जानें क्या रहा है चूड़ियों का इतिहास

महिलाओं के सबसे प्रिय आभूषणों में से चूड़ियां एक हैं। पर आपको यह जानकर हैरानी होगी की चूड़ियों का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों पुराना है।

kanch bangles

हाथ में पहनने वाली चूड़ियां महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण गहनों में से एक है। गोल आकार की ये चूड़िया महिलाओं के हाथों को और भी आकर्षक बना देती हैं।

यह हमें बाजार में सोने, चांदी, मेटल और कांच जैसे कई अन्य धातुओं के मिल जाती हैं। चूड़ी को सुहागन के लिए एक पवित्र निशानी माना जाता है, जिस कारण हिंदू धर्म में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। चूड़ियों का इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी किया जाता है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डिजाइनर और रंग-बिरंगी दिखने वाली चूड़ियों का महिलाओं से हजारों साल पुराना रिश्ता है।

आज के आर्टिकल में हम आपको चूड़ियाों के इतिहास के बारे में बताएंगे कि आखिर किस तरह चूड़ियां महिलाओं के जीवन का हिस्सा बने और समय के साथ ही और भी खूबसूरत होते गए।

चूड़ियों का इतिहास-

history of bangles

चूड़ियों के इस्तेमाल के साक्ष्य आज के नहीं बल्कि 2600 बी.सी के हैं। यानी कुछ 50000 साल पहले महिलाएं अपने श्रृंगार के लिए कंगन पहनती थीं।

मोहनजोदड़ो की खुदाई के दौरान बैंगल्स पहने जाने के सबूत पाए गए हैं। 1973 में ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट को खुदाई के दौरान मोहनजो-दारो में एक नवयुवती का स्टैचू मिला। जिसमें युवती ने हाथों को चूड़ियों से सजा कर रखा था, जिससे यह पता चलता है कि चूड़ियां बहुत समय पहले से महिलाओं के मनपसंद जेवरों में से एक रहा है।

इसके अलावा चूड़ियों का चलन हमें मौर्यन और रोमन एंपायर में भी देखने को मिलता है। दुनियाभर में सबसे पहली पहने जाने ज्वेलरी में से चूड़ियां एक हैं।

प्रचीन काल में चूड़ियां टेराकोटा, स्टोन, शेल और कॉपर जैसे अन्य धातुओं से बनाई जाती थीं। जिनके सबूत हमें प्राचीन सभ्यताओं की खुदाई में समय-समय पर मिलते रहे हैं। हालांकि अब इसे दुनियाभर की महिलाओं द्वारा पहना जाता है।

चूड़ियों की डिजाइन -

bangles history

हालांकि चूड़ियां ज्यादातर गोल आकार की होती हैं। पर महिलाओं में इनकी डिमांड को देखते हुए अलग-अलग डिजाइन और आकार की चूड़ियां भी बाजार में देखने के मिल रहीं है।

हर तरह की चूड़ियों के अपने महत्व हैं, जैसे कांच की चूड़ियां नई ब्याही महिलाओं के लिए शुभ मानी जाती हैं, हरी चूड़ियां पूजा और त्योहारों पर ज्यादातर इस्तेमाल की जाती हैं। मेटल की बनी रंग बिरंगी चूड़ियां नव युवतियों के हाथों में खिलकर आती हैं।

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आज के समय में चूड़ियां-

choodiyoon ki history

आज के समय में चूड़ियादुनियाभर में किसी न किसी रूप में पहनी जाती हैं। महिलाएं अब किसी एक रंग की नहीं बल्कि हजारों रंग की चूड़ियों को इकट्ठा करना पसंद करती हैं।

ताकि साड़ी के हिसाब से चूड़ियों को मैचिंग या कंट्रास्ट किया जा सके। त्योहारों और शादियों के मौकों पर महिलाओं की लंबी भीड़ हमें चूड़ियों की दुकानों पर मिल जाती है।

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चूड़ियों के लिए फेमस शहर -

bangles in india

भारत देश हमेशा से ही चूड़ियों का मुख्य बाजार रहा है। यहां ऐसे कुछ शहर हैं जो अपनी चूड़ियों की डिजाइन के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध रहे हैं।

उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद शहर उनमें से एक है। जहां आपको भारी मात्रा में कांच की चूड़ियों का उत्पादन देखने को मिलता है।

हैदराबाद का लाड बाजार दुनियाभर में अपनी खूबसूरत चूड़ियों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा पाकिस्तान देश में स्थित हैदराबाद भी कांच की चूड़ियों के कारोबार के लिए सबसे फेमस है।

अगर आप भारत में कभी फिरोजाबाद या हैदराबाद जाते हैं तो आपको यहां से चूड़ियां जरूर लेनी चाहिए। देश भर में चूड़ियों की बिक्री इन्हीं जगहों पर देखने को मिलती है।

तो यह था हमारा आज का आर्टिकल जिसमें आपको चूड़ियों से जुड़े इतिहास के बारे में पता चलता है कि किस तरह भारत में चूड़ियों का चलन शुरू हुआ। हमारा आर्टिकल अगर आपको पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

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Image Credit - wikipedia and pintrest
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