सजा तब दी जाती है जब कोई गुनाह किया जाता है....पर क्या आपने सुना है कि किसी को सिर्फ प्यार करने पर 20 साल कैद में रखा गया हो? आप सोच रहे होंगे कि यह हम क्या कह रहे हैं? पर आपने सही सुना हम बिल्कुल सही कह रहे हैं। इतिहास के अनुसार एक मुगल राजकुमारी को हिंदू राजा से इश्क हो गया था। पर बादशाह के कट्टर सोच ने मोहब्बत को दफन होना पड़ा।
जी हां, हम बात कर रहे हैं औरंगजेब की, जिसकी कट्टरता पर ढेरों किताबें और कहानियां लिखी गई हैं। ऐसी ही कट्टरता की एक कहानी लोक कथाओं में दर्ज है। वो कहानी है औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा के प्रेम की। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्यों औरंगजेब ने जेबुन्निसा को 20 साल तक कैद में रखा था।
जे़ब-अल-निसा के बारे में जानें
जे़ब-अल-निसा को जेबुन्निसा के नाम से भी जाना जाता था। यह एक मुगल राजकुमारी और मुगल बादशाह औरंगजेब की बेटी थी। उनके माता का नाम दिलरास बानो बेगम था और जेबुन्निसा दिलरास बानो बेगम की सबसे बड़ी औलाद थीं।
जेबुन्निसा एक कवित्री भी रही हैं, जिन्होंने कई तरह की शायरी भी लिखीं। कहा जाता है कि जेबुन्निसा को पढ़ने का काफी शौक था। फारसी कवि मोहम्मद सईद अशरफ से उन्होंने साहित्य का ज्ञान भी लिया था।
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किस हिंदू राजा से हुआ था प्यार
बता दें कि जेबुन्निसा को महाराजा छत्रसाल से प्यार हुआ था। कहा जाता है कि महाराजा को राजकुमारी ने बुंदेलखंड में हुए एक कार्यक्रम में देखा था। बता दें कि महाराजा छत्रसाल भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी क्षत्रिय योद्धा थे।
यह वहीं राजा हैं जिन्होंने औरंगजेब को युद्ध में पराजित किया था और बुंदेलखंड में अपना स्वतंत्र हिंदू राज्य स्थापित किया था।
औरंगजेब ने क्यों दी सजा?
औरंगजेब ने जेबुन्निसा को प्यार करने पर सजा नहीं दी थी, बल्कि एक हिंदू राजा से प्यार करने की सजा दी थी। कहा जाता है कि जब औरंगजेब को पता चला कि उनकी बेटी एक हिंदू राजा से प्यार करती है, तो बादशाह ने जेबुन्निसा को बहुत समझाया।
समझाने के बाद भी जब जेबुन्निसा नहीं मानी, तो बादशाह ने अपनी ही बेटी को दिल्ली के सलीमगढ़ किले में नजरबंद कर दिया था।
सजा के दौरान का सफर
राजकुमारी ने अपनी कैद के 20 साल बर्बाद नहीं किए। इस दौरान रानी ने कृष्ण भक्ति के ऊपर कई तरह की शायरी करने लगीं। ऐसा करने का राजकुमारी का एक ही मकसद था कि एक तो अपने पिता औरंगजेबको बताया कि कैद करने से मोहब्बत कम नहीं होती।
उन्होंने अपनी मोहब्बत को शब्दों में उतारा और कई तरह की गजलें, कई तरह के शेर और कविताओं में अपनी भावनाएं ऊतारीं। उनका संकलन राजकुमारी की मौत के बाद दीवान-ए-मख्फी के नाम से छपा।
राजकुमारी की हो गई थी मौत
अपनी जिंदगी के 20 साल कैद रहने के बाद राजकुमारी ने दम तोड़ दिया। हालांकि, सजा के दौरान राजकुमारी ने काफी शायरी और शेर लिखे। पर वो कहते हैं ना कि एक तो मोहब्बत का न मिलना और दूसरा खुद के पिता का यूं सजा देना।
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इंसान के मौत की वजह तो बनेगा ही...खैर। मौत के बाद राजकुमारी को काबुली गेट के बाहर तीस हजार बाग में दफन किया गया था। कहा जाता है कि आज इस जगह पर राजकुमारी का आत्मा जिंदा है।
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