herzindagi
how to do govardhan parikrama

Govardhan Puja 2022: जानिए क्या है गोवर्धन परिक्रमा और यह क्यों है जरूरी?

इस बार गोवर्धन परिक्रमा जरूर करें और श्री कृष्ण के साथ राधा रानी का भी आशीर्वाद प्राप्त करें। जानिए इस परिक्रमा के महत्व के बारे में। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2022-10-12, 12:52 IST

गोवर्धन परिक्रमा का एक खास महत्व है। श्रीमद्भागवत में इस बात का जिक्र है कि भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों से गोवर्धन पर्वत की आराधना करने के लिए कहा था। ऐसा माना जाता है कि आज भी इस पर्वत में श्रीकृष्ण घूमते हैं। यहां परिक्रमा करने का मतलब है राधा और श्रीकृष्ण के दर्शन करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना। उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा वृंदावन में स्थित यह पर्वत कुछ 62 फीट ऊंचा है और कहते हैं, जिसने इसकी परिक्रमा पूरी कर ली, उस पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा जरूर बरसती है।

गोवर्धन पर्वत को गिरिराज पर्वत के नाम से भी जाना जाता है और चूंकि इसे श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली में 7 दिनों तक उठाए रखा था, इसलिए ब्रजवासियों के लिए इसका महत्व और भी खास हो जाता है। इसी के उपलक्ष्य में गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई और दिवाली के अगले दिन भगवान कृष्ण को 56 दिन का भोग चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने वाले की सारी मनोकामना पूरी होती है। आज इस आर्टिकल में आपको इस परिक्रमा के बारे में चलिए सब कुछ बताएं।

क्या है इसका पौराणिक महत्व?

significance of govardhan parikrama

पूर्णिमा की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर सप्तकोसी के लाखों भक्त गिरिराज की परिक्रमा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का आशीर्वाद मिलता है। जो लोग यह परिक्रमा पूरी करते हैं, उन्हें शांति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कितनी लंबी है गोवर्धन की परिक्रमा?

यह परिक्रमा 21 किलोमीटर यानी 7 माइल्स लंबी है। यह मानसी-गंगा कुंड से शुरू होती है और भगवान हरिदेव की तीर्थ यात्रा करते हुए, यात्रा राधा कुंड गांव की ओर जाती है जहां वृंदावन रोड (वृन्दावन के इन आश्रमों में रुकने की है फ्री व्यवस्था) भक्तों को परिक्रमा पथ पर ले जाती है। इस अत्यंत पवित्र तीर्थयात्रा के रास्ते में, कई महत्वपूर्ण पवित्र स्थलों के दर्शन भी होते हैं, इनमें राधा कुंड, श्यामा कुंड, दान घाटी मंदिर, मुखारविंद, कुसुम सरोवर, रिनामोचना और पुचारी शामिल हैं।

इसे भी पढ़ें: Govardhan Puja Wishes In Hindi: गोवर्धन पूजा पर अपनों को भेजें ये चुनिंदा शुभकामनाएं और संदेश

कब शुरू करनी चाहिए परिक्रमा?

गोवर्धन, मथुरा/वृंदावन से लगभग एक घंटे की दूरी पर है। इस परिक्रमा को स्वच्छ होकर नंगे पैरों से करने की प्रथा है। आप इसे रात में भी शुरू कर सकते हैं, ताकि सूरज निकलने से पहले आप इसे पूरा कर सकें और फिर आराम से दर्शन किए जा सकें। ऐसा कहा जाता है कि इस परिक्रमा को शुरू करने से पहले मानसी गंगा में स्नान करना चाहिए और परिक्रमा करते समय आपका मन किसी भी बुरे विचार से मुक्त होना चाहिए।

कैसे किया जाना चाहिए अनुष्ठान?

how to do govardhan parikrama ritual

गोवर्धन परिक्रमा को दूध के साथ किया जाए तो यह और भी पवित्र माना जाता है। इसमें भक्त दूध वाले बर्तन या घड़े में एक छोटा सा छेद कर देता है। वहीं, उनके दूसरे हाथ में एक दूसरे पॉट में अगरबत्ती (धूप) होती है। गोवर्धन पर्वत (गोवर्धन पूजा की कथा) की इस पवित्र यात्रा के दौरान, परिक्रमा कर रहे व्यक्ति के साथ एस परिवार का व्यक्ति जरूर होना चाहिए, जो यह सुनिश्चित कर सके कि परिक्रमा समाप्त होने तक बर्तन से दूध खत्म न हो। इस यात्रा में उनका काम पॉट को दूध से भरना होता है।

इसे भी पढ़ें: Govardhan Puja 2022: इस प्रकार करें घर पर पूजा का आयोजन

यह परिक्रमा करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और यह साल भर की भी जा सकती है। हालांकि शरद पूर्णिमा और गोवर्धन पूजा में इसे करने का खास महत्व है। मन की शांति और भगवान के आशीर्वाद के लिए आप भी एक बार यह परिक्रमा करके देख सकते हैं।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आएगी। अगर यह लेख आपको पसंद आयो तो इसे लाइक और शेयर करना न भूलें। ऐसे आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Google Searches & Shutterstock

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।