Maha Kumbh Sangam Ghat: क्या रात के समय संगम घाट के किनारे सोना ठीक है? जानें क्या कहता है ज्योतिष

Maha Kumbh 2025 Sangam Ghat: महाकुंभ स्नान में शामिल होने के लिए दुनियाभर के लोग आए-दिन प्रयागराज आ रहे हैं। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए अधिकतर लोग रात के समय कुंभ नगरी यानी घाट किनारे पहुंचकर विश्राम कर रहे हैं। लेकिन क्या रात के समय संगम घाट के किनारे सोना सही है?
sleep on sangam ghat during maha kumbh

Maha Kumh Sangam Ghat Prayagraj: 144 वर्षों के अंतराल पर आने वाला महाकुंभ का पर्व इस साल प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। हर-तरफ महाकुंभ की चर्चा हो रही है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान संगम में स्नान करने से पाप से छुटकारा मिलने के साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में इस पर्व का साक्षी बनने और संगम में डुबकी लगाने के लिए दुनिया भर से लोग संगम की रेती पर आ रहे हैं। देश-विदेश से लोगों का जमावड़ा इन दिनों प्रयागराज में देखने को मिल रहा है। इतना ही बल्कि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए रात के समय कुंभ नगरी यानी घाट किनारे पहुंचकर विश्राम कर रहे हैं। लेकिन क्या रात के समय संगम घाट के किनारे सोना सही है?

अक्सर कुछ ऐसे सवाल कई श्रद्धालुओं के मन में जरूर आते हैं। इस लेख में आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि क्या संगम घाट किनारे विश्राम करना चाहिए या नहीं। अगर नहीं तो क्यों नहीं।

संगम घाट किनारे रुकना सही या गलत?

Kumbh Mela Prayagraj

पूजा-पाठ या नदी में स्नान के दौरान कई बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। अन्यथा इसका पुण्य फल नहीं मिलता है। वर्तमान में करोड़ों की संख्या में लोग रोजाना संगम में डुबकी लगा रहे हैं। संगम क्षेत्र में पहुंचने के लिए लोग एक दिन पहले रात में यहां पर आकर रूकते हैं ताकि भोर में स्नान कर सकें। अब ऐसे में कई लोग कुंभ क्षेत्र में बने टेंट, रैन बसेरा या साधु-संत की कुटिया में रूक रहे हैं। वहीं अधिकतर लोग घाट के किनारे में विश्राम कर रहे हैं। अब ऐसे में यह सवाल कि क्या संगम के किनारे रुक सकते हैं या नहीं। इस पर जब हम ने पंडित उदित नारायण से बता कि तो उन्होंने बताया कि अगर आप संगम घाट किनारे रूक रहे हैं, तो वहां पर रात के समय पूजा-पाठ या कीर्तन करें।

क्या संगम किनारे कर सकते हैं विश्राम?

Kumbh Mela Bathing

अगर आप बिना सोचे-समझें संगम के किनारे जाकर लेट जाते हैं, तो बता दें कि यह गलत है। संगम घाट एक अत्यंत पवित्र स्थान है, जहां स्नान और पूजा-अर्चना के दौरान एक दिव्य ऊर्जा का अहसास होता है। हालांकि, रात के समय घाट के किनारे सोना आदर्श नहीं माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रात में गंगा के किनारे सोने से वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा भी हो सकती है, जो मानसिक शांति को प्रभावित कर सकती है। यह समय तंत्र क्रियाओं के अनुकूल होता है। इसलिए, यदि आप संगम घाट पर धार्मिक यात्रा के दौरान रुकना चाहते हैं, तो दिन के समय घाट पर स्नान और पूजा करना सही है।

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Image credit- personal image, herzindagi

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