क्या पत्नी का काम सिर्फ पति को FIX करना है? शाहिद कपूर का यह बयान बताता है हमें अभी कितना बदलने की जरूरत है

पत्नी का काम हमेशा से निर्धारित रहा है। क्या उसे सिर्फ पति की जिंदगी को बेहतर बनाना होता है? शाहिद कपूर के एक स्टेटमेंट से दोबारा मैन चाइल्ड को लेकर बहस शुरू हो गई है। 

Man Child in bollywood

एक किस्से से शुरुआत करती हूं जो मेरी आंखों के सामने घटा है। कुछ दिनों पहले मेरी हाउस हेल्प अपनी बहू की बुराई कर रहीं थी। उनका कहना था, "बहू के आने के बाद भी बेटा रोजाना शराब पीता है। बहू को उसे थोड़ा सुधारने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन नहीं ध्यान ही नहीं अपनी गृहस्थी पर।" यह बात आम धारणा की ओर इशारा करती है। पत्नी का काम है पति को सही रास्ते पर लाना। हाल ही शाहिद कपूर ने भी इस तरह का बयान दिया है।

फिल्म कम्पैनियन को दिए एक इंटरव्यू में शाहिद ने कहा है, "शादी का पूरा प्रोसेस एक ही चीज पर टिका है। लड़का बहुत खराब हालात में होता है, जिंदगी में लड़की आती है ताकि उसे ठीक कर सके। बाकी पूरी जिंदगी लड़के को ठीक कर एक सही इंसान बनाते ही निकल जाती है। यही है असल में जिंदगी।"

इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर शाहिद के खिलाफ कुछ कमेंट्स आ रहे हैं। मैन चाइल्ड की डिबेट एक बार फिर से तेज हो गई है। इसके बारे में कुछ भी बोलने से पहले एक बार हम मैन चाइल्ड को ठीक से समझ लेते हैं।

कौन होता है मैन चाइल्ड?

यह टर्म आमतौर पर एक ऐसे पुरुष के बारे में बताने के लिए इस्तेमाल की जाती है जो उम्र में तो बड़ा होता है, लेकिन अपने व्यवहार से बचकानी हरकतें करता है। जिसे जिम्मेदारी का अहसास नहीं होता और लोगों की उम्मीदों के बारे में वो नहीं सोचता है। एक तरह से देखा जाए तो जिंदगी जीने का यह तरीका गलत भी नहीं है। पर समस्या तब होने लगती है जब मैन चाइल्ड की जिंदगी की जिम्मेदारियां किसी और को उठानी पड़ती है।

shahid and meera

अमूमन यह सोच लिया जाता है कि शादी के बाद तो लड़का सुधर जाएगा। 1987 में आई फिल्म 'संसार' में रेखा का एक डायलॉग है जो सोशल मीडिया पर भी बहुत फेमस रहा है, "इसकी शादी करवा दीजिए, जिम्मेदारी आएगी तो अपने आप सुधर जाएगा।" यह डायलॉग उसी धारणा को समझाता है कि भाई साहब लड़की का काम तो सिर्फ पति को सुधारने का है।

बॉलीवुड में हमेशा से रहा है मैन चाइल्ड का कॉन्सेप्ट

मैन चाइल्ड के सबसे अच्छे उदाहरण बॉलीवुड की फिल्मों में मिल सकते हैं। ऐसे कैरेक्टर्स अधिकतर दिखाते हैं कि अडल्ट पुरुष हमेशा बचकाना व्यवहार करते हैं और फिर एक ऐसी हिरोइन उनकी जिंदगी में आती है जो उस पुरुष की जिंदगी का रुख ही बदल देती है।

रणबीर कपूर के कई किरदार

'ऐ दिल है मुश्किल', 'ये जवानी है दीवानी', 'रॉकस्टार', 'तमाशा', 'बेशरम', 'बचना ऐ हसीनों', 'वेक अप सिड' जैसी कई फिल्में हैं रणबीर के खाते में जो उन्हें मैन चाइल्ड ऑफ बॉलीवुड बनाती हैं। शुरुआती दौर में 'वेक अप सिड' में जैसे उनका कैरेक्टर था बिल्कुल वैसा ही बाकी फिल्मों में रहा है। उन्होंने इतने सालों में अपने इस कैरेक्टर को बिल्कुल पक्का कर लिया है, लेकिन इसके साथ ही एक प्रॉब्लमैटिक इमेज भी दिखती है। मैन चाइल्ड अपनी जिम्मेदारियों को लड़की के ऊपर डाल सकता है, उसे अपनी जिंदगी और अपने गोल का अहसास भी एक लड़की ही करवा सकती है।

ae dil hai mushkil ranbir

वरुण धवन और बद्रीनाथ का किरदार

फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' तो आपने देखी ही होगी। बदरीनाथ अपने पिता के लिए ही वसूली का काम करते हैं और खुद की कोई पहचान नहीं है। उन्हें बस एक लड़की से शादी करनी है और अपनी पहचान के तौर पर वो यह बताते हैं कि उनके पिता के पास कितनी प्रॉपर्टी है। बदरीनाथ एक ऐसी लड़की को चुनते हैं जो अपना करियर बनाना चाहती है, लेकिन उनके लिए यह मायने नहीं रखता। उन्हें लगता है कि लड़की शादी करके उनके पास आ जाए बस। जब वही लड़की उन्हें छोड़कर चली जाती है, तो उन्हें बहुत बुरा लगता है और उन्हें खुद को सुधारने का मौका मिलता है।

badrinath ki dulhania manchild

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मलंग में आदित्य रॉय कपूर का किरदार

'मलंग ' फिल्म में भी आदित्य रॉय कपूर की लव स्टोरी कुछ ऐसा ही मोड़ ले लेती है। शुरुआत में उन्हें कमिटमेंट से डर लगता है और सिर्फ अपनी जिंदगी एन्जॉय करनी होती है। हालांकि, इस कहानी का मोड़ बहुत ही अलग होता है, लेकिन कहीं ना कहीं उनका किरदार भी इसी से इंस्पायर होता है।

ranveer singh and man child character

बॉलीवुड में ऐसे कई किरदार रहे हैं जहां मैन चाइल्ड को ग्लोरिफाई किया गया है। 'दिल चाहता है' जैसी फिल्म इसके लिए बहुत फेमस है। आप 'रांझणा' जैसी फिल्म को देखिए और सोचिए कि क्या कुंदन का कैरेक्टर मैन चाइल्ड नहीं था?

बॉलीवुड की फिल्मों में खुद को पहचानने की यह यात्रा बहुत ही खूबसूरती से पेश की जाती है। ऐसा लगता है कि बस भाई यही परम सत्य है कि लड़की के आने के बाद ही जिंदगी खुशहाल होगी और रिलेशनशिप ही आपको परिपक्व बनाएगी। पर ऐसा होता नहीं है।

बात सिर्फ इतनी सी है कि यहां पर भी सारा बोझ लड़की के जिम्मे डाल दिया गया है। जिस लड़के को उसकी मां नहीं सुधार पाती उसे सुधारने का पूरा बीड़ा पत्नी पर डाल दिया जाता है। आखिर क्यों जिम्मेदारियां सिर्फ महिलाओं के लिए लाइफ हैक है और पुरुषों के लिए नहीं?

आपकी इस मामले में क्या राय है? यह हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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