herzindagi
govardhan  vrat katha

Govardhan Puja 2022: इस कथा के बिना अधूरी है गोवर्धन की पूजा

Govardhan Puja Katha: गोवर्धन पूजा को हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्व दिया जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन की कथा के बिना पूजा अधूरी होती है। 
Editorial
Updated:- 2022-10-25, 11:12 IST

हमारे देश में दिवाली के उत्सव में एक सबसे ख़ास पर्व होता है गोवर्धन का। इस दिन मुख्य रूप से गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और घर की समृद्धि का आशीष मांगा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि गोबर से बना पर्वत घर की सभी समस्याओं का निवारण करता है और सुख समृद्धि का प्रतीक होता है। यह पर्व आमतौर पर दिवाली के अगले दिन यानी कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है।

वैसे तो इस त्योहार को मनाने के पीछे कई कारण जुड़े हैं, लेकिन इसका इतिहास श्री कृष्ण की कथाओं से संबंधित होता है। इस साल दिवाली के ठीक अगले दिन सूर्य ग्रहण होने की वजह से यह पर्व 25 अक्टूबर की शाम से शुरू होकर 26 अक्टूबर की सुबह तक मनाया जाएगा।

ऐसे में उदया तिथि की मानें तो 26 अक्टूबर को ही पूजा करना शुभ होगा। ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन के दिन पूजा की पूर्ण विधि के साथ इसकी कथा पढ़नी भी अनिवार्य है। मान्यता यह भी है कि इस कथा के बिना पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें गोवर्धन पूजा की पूर्ण व्रत कथा के बारे में।

गोवर्धन पूजा की कथा

govardhan puja vrat katha

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में एक बार देवराज इंद्र को अपने ऊपर अभिमान हो गया था। इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक अद्भुत लीला रची। श्री कृष्ण में देखा कि एक दिन सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे थे और किसी पूजा की तैयारी में व्यस्त थे। इसे देखते हुए कृष्ण जी ने माता यशोदा से पूछा कि यह किस बात की तैयारी हो रही है?

कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा माता ने बताया कि इंद्रदेव की सभी ग्राम वासी पूजा करते हैं जिससे गांव में ठीक से वर्षा होती रहे और कभी भी फसल खराब न हो और अन्न धन बना रहे। उस समय लोग इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट (अन्नकूट का महत्व)चढ़ाते थे। यशोदा मइया ने कृष्ण जी को यह भी बताया कि इंद्र देव की कृपा से ही अन्न की पैदावार होती है और उनसे गायों को चारा मिलता है।

इसे जरूर पढ़ें: Govardhan Puja 2022 Date: इस साल एक विशेष मुहूर्त में होगी गोवर्धन पूजा, जानें तिथि और महत्व

इस बात पर श्री कृष्ण ने कहा कि फिर इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा होनी चाहिए क्योंकि गायों को चारा वहीं से मिलता है। इंद्रदेव तो कभी प्रसन्न नहीं होते हैं और न ही दर्शन देते हैं। इस बात पर बृज के लोग इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। यह देखकर इंद्र देव क्रोधित हुए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। इंद्रदेव ने इतनी वर्षा की कि उससे बृज वासियों को फसल के साथ काफी नुकसान हो गया।

govardhan puja  katha significance

ब्रजवासियों को परेशानी में देखकर श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को अपने गाय और बछड़े समेत पर्वत के नीचे शरण लेने के लिए कहा। इस बात पर इंद्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हो गए और उन्होंने वर्षा की गति को और ज्यादा तीव्र कर दिया। तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर विराजमान होकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इंद्र लगातार सात दिन तक वर्षा करते रहे तब ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें कृष्ण जी की पूजा की सलाह दी। ब्रह्मा जी की बात सुनकर इंद्र ने श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी पूजा करके अन्नकूट का 56 तरह का भोग लगाया। तभी से गोवर्घन पर्वत पूजा की जाने लगी और श्री कृष्ण को प्रसाद में 56 भोग चढ़ाया जाने लगा।

इसे जरूर पढ़ें: Govardhan Puja Wishes In Hindi: गोवर्धन पूजा पर अपनों को भेजें ये चुनिंदा शुभकामनाएं और संदेश

गोवर्धन पर्वत गोबर का क्यों बनाया जाता है

significance of gobar in govardhan puja

ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण को गायों से अत्यंत प्रेम था और वो गायों तथा बछड़ों की सेवा किया करते थे। यह भी माना जाता है कि गाय का गोबर अत्यंत पवित्र होता है, इसलिए इसी से गोवर्धन पर्वत बनाना और इसका पूजन करना फलदायी माना जाता है। इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और इसके चारों कोनों में करवा की सींकें लगाईं जाती हैं। इसके भीतर कई अन्य आकृतियां भी बनाई जाती हैं और इसकी पूजा की जाती है। (गोवर्धन के दिन गाय की पूजा का महत्व)

ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी गोवर्धन की इस कथा का पाठ करता है और श्रद्धा पूर्वक गाय के गोबर से बने पर्वत की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik and wallpaper cave.com, jagran.com

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।