हिन्दू धर्म में हर एक तिथि का अलग महत्त्व है। ऐसी ही तिथियों में से एक है एकादशी तिथि। एक महीने में दो एकादशी तिथियां यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी और साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं। जिस साल अधिक मास या मलमास होता है उस साल एकादशी तिथियों की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। प्रत्येक एकादशी तिथि का अलग महत्त्व है लेकिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्त्व है।
इस एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त पूरे श्रद्धा भाव से विष्णु भगवान का पूजन करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने और मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु व्रत उपवास करते हैं। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें इस साल अप्रैल महीने में कब पड़ रही है कामदा एकादशी और इसका क्या है महत्त्व।
कामदा एकादशी की तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कामदा एकादशी व्रत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह चैत्र नवरात्रि के बाद होती है और रामनवमी के बाद पड़ने वाली एकादशी के दिन पड़ती है। इस साल कामदा एकादशी 23 अप्रैल 2021, शुक्रवार को है और इसी दिन व्रत करना फलदायी होगा।
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कामदा एकादशी शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि आरंभ - 22 अप्रैल 2021 को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से
- एकादशी तिथि समाप्त - 23 अप्रैल 2021 को रात्रि 09 बजकर 47 मिनट तक
- उदया तिथि में 23 अप्रैल 2021 को ही एकादशी तिथि है, इसलिए इसी दिन विष्णु पूजन एवं व्रत रखना फलदायी होता है।
- कामदा एकादशी व्रत पारणा मुहूर्त- द्वादशी तिथि यानि 24 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक तक
कामदा एकादशी का महत्त्व
हिन्दू धर्म में कामदा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन विष्णु जी का माता लक्ष्मी समेत पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान की इच्छा रखने वाली स्त्रियों की इच्छा पूर्ति होती है और कुंवारी कन्याओं के विवाह में होने वाली देरी से मुक्ति मिलती है। यदि जाने-अनजाने में कोई गलती हो जाती है और मनुष्य अपने पापों का प्रायश्चित्त करना चाहता है तो उसके लिए कामदा एकादशी का व्रत करना सबसे उत्तम माना जाता है।
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कैसे करें पूजन
- यदि आप व्रत करती हैं तो एकादशी व्रत से एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद से ही भोजन में अन्न का सेवन न करें।
- एकादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ़ करके समस्त देवी देवताओं को स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहनाएं।
- इसके बाद मंदिर में धूप, दीप प्रज्जवलित करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा करें।
- यदि व्रत नहीं करते हैं तब भी इस दिन चावल का सेवन न करें और तामसिक खाने से दूर रहें।
- भगवान विष्णु को स्वच्छ भोग अर्पित करें और तुलसी दल जरूर अर्पित करें।
- भगवान विष्णु जी की आरती करके प्रसाद प्रियजनों में वितरित करें।
- पूरे दिन फलाहार का सेवन करें और मन में अच्छे विचार रखें।
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Image Credit: freepik
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