क्या है हॉलमार्क? क्या अलमारी में रखा आपका सोना अब हो जाएगा बेकार?

1 अप्रैल से सोना बिना हॉलमार्क के नहीं खरीदा जा सकेगा। पर इसका मतलब क्या अलमारी में रखी आपकी गोल्ड ज्वेलरी बेकार हो जाएगी? चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। 

Shruti Dixit
How to buy gold jewellery

भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां सोने की मांग बहुत ज्यादा है। सोना खरीदना और उसे पहनना भारतीय कल्चर का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। आप धनतेरस और अक्षय तृतीया जैसे त्यौहारों से ही अंदाज़ा लगा सकती हैं कि सोना हमारे देश में कितना महत्वपूर्ण है। सोने के गहनों को इन्वेस्टमेंट की तरह देखा जाता है। अब भारत सरकार ने एक नियम बना दिया है। 1 अप्रैल के बाद कहीं भी फिजिकल गोल्ड बिना हॉलमार्क के नहीं मिलेगा। कोई भी सुनार आपको बिना इसके ज्वेलरी नहीं बेच सकता है।

जब ये खबर सामने आई तो कई लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या उनका सोना बेकार हो जाएगा? ये एक वाजिब सवाल है क्योंकि सरकारी नियम ये कहता है कि बिना हॉलमार्क के ज्वेलरी खरीदना या बेचना गैरकानूनी हो जाएगा। हमने इसके बारे में दिल्ली स्थित कृष्णा ज्वेलर्स और सिल्वरस्मिथ के पार्टनर और जाने माने जोहरी प्रद्युमन अग्रवाल से बात की। उन्होंने हमें बताया कि आखिर इस नियम का मतलब क्या है और किस तरह से ये आम उपभोक्ता पर असर करेगा?

क्या है हॉलमार्क?

हॉलमार्क को एक पैमाना समझिए। सोने की शुद्धता के लिए हॉलमार्किंग (Hallmarking) की जाती है। BIS (Bureau of Indian Standards) के मानकों के हिसाब से सोने और चांदी में हॉलमार्किंग जरूरी है। अगर किसी ज्वेलरी में हॉलमार्किंग है, तो इसका मतलब कि वो शुद्ध है।

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कैसे होती है हॉलमार्क की पहचान?

ये अलग-अलग तरह से की जा सकती है। हॉलमार्क गोल्ड में बीआईएस का मार्क दिया गया होगा। इसमें सोने की शुद्धता उनके लाइसेंस प्राप्त लैब्स में से किसी एक द्वारा टेस्टे की गई होगी।

कैरेट और शुद्धता के अनुसार हॉलमार्किंग सेंटर के निशान होते हैं। उदाहरण के तौर पर 22K916 (91.6% शुद्धता वाला 22 कैरेट सोना), 18K750 (75% शुद्धता वाला 18 कैरेट सोना) आदि।

कई ज्वेलर भी अपनी ज्वेलरी में निशान लगाते हैं तो हॉलमार्किंग के निशान के अलावा ये निशान भी आपको ज्वेलरी में मिल जाएगा।

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हॉलमार्किंग से क्या होगा खरीदारों को फायदा?

प्रद्युमन अग्रवाल के मुताबिक ये बहुत ही अच्छी स्कीम है जो सरकार ने चलाई है। हॉलमार्क की वजह से सोने या चांदी की क्वालिटी कस्टमर्स खुद ही परख पाएंगे। यानी कोई दुकानदार आपको खरा सोना बोलकर 18 कैरेट के गहने नहीं बेच पाएगा क्योंकि उस ज्वेलरी में 750 का हॉलमार्क लगा होगा। जो बताएगा कि इस सोने की 75% शुद्धता ही है। ऐसे ही 916 का हॉलमार्क लगा है तो उसकी शुद्धता 91.6% होगी यानी 22 कैरेट।

ऐसे में हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेचने में भी दिक्कत नहीं होगी। अगर कोई ग्राहक हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेचने जाता है, तो उसे शुद्धता के हिसाब से ही पैसे मिलेंगे।

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क्या अलमारी में रखी आपकी ज्वेलरी हो जाएगी बेकार?

अब बारी आती है सबसे बड़े सवाल की। आपकी अलमारी में बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी रखी है तो वो बिकेगी या नहीं? इसका जवाब है, हां। आपके पास अगर कोई पुराना सोना है तो उसकी वैल्यू पर इसका असर नहीं होगा। आप अगर उसे बेचने जाएंगे तो सोने के उस दिन के भाव के हिसाब से ही रेट मिलेंगे। पर दुकानदार उस सोने का इस्तेमाल तब तक नहीं कर पाएगा जब तक वो उसे पिघला कर हॉलमार्क के साथ नया डिजाइन ना बना दे।

अगर आपका सोना खरा है तो आपको उसके दाम भी वाजिब मिलेंगे।

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क्या बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी आपको खरीदनी चाहिए?

आपको ऐसे बहुत से ऑफर मिल सकते हैं जहां लोग बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेचना चाहें। कोई भी नई ज्वेलरी, गोल्ड बार, गोल्ड कॉइन, सिल्वर कॉइन, सिल्वर बार आदि खरीदने से पहले ये ध्यान रखें कि आप हॉलमार्क का निशान देख लें। इससे आप ठगी से बच सकती हैं।

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