खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा माना जाता है। साथ ही, उन्हें शीश दानी के नाम से भी जाना जाता है। कलयुग के देवता माने जाने वाले खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन हर साल धूमधाम से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। ऐसे में एकादशी तिथि के अनुसार, आज खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन है। आज के दिन खाटू श्याम बाबा की विशेष पूजा आराधन और उनका श्रृंगार किया जाता है।
उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। साथ ही, आज के दिन उनकी व्रत का अनुसरण करना बहुत लाभदायक होता है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से खाटू श्याम बाबा को उनके जन्मदिन पर आज क्या चढ़ाएं, कौन सी व्रत कथा आज के दिन पढ़ें और व्रत रखने वाले लोगों को क्या क्या करना चाहिए। साथ ही, कैसा रखा जाता है खाटू श्याम का व्रत इस बारे में भी जानेंगे विस्तार से।
खाटू श्याम बाबा का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?
खाटू श्याम बाबा का व्रत यूं तो किसी भी एकादशी या दादाशी तिथि से शुरू किया जा सकता है लेकिन कार्तिक माह की एकादशी के दिन उनके जन्मदिन क अवसर पर इस व्रत का आरंभ करना आशिक शुभ है। खाटू श्याम बाबा का व्रत 5 साल तक रखा जाता है।
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खाटू श्याम बाबा को किन चीजों का भोग लगाना चाहिए?
खाटू श्याम बाबा को गौ माता के कच्चे दूध का भोग लगाना चाहिए। कच्चा दूध यानी कि गौ से निकाल कर बिना छाने या उबाले कच्चा ही खाटू श्याम बाबा को चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, खाटू श्याम बाबा को किसी भी मीठे व्यंजन का भोग लगा सकते हैं।
खाटू श्याम बाबा के जन्मदिन के दिन क्या करना चाहिए?
खाटू श्याम बाबा के जन्मदिन के दिन जितना हो सके अपनी क्षमता अनुसार दान करना चाहिए। इसके अलावा, इस दिन खाटू श्याम धाम कि 11 परिक्रमा अवश्य लगानी चाहिए। इससे व्यक्ति और उसके परिवार को खाटू श्याम बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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खाटू श्याम बाबा की व्रत कथा क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार, भीम के पोते थे खाटू श्याम बाबा जो महाभारत काल में बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। बर्बरीक बहुत बलशाली और दिव्य शक्तियों से सज्ज थे। उन्हें वरदान था कि वह युद्ध में जी भी सेना के विरुद्ध लड़ेंगे उस सेना की हार पक्की है।
मगर वरदान में छिपा रहस्य यह भी था कि जब एक बार सामने वाली सेना परास्त हो जाएगी तब बर्बरीक उस सेना कि ओर से लड़ना शुरू कर देंगे। महाभारत युद्ध में बर्बरीक कौरव सेना को हारते देख उनकी ओर से युद्ध लड़ने के लिए निकल पड़े थे।
तब श्री कृष्ण ने उन्हें अमार्ग में ही रोक दिया और बर्बरीक का शीश उनके धड़ से अलग कर दिया। श्री कृष्ण जानते थे कि बर्बरीक परम कृष्ण भक्त हैं। इसलिए उन्होंने बर्बरीक को यह वरदान दिया कि वह कृष्ण के ही एक नाम श्याम से जाने जाएंगे।
साथ ही, कलयुग में उन्हें पूजा जाएगा और उनकी भक्ति करने से व्यक्ति को हर काम में जीत मिलेगी। इसी के बाद से ही बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पड़ा और उन्हें हारे का सहारा माना जाने लगा। खाटू श्याम बाबा के दर्शन मात्र से हर संकट दूर हो जाता है।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर खाटू श्याम बाबा के जन्मदिन पर उन्हें उनकी कौन सी प्रिय चीज का भोग लगाना चाहिए और क्या है खाटू श्याम की व्रत कथा।
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