जब हम साम्राज्य की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे दिमाग में मुगलों का काल आता है। मगर क्या आपको पता है कि हमारा इतिहास दर्जनों समृद्ध साम्राज्यों से भरा हुआ है, जिनके बारे में ज्यादातर लोग मालूम नहीं है जैसे- बंगाली साम्राज्य, समुद्रगुप्त साम्राज्य। मगर आज आप इस लेख में मराठा साम्राज्य के बारे में जानेंगे। इस साम्राज्य में काफी शक्तिशाली शासकों ने राज किया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मराठा साम्राज्य का उदय मुगल काल में दक्कन के दौरान हुआ था। कहा जाता है कि भारत में मुगल साम्राज्य को क्षीण करने में इस साम्राज्य की अहम भूमिका रही है। यही वजह है कि इतिहास के पन्नों पर मराठा साम्राज्य को बेहद खूबसूरती के रेखांकित किया गया है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं मराठा साम्राज्य से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में।
इसका साम्राज्य का आरम्भ 1674 ईसवी में शिवाजी के राज्याभिषेक के साथ हुआ था। मराठा साम्राज्य-एक नए साम्राज्य का उदय बुक में उल्लेख मिलता है कि 16वीं शताब्दी में जब आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान पर कब्जा करने के लिए छोटे-छोटे गांवों पर हमले किए, तो 17वीं शताब्दी में शिवाजी नाम का एक युवा आक्रमणकारियों से लड़ने के लिए खड़ा हुआ और स्वतंत्रता का दीपक जलाया।
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इस विजय के बाद शिवाजी महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने में कामयाब रहे। उनकी विरासत को बाद में मराठा साम्राज्य के पेशवाओं ने जारी रखा। इस दौरान कई शासकों ने राज किया। (मुगल साम्राज्य शक्तिशाली बादशाह)
इनका नाम भारतीय इतिहास के महानतम शासकों की लिस्ट में आता है। बता दें कि शिवाजी का जन्म महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में 1627 ईसवी में हुआ था। बचपन से ही शिवाजी को उनकी माता ने धार्मिक शिक्षा दी और रामायण तथा महाभारत जैसे ग्रंथों को पढ़ाया।
यही वजह है कि शिवाजी काफी धार्मिक व्यक्ति थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद एक महान योद्धा तथा रणनीतिकार बन गए। (महाराजा रणजीत सिंह की पत्नियों के बारे जानें)
वैसे तो मराठा साम्राज्य में कई राजा रहे हैं, लेकिन सबसे शक्तिशाली शासक बाजीराव थे, जिन्हें बाजीराव बल्लाल के नाम से भी जाना जाता है। यह मराठा साम्राज्य के एक सक्षम सेनापति थे, जिन्होंने पेशवा के रूप में शाहू की सेवा की थी। साथ ही साथ, यह भी कहा जाता है कि बाजीराव ने अपने 20 साल के सैन्य करियर में कभी कोई लड़ाई नहीं हारी।
मराठा साम्राज्य की विफलता का सबसे बड़ा कारण एकता की कमी और राज्यों द्वारा निजी सेनाओं का समर्थन करने की कमी है। एक समय के बाद मराठा साम्राज्य में आपस में बहस होने लगी थीं।
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साथ ही, जब 1818 में तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों समाप्त हो गया था।
इसके अलावा और भी रहे हैं जिन्होंने मराठा शासनकाल में एक अहम भूमिका निभाई थी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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