम लोगों को ही है और इसका एक कारण एकल परिवार होना भी है। दरअसल, घर के बड़े-बूढ़े सभी परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में जानते हैं और जब बच्चे अपने घर में उन चीजों को देखता है तो उसे पता चलता है कि किसी भी त्योहार का क्या महत्व है। उसे मनाने के पीछे का वास्तविक कारण क्या है और उस त्योहार को असल तरीके से किस तरह मनाया जाता है।
नैतिक शिक्षा
बच्चों के आचरण में नैतिकता का होना भी बेहद जरूरी है और यह नैतिक शिक्षा दादा-दादी से बेहतर कोई दूसरा नहीं दे सकता। आप अगर बच्चे के नेचर में वैल्यूज एड करना चाहेंगी तो उसे कहेंगी कि बेटा यह मत करो। लेकिन वास्तव में उस काम को क्यों नहीं करना चाहिए और उसे करने से क्या नुकसान होंगे, यह दादा-दादी से बेहतर कोई दूसरा नहीं समझा सकता।
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आपको याद है कि बचपन में आप दादी के पलंग के पास बैठकर किस तरह कहानियां सुना करते थे। दादी की वह कहानी ना सिर्फ सुनने में मजेदार होती थी, बल्कि उसके कारण जीवन की कई अच्छी सीख भी यूं ही मुफ्त में मिल जाया करती थी।
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