पैसे की जरूरत कभी भी किसी को भी हो सकती है। ऐसे में पर्सनल लोन आपकी मदद कर सकता है। कई बार लोग मेडिकल इमरजेंसी, शादी, एजुकेशन या अन्य किन्हीं कारणों की वजह पर्सनल लोन लेते हैं। यही वजह है कि पर्सनल लोन को इमरजेंसी लोन भी कहा जाता है। यह अनसिक्योर्ड लोन होता है, क्योंकि इसे लेने के लिए किसी तरह की सिक्योरिटी और ज्यादा डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत नहीं होती है। इमरजेंसी सिचुएशन में पर्सनल लोन मदद कर सकता है, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा इंटरेस्ट रेट चुकाना पड़ता है।
पर्सनल लोन में एक नहीं, बल्कि दो तरह से इंटरेस्ट रेट लगाया जाता है। ऐसे में कई बार लोग पर्सनल लोन के लिए अप्लाई तो कर देते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि उनके लोन पर कौन-सा इंटरेस्ट रेट लगाया जा रहा है और किसमें ज्यादा फायदा है। अगर आप भी पर्सनल लोन लेने के बारे में सोच रही हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। यहां हम आज पर्सनल लोन पर लगने वाले फ्लैट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट के अंतर के बारे में बात करने जा रहे हैं।
पर्सनल लोन लेने से पहले फ्लैट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट क्या है और कैसे कैलकुलेट किया जाता है, यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। क्योंकि, यह आपको नुकसान से बचा सकता है।
कैसे होता है रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट कैलकुलेट?
क्या है रिड्यूसिंग रेट?
रिड्यूसिंग रेट को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। इसमें इंटरेस्ट रेट कम होते प्रिंसिपल अमाउंट पर कैलकुलेट किया जाता है। इसे आप उदाहरण के साथ समझ सकती हैं, अगर आपने पर्सनल लोन लिया है और उसमें रिड्यूसिंग रेट चुना है तो हर महीने EMI देने पर आपका प्रिंसिपल लोन अमाउंट कम होता जाएगा और अगला इंटरेस्ट आपको बकाया अमाउंट पर ही देना होगा। रिड्यूसिंग रेट में इंटरेस्ट बकाया अमाउंट पर कैलकुलेट होता है, न की जितना पैसा उधार लिया है।
रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट सुनने में जितना आकर्षक लगता है, उतना ही इसका कैलकुलेशन मुश्किल होता है। रिड्यूसिंग रेट में इंटरेस्ट हर इंस्टॉलमेंट पर कैलकुलेट होता है।
हर इंस्टॉलमेंट पर देय इंटरेस्ट रेट = बकाया लोन अमाउंट x हर इंस्टॉलमेंट पर लागू इंटरेस्ट रेट
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क्या है फ्लैट रेट?
रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट के मुकाबले फ्लैट रेट की कैलकुलेशन आसान होती है, लेकिन यह महंगा पड़ सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि फ्लैट रेट में लोन की पूरी अवधि में प्रिंसिपल अमाउंट पर इंटरेस्ट चुकाना होता है। फ्लैट रेट को आप उदाहरण के साथ समझ सकती हैं, जैसे 5 साल के लिए 5 लाख का लोन लिया है और फ्लैट रेट चुना है जिसमें इंटरेस्ट 10 परसेंट है, तो आपकी पहली EMI जितनी है उतनी ही यह आखिरी तक भी रहेगी। लेकिन, रिड्यूसिंग रेट में ऐसा नहीं होता है। यही वजह है कि कुछ लोग रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट को फायदेमंद मानते हैं।
कैसे होता है फ्लैट रेट कैलकुलेट?
फ्लैट इंटरेस्ट रेट का कैलकुलेशन PxIxT/100 फॉर्मूला से होता है। इसमें P यानी प्रिंसिपल अमाउंट, I यानी इंटरेस्ट रेट और T यानी टाइम होता है। इसे आप आसानी से कैलकुलेट कर सकती हैं।
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फ्लैट या रिड्यूसिंग, कौन-सा इंटरेस्ट रेट हो सकता है फायदेमंद?
पर्सनल लोन में रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट फायदेमंद होता है, यह समझना बहुत आसान है। लेकिन, कई बार नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां लोगों को पर्सनल लोन पर कम इंटरेस्ट रेट के साथ फ्लैट रेट ऑफर करते हैं। वहीं, बैंकों की तरफ से पर्सनल लोन पर ज्यादातर रिड्यूसिंग रेट ऑफर किया जाता है। ऐसे में जब लोन लेने वाले लोगों को दोनों के बीच का अंतर नहीं पता होता है, तब उन्हें नुकसान हो सकता है।
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Image Credit: Freepik
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