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जब नाचते-नाचते मरने लगे सैकड़ों लोग, जानिए यूरोप के सबसे प्रसिद्ध डांसिंग प्लेग के बारे में

यूरोप का डांसिंग प्लेग कुछ ऐसा था कि 500 साल बाद भी उसका रहस्य नहीं सुलझ पाया। आखिर नाचते-नाचते लोग कैसे मरने लगे?
Editorial
Updated:- 2022-12-28, 12:42 IST

इतिहास की कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जिनके बारे में ना तो विज्ञान समझा पाता है और ना ही किसी धर्म में उसकी परिभाषा होती है। ऐसी घटनाएं मानव इतिहास में शामिल हो जाती हैं और उनके बारे में सिर्फ कहानियां ही बनती हैं। ऐसी ही एक घटना थी डांसिंग फीवर उर्फ डांसिंग प्लेग की। ये वो घटना थी जो 500 साल से रहस्य ही बनी हुई है कि भला कोई कैसे नाचते-नाचते मरने लगता है। डांसिंग प्लेग एक ऐसी बीमारी थी जिसके बारे में वैज्ञानिक अलग-अलग थ्योरी बताते हैं, लेकिन फिर भी उसकी जानकारी नहीं दे पाते हैं।

आज हम बात कर रहे हैं इसी डांसिंग प्लेग की जिसने 1518 में सभी को डरा दिया था। ये अनोखी बात थी कि एक लड़की ने नाचना शुरू किया और आधे से ज्यादा गांव वाले उसके पीछे हो लिए। ये लोग कई दिनों तक नाचते रहे और फिर नाचते-नाचते थकान से मर गए।

कहां फैला था डांसिंग प्लेग?

ये डांसिंग प्लेग Strasbourg, Alsace में फैला था जो मौजूदा समय में फ्रांस का हिस्सा है। उस दौरान ये रोमन एम्पायर का हिस्सा हुआ करता था और ये प्लेग एक दो दिन नहीं बल्कि पूरे तीन महीने चला था। जुलाई 1518 से लेकर सितंबर 1518 के बीच क्या हो रहा था इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं थी।

dancing fever of europe

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कितने लोग आए थे इस डांसिंग प्लेग की चपेट में?

माना जाता है कि उस दौर में करीब 50 से लेकर 400 लोगों तक इसका हिस्सा बन गए थे। जिन लोगों की मौत हुई उनमें से कुछ तो हफ्तों तक नाचते रहे थे। सत्य आंकड़ा क्या था इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स मानती हैं कि इस प्लेग ने हर दिन कम से कम 15 लोगों की जान ली थी उस इलाके में और अन्य रिपोर्ट्स कहती हैं कि जिन लोगों की मौत हुई थी वो डांस करते हुए ही मरे थे ये कंफर्म नहीं है, लेकिन जो भी हो अपने आखिरी समय में कई लोग नाचते रहे थे।(क्लियोपेट्रा के बारे में जानें)

dancing girl in europe

कैसे शुरू हुआ था डांसिंग प्लेग?

बात सन 1518 के जुलाई महीने की है जब फ्राऊ नामक एक लड़की अपने घर में नाचना शुरू करती है। दिन कौन सा था ये किसी को नहीं पता, लेकिन उसने कई घंटों तक बेहिसाब नाचना शुरू कर दिया। वो नाचने में इतना मगन हो गई कि अपने घर से बाहर निकल आई। उसने गली में नाचना शुरू कर दिया और उसके बाद जो हुआ वो बेहद अजीब था।(डांस हो सकता है डिप्रेशन दूर करने का तरीका)

फ्राऊ नाचती जा रही थी और लोग उसे देख रहे थे। ये आश्चर्य की बात थी कि उसे देखकर उसके दोस्त, रिश्तेदार और आस-पड़ोस वाले भी नाचने लगे। अचानक उस समय भीड़ जुटने लगी और देखते ही देखते एक हुजूम नाचने लगा।

ये पागलपन चलता रहा और नाचते-नाचते फ्राऊ सहित कई लोगों की मौत हो गई। 30 से अधिक लोग इस प्लेग का शिकार हो गए और आस-पास के इलाकों में हड़कंप मच गया।

dancing plague of europe

इतने लोगों की मौत के बाद भी ये सिलसिला जाकी रहा और उस दौर में कई नीम-हकीम जैसे लोगों ने डांस करने वाले लोगों का इलाज करने की कोशिश की लेकिन लोग असफल रहे। एक के बाद एक ये सिलसिला बढ़ता गया और हर थोड़े दिन में नाचने की वजह से मौत होने लगी।

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जादू-टोना और शैतान का साया या फिर कोई मनोरोग?

जहां लोग आज मनोविज्ञान को लेकर ज्यादा बात नहीं करते हैं और जागरूकता की कमी है तो सोचिए 1518 में क्या हाल होगा। लोगों को पहले लग रहा था कि फ्राऊ पागल हो गई है, लेकिन जब ये सिलसिला रुका नहीं तब इसे जादू-टोना या फिर किसी शैतान का साया कहा गया। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर इवान क्रोसियर ने इसपर रिसर्च की थी और इसे मंथ ऑफ हिस्टीरिया का नाम दिया गया था।

एक और प्रोफेसर टिमोथी जोन्स ने इसका एक कारण बताने की कोशिश की थी। उनके अनुसार फ्रांस में उस दौरान मौसम की मार बहुत ज्यादा थी। तेज गर्मी, सूखा, फसलों का नष्ट होना तो था ही और साथ ही साथ तेज बारिश और ओले आदि भी लोगों को परेशान करते थे। मौसम का हाल बेहाल था तो लोग सेक्स डिजीज और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से परेशान थे और प्लेग की चर्चा भी थी। उस दौरान मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ गई थी और लोग अपनी जिंदगी से त्रस्त थे।

ये एक कारण हो सकता है कि इतने लोगों ने नाचना शुरू कर दिया। हालांकि, इसका कोई ठोस कारण आज तक नहीं पता चला। मानसिक रोगों के बारे में आज भी उतनी जागरूकता नहीं है और इसलिए ये समझ पाना मुश्किल है कि उस दौरान असल में क्या हुआ था।

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Image Credit: Freepik/ Shutterstock

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