हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। मान्यता अनुसार इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई लड्डू गोपाल की पूजा का विशेष महत्व है और इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
जन्माष्टमी साल के बड़े त्योहारों में से एक है। जन्माष्टमी की पूजा मुख्य रूप से मथुरा, वृन्दावन और द्वारिका में विधि विधान से की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म इसी दिन हुआ था।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब मनाया जाएगा जन्माष्टमी का पर्व और इसका क्या महत्व है।
जन्माष्टमी 2022 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी तिथि का विशेष महत्व है और इस दिन कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी दो दिन 18 अगस्त, बृहस्पतिवार और 19 अगस्त, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
- ज्योतिष की मानें तो श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और ये दोनों ही योग 19 अगस्त, शुक्रवार को रहेंगे इसलिए मथुरा, वृंदावन और द्वारका में कृष्ण का जन्मोत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
- चूंकि कृष्ण के सभी तीर्थों में यह 19 अगस्त को मनाई जाएगी और18 तारीख को अष्टमी तिथि सूर्योदय के समय नहीं है इसलिए इसे उदया तिथि के अनुसार 19 अगस्त को ही मनाना शुभ होगा।
जन्माष्टमी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक हैं। जन्माष्टमी का त्योहार सद्भावना को बढ़ाने और दुर्भावना को दूर करने को प्रोत्साहित करता है। मान्यता है कि इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करने से भगवान कृष्णसबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए यह व्रत करना बहुत ही फायदेमंद होता है साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करना बहुत अच्छा होता है।
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कैसे करें जन्माष्टमी का पूजन
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म जन्माष्टमी की रात 12 बजे हुआ था।
- इस दिन के पूजन के लिए भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं।
- इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से सजाएं।
- इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें।
- फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप-धूप जलाएं।
- इस दिन लड्डू गोपाल को भी स्नान कराएं और उन्हें भी भोग अर्पित करें।
- श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद बांटे।
इस प्रकार यदि आप जन्माष्टमी के दिन पूजन करते हैं तो आपके लिए विशेष रूप से फलदायी होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik.com
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