Mythology Facts: जामवंत जी को कौन नहीं जानता। रामायण में मौजूद ये वो पात्र हैं जिनके बिना न लंका दहन संभव था और न ही रावण पर जीत। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जामवंत जी का अवतरण देवताओं की सहायता के लिए देवासुर संग्राम के दौरान हुआ था। इसके बाद रामायण काल के युद्ध में उन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स ने हमें इस बारे में बताया कि जामवंत जी ही थे जिन्होंने हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया था और उन्होंने रावण से युद्ध के दौरान श्री राम को कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए थे।
इस बात में कोई शंका नहीं कि जामवंत जी प्रभु श्री राम के परम भक्त थे और उनके हृदय में श्री राम के लिए अपार स्नेह था लेकिन द्वापर युग के दौरान जामवंत जी से एक भारी भूल हो गई और अनजाने में वह प्रभु श्री राम के ही रूप श्री कृष्ण से युद्ध कर बैठे। हमारे एक्सपर्ट ने हमें इस दिलचस्प किस्से के बारे में बताया जो आज हम आपसे शेयर करने जा रहे हैं।
शास्त्रों में वर्णित चित्रण के अनुसार, जामवंत जी अपार बल के स्वामी थे। रावण और श्री राम के युद्ध के दौरान जामवंत जी अकेले ही 100 योद्धाओं को परास्त कर दिया करते थे। जब युद्ध समाप्त हुआ तो जामवंत जी ने अहंकार के आधीन होकर प्रभु श्री राम के सामने अपने बल का बखान करना शुरू कर दिया। प्रभु श्री राम उनके मन में पनप रहे घमंड को फौरन भांप गए और उनके इसी घमंड को दूर करने के लिए श्री राम ने उन्हें यह आश्वासन दिया कि वह द्वापरयुग में श्री कृष्ण अवतार लेकर आयेंगे और उनसे युद्ध करेंगे।
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अपने वचन अनुसार श्री राम (भगवान राम की मृत्यु से जुड़े रोचक तथ्य)द्वापरयुग में जामवंत से मिले और उन्होंने उनसे युद्ध भी किया। दरअसल, हुआ यूं कि श्री कृष्ण पर स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप लगा था जिसके बाद खुद को निर्दोष साबित करने के लिए श्री कृष्ण एक गुफा में पहुंचे जहां जामवंत जी अपनी पुत्री के साथ रहते थे। जामवंत जी के पास वह मणि थी जिसे श्री कृष्ण खोज रहे थे। श्री कृष्ण को अपने निवास स्थल पर आता देख जामवंत जी आग बबूला हो गए और उन्होंने श्री कृष्ण से युद्ध आरंभ कर दिया। जब जामवंत जी को इस बात का आभास हुआ कि वह जिससे युद्ध कर रहे हैं वो कोई साधारण मनुष्य नहीं तो उन्होंने युद्ध पर विराम लगाते हुए श्री कृष्ण से अपने असल रूप में आने को कहा जिसके बाद श्री कृष ने उन्हें अपने राम अवतार में दर्शन दिए। अपने प्रभु श्री राम को देख जामवंत जी अत्यंत भावुक हो उठे।
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अपनी भूल की क्षमा याचना करते हुए जामवंत जी ने श्री कृष्ण (श्री कृष्ण की मृत्यु का रहस्य) के समक्ष अपनी पुत्री जामवंती से विवाह का प्रस्ताव रखा जिसके बाद श्री कृष्ण ने जामवंती जी को अपनी पत्नी स्वीकार किया। इस तरह जामवंत जी ने क्षमा भी मांग ली, अपनी पुत्री का श्री कृष्ण से विवाह भी कर दिया और श्री कृष्ण को मणि भी लौटा दी।
तो ये थी श्री कृष्ण और जामवंत जी के युद्ध की कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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