अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का रिवाज सदियों पुराना है। हम अपने हिसाब से सोना खरीदते हैं और उसे पूजा-पाठ करने के बाद अलमारी में बंद करके रख देते हैं। पर क्या वाकई अक्षय तृतीया पर इस तरह से सोना खरीदना हमारे लिए फायदेमंद होता है? सिर्फ रिवाज के लिए हमारा लाखों रुपये खर्च करना सही है? या फिर हमें फिजिकल गोल्ड को मिनिमम रखते हुए निवेश के बारे में सोचना चाहिए? अधिकतर लोगों का मानना होता है कि निवेश के लिए सोना बेहतर है, लेकिन सोने का कौन सा फॉर्म आपके लिए अच्छा हो सकता है?
इन्हीं सब सवालों के जवाब आज हम आपको इस स्टोरी में देने वाले हैं। सोना खरीदते समय हमें कैसी टिप्स को फॉलो करना चाहिए? इसे जानने के लिए हमने पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और Wealth Aware कंपनी की संस्थापक और एमडी तन्वी केजरीवाल गोयल से बात की।
तन्वी जी ने हमें बताया कि अक्षय तृतीया पर आपको अब निवेश के हिसाब से ही सोना खरीदना चाहिए। फिजिकल गोल्ड हमेशा आपके काम आए यह जरूरी नहीं है, लेकिन निवेश के तौर पर अगर सोना खरीदा जाता है, तो यह आपकी फाइनेंशियल स्थिति को मजबूत जरूर करेगा।
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क्या सोने में निवेश करना सही है?
एक्सपर्ट की राय मानें, तो आपके फाइनेंस पोर्टफोलियो का एक अहम हिस्सा हो सकता है। सोने में महंगाई से लड़ने की ताकत होती है और महंगाई बढ़ने के साथ-साथ उसका दाम भी बढ़ता ही है। सोने में निवेश से रिटर्न्स ज्यादा बेहतर मिलते हैं।
पर सोना किसी भी फॉर्म में खरीदा जाए उसे अच्छा निवेश ही माना जाएगा। फिजिकल गोल्ड की वैल्यू मेकिंग चार्ज के कारण कम होती है, लेकिन गोल्ड बॉन्ड्स आदि ज्यादा बेहतर होते हैं।
गोल्ड ज्वेलरी का रेट पहले जरूर चेक करें
तन्वी जी के मुताबिक आपको किसी आधिकारिक फोरम में पहले गोल्ड रेट चेक करना चाहिए और उसके बाद ही किसी ज्वेलर के रेट पर भरोसा करना चाहिए। MCX जैसी फोरम पर रोज़ाना गोल्ड और सिल्वर के रेट आते हैं। इसके साथ टैक्स भी जुड़ा होता है। ऐसे में अगर आप किसी बड़ी इनवेस्टमेंट का सोच रही हैं, तो पहले प्राइस कम्पेयर कर लें।
गोल्ड कॉइन खरीदने जा रही हैं तो इन बातों का रखना होगा ख्याल
- अक्षय तृतीया पर सबसे ज्यादा बिक्री सोने और चांदी की ज्वेलरी की होती है। ऐसे में यह जरूरी है कि आप सिक्का खरीदने से पहले थोड़ी जांच पड़ताल कर लें।
- 24 कैरेट ज्वेलरी खरीदी जा सकती है, लेकिन 24 कैरेट गोल्ड क्वाइन नहीं। इसलिए आपको जितना निवेश करना है उतना सोना खरीदें।
- गोल्ड क्वाइन के मेकिंग चार्ज कम होते हैं इसलिए आप ज्यादा वजन वाली ज्वेलरी खरीद सकती हैं।
- हॉलमार्क जरूर चेक करें। अब गोल्ड हॉलमार्किंग बहुत जरूरी हो गई है।
- mmtc-pamp का क्वाइन सबसे अच्छा माना जाता है। वैसे आप अपने लोकल ज्वेलर से भी हॉलमार्क वाला क्वाइन खरीद सकती हैं।

गोल्ड ज्वेलरी के लिए टिप्स
- हमेशा हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी को प्रिफर करें। अगर कोई कह रहा है कि बिना हॉलमार्क के ज्वेलरी सस्ती मिलेगी, तो उस पर ध्यान ना दें।
- अगर कोई स्टोन ज्वेलरी ले रही हैं, तो 14 कैरेट से लेकर 18 कैरेट वाली चुनी जाती है, लेकिन रीसेल वैल्यू 22 कैरेट वाली ज्वेलरी की ज्यादा है।
- डायमंड ज्वेलरी के साथ हमेशा सर्टिफिकेट दिया जाता है। अगर कोई ज्वेलर सर्टिफिकेट नहीं प्रोवाइड कर रहा है, तो वो ज्वेलरी ना खरीदें। ऑथेंटिकेशन का ध्यान रखना होगा।
- गोल्ड ज्वेलरी अगर सिर्फ निवेश के हिसाब से ले रही हैं, तो ज्यादा कॉम्प्लेक्स डिजाइन ना चुनें। ऐसे में आप मेकिंग चार्ज पर कुछ पैसा बचा सकती हैं।

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निवेश के हिसाब से गोल्ड
अगर आपको सिर्फ निवेश ही करना है और ज्वेलरी पहनने का कोई खास शौक नहीं है, तो आप निवेश के हिसाब से इन गोल्ड ऑप्शन को ट्राई कर सकती हैं...
सोवरन गोल्ड बॉन्ड (SGB)
गोल्ड बॉन्ड्स केंद्रीय सरकार द्वारा सत्यापित गोल्ड बॉन्ड्स होते हैं। इनमें 2.5 प्रतिशत सालाना इंटरेस्ट मिलता है। हालांकि, यह 8 साल के लिए इशू किए जाते हैं और 5 साल के बाद ही इन्हें तोड़ा जा सकता है। गोल्ड बॉन्ड्स डीमैट और ई-सर्टिफिकेशन फॉर्म में मिलते हैं।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETF)
यह फिजिकल गोल्ड का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म होता है। इन्वेस्टर्स इनमें स्टॉक की तरह ट्रेडिंग कर सकते हैं। आपको इनमें निवेश के लिए डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत पड़ेगी। ईटीएफ कैश द्वारा सेटल किए जाते हैं। मतलब अगर आप इन्हें बेचेंगी, तो फिजिकल गोल्ड नहीं कैश मिलेगा।
डिजिटल गोल्ड
आप 24 कैरेट सोना खरीद सकती हैं और इसमें फिजिकल डिलीवरी लेने की जरूरत नहीं है। आप इसे कई एप्स के जरिए खरीद सकती हैं जैसे UPI आदि। एक बार पेमेंट हो गई, तो सोना आपके डिजिटल वॉलेट में डिलीवर हो जाएगा। इसे रिडीम कर फिजिकल गोल्ड खरीदा जा सकता है। इसपर 3 प्रतिशत जीएसटी भी लगता है। डिजिटल वॉल्ट में 5 साल का फ्री होल्डिंग पीरियड होता है।
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Image credit: Rediff/ Freepik/ Jagran
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