फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाए जाने का विधान है। इस साल होली 14 मार्च, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। होली के दिन जहां एक ओर देवी-देवताओं को गुलाल लगाकर होली का आरंभ किया जाता है और फिर परिजनों के साथ होली खेली जाती है तो वहीं, दूसरी ओर होली के दिन पितृ पूजा करना भी न सिर्फ शुभ बल्कि आवश्यक माना गया है। शास्त्रों में भी लिखा है कि हर पर्व में पितृ पूजा जरूर करनी चाहिए, इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस साल होली पर कैसे करें पितरों की पूजा, क्या हैं पूजा के नियम और पितृ पूजा का महत्व।
होली 2025 पर कैसे करें पितरों की पूजा?
- होली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर उसके बाद एक सफ़ेद कपड़ा लें और उसे दक्षिण दिशा में बिछाएं क्योंकि ये दिशा पितरों की होती है।
- फिर उस कपड़े पर एक चौकी रखे और चौकी पर अपने पितरों की तस्वीर या फिर पितरों से जुडी कोई वस्तु रखें। फिर उसके पास छोटा सा नारियल रखें।
- इसके बाद पितरों की तस्वीर के आगे घी का दीया जलाएं। इस बात का ध्यान रखें कि दीपक मिट्टी का नहीं बल्कि पीतल का हो क्योंकि होली बड़ा पर्व है।
- फिर पितरों की तस्वीर के सामने सफ़ेद पुष्प चढ़ाएं। फिर जल से भरा हुआ कलश नारियल के पास रखें। ध्यान रहे यह सभी चीजें सफ़ेद कपड़े पर रखी हों।
- इसके बाद चंदन का टीका पितरों की फोटो और नारियल पर लगाएं और सफ़ेद पुष्प को जल में भिगोकर छिड़काव करें। इसके बाद वस्त्र भी अर्पित करें।
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- अगर आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी है तो पितरों के निमित्त धोती-कुर्ता अर्पित करें और अगर धन से सक्षम नहीं है तो सफ़ेद जनेऊ को वस्त्र रूपी चढ़ाएं।
- इसके बाद 5 या 7 होली की गुल्लियां या फिर बड़कोले जिन्हें गोबर के कंडों से तैयार किया जाता है, पितरों का ध्यान करते हुए सफ़ेद वस्त्र पर ही रखें।
- इसके बाद पीला, गुलाबी और अन्य किसी भी हल्के रंग का गुलाल एक कटोरी में पितरों के सामने रखें और छुटकी भर पितरों की तस्वीर पर लगाएं।
- इसके बाद पितरों के समक्ष उन्हें जो भी खाने में पसंद है वो बनाकर या बाजार से लाकर भोग लगाएं। कुछ नहीं है तो बताशों का भोग भी लगा सकते हैं।
- आखिर में पीतों का ध्यान करते हुए उनके आशीर्वाद की कामना करें और पितृ मंत्र 'ॐ पितृ देवाय नमः' को 8 बार जपें। यह अंक पितरों का होता है।
होली 2025 पर क्या है पितृ पूजा के नियम?
- पितरों की पूजा करते समय शारीरिक एवं मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें। एक भी नकारात्मक विचार या आचरण आपके पितरों को नाराज कर सकता है।
- होली पर पितरों की पूजा में सफ़ेद वस्त्र का ही प्रयोग करें क्योंकि सफ़ेद रंग पितरों का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, पूजा की दिशा का भी ध्यान रखें।
- होली पर पितरों की पूजा संपन्न हो जाने के बाद इस बात का भी विशेष ख्याल रखें कि पूजा सामग्री को किसी पंडित या फिर जरूरतमंद को ही दान करें।
- होली पर पितरों की पूजा हो जाने के बाद एक दीया दक्षिण दिशा में और जलाएं जिसमें काले तिल के बीज भी मिश्रित हों, इससे पितृ दोष में राहत मिलती है।
- पितरों की पूजा के बाद होली पर इस बात का भी ख्याल रखें कि पितरों के निमित्त तर्पण अवश्य करें। अगर तर्पण संभव न हो तो फल आदि दान कर दें।
होली 2025 पर क्या है पितृ पूजा का महत्व?
- होली पर पितरों की पूजा का बहुत महत्व माना गया है। ऐसी मान्यता है कि पितरों की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा होली के दिन प्रभाव नहीं डालती है।
- होली पर पितरों की पूजा का करने से आने वाला हर संकट पितृ अपने ऊपर ले लेते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- होली पर पितरों की पूजा का करने से घर की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है और बीमारी भी घर से चली जाती है। तरक्की के नए मार्ग खुलते हैं।
- होली पर पितरों की पूजा का करने से पितृ दोष दूर होता है, पितरों को भी कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिलती है और भागवत धाम प्राप्त होता है।
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