Ram Mandir: अयोध्या नगरी जो कई सालों से अपने भगवान राम के आने का इंतजार कर रही थी, वो अब कुछ ही दिनों में खत्म होने वाला है। 22 जनवरी 2024 को रामलला अपने मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। इसके बाद हर कोई अपने भगवान के दर्शन करेगा। आपको बता दें कि अभी निर्माण कार्य थोड़ा ही पूरा हुआ है। इसलिए इसपर काम काफी समय तक जारी रहेगा, ताकि इस मंदिर को और ज्यादा सुंदर और सिक्योरिटी के लिहाज से सुरक्षित बनाया जा सके। इसी को ध्यान में रखते हुए राम मंदिर की नींव में टाइम कैप्सूल डाले गए हैं ताकि 100 साल तक का पुराना इतिहास भी जाना जा सके। चलिए जानते हैं क्या है टाइम कैप्सूल और किस तरह जानेंगे इतिहास।
क्या है टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है। ये एक ऐसा डिवाइस होता है जिसकी मदद से आप वर्तमान दुनिया से जुड़ी सारी जानकारी आने वाले भविष्य में निकाल सकते हैं। इसमें 100 साल से भी ज्यादा पुराना डाटा रिकॉर्ड किया जाता है। लेकिन इसे ऐसी जगह दबाना होता है ताकि जब जमीन में खुदाई हो तो आसानी से उसे निकाला जा सके। आपको बता दें कि ये लंबा और बेलनाकार का होता है। इससे इसे जमीन में दबाने में आसानी होती है, इसलिए राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत में ही इसे नींव में 200 फीट नीचे डाला गया है।
राम मंदिर का पता चलेगा इतिहास
सरकार द्वारा इस टाइम कैप्सूल को इसलिए ही नींव में दबाया गया है ताकि इससे इतिहास की सही जानकारी मिले, ताकि (भगवान राम की बहन का मंदिर) आने वाले समय में सभी को ये पता चले की इसका निर्माण कब हुआ और किस तरह से इसे तैयार किया गया। इसे सुरक्षा के लिहाज से भी नींव में दबाया गया है। इससे आप 100 साल पुरानी चीजों के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा कहा गया था कि जिस तरह की लंबी लड़ाई इस मंदिर के निर्माण को लेकर लड़नी पड़ी आगे भविष्य में न लड़नी पड़े इसलिए टाइम कैप्सूल को निर्माण के समय नींव में डाला गया है।
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भारत में इन जगहों पर रखे गए टाइम कैप्सूल
अयोध्या का राम मंदिर पहला ऐसा स्थान नहीं है जहां इस कैप्सूल को दबाया गया है। इससे पहले भी देश के कई सारे ऐसे (राम टेक मंदिर) मशहूर जगहें हैं जहां इसे लगाया गया है। उनमें से लाल किला, कानपुर का आईआईटी कॉलेज वैगरह जैसे अन्य जगहें शामिल हैं। यहां पर भी इसे इसलिए दबाया गया है ताकि इतिहास का जानकारी जानी जा सके।
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Image Credit- Herzindagi/ Twitter
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