प्राचीन काल में महिलाओं की भूमिका समाज के हर पहलू में अहम रही है। महिलाओं ने अपने दौर में केवल सत्ता नहीं संभाली, बल्कि देश-समाज को समय-समय पर नई दिशा भी दी। इतिहास के पन्नों में, जहां एक तरफ वैदिक काल में विदुषियों का जिक्र किया गया है, जो शास्त्रार्थ करती थीं, वहीं दूसरी तरफ गुप्त काल के सिक्कों पर महिलाओं के नाम भी पढ़ने को मिलते हैं।
भारत की हजारों साल पुरानी विलुप्त हो चुकी सभ्यताएं उन्नत और संगठित थी। उस समय महिलाओं की भूमिका और उनसे जुड़ी परंपराओं का गहरा असर उस काल की सामाजिक व्यवस्था पर था। इन्हीं सभ्यताओं में से एक सभ्यता थी हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है। यह 2500-1700 ईसा पूर्व तक थी और इसमें समाज, परिवार, धर्म और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
आज हम इस आर्टिकल में खुदाई के दौरान हड़प्पाकालीन सभ्यता के दौरान मिलने वाले अवशेषों के जरिए, महिलाओं से जुड़ी रोचक परंपराओं के बारे में बताने वाले हैं।
हड़प्पा सभ्यता में महिलाओं की भूमिका
- सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, क्योंकि इस सभ्यता की सबसे पहले खोजी गई जगह हड़प्पा थी। आज यह स्थान पाकिस्तान के पंजाब में है।
- हड़प्पा सभ्यता के दौरान समाज में महिलाओं की सम्मानजनक स्थिति थी। हड़प्पा की खुदाई के दौरान, मातृदेवी की मूर्तियां भी मिली थी, जो उर्वरता, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक मानी जाती थीं। उस समय महिलाओं का समाज में पुरुषों से ऊंचा पद था और वे आदिवासी सभाओं और विभिन्न तरह के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेती थीं।
- हड़प्पा सभ्यता मातृसत्तात्मक थी और उस वक्त महिलाओं को संपत्ति के अधिकार और आर्थिक स्वतंत्रता मिलती थी।
- महिलाएं उस समय कला, शिल्प, वस्त्र निर्माण में काफी सक्रिय रहा करती थीं। खुदाई के समय, सूती कपड़े और धागे बनाने वाले औजर के अवशेष मिले थे, जो यह बताते हैं कि महिलाएं कपड़ा इंडस्ट्री भी चलाती थीं।
- हड़प्पा सभ्यता में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जाता था, बल्कि उन्हें अपनी मर्जी से जीने का हक था। उस समय, महिलाएं पुरुषों से बेहतर मानी जाती थीं, क्योंकि वे घर के कामों के साथ-साथ समाज का भी कार्यभार संभालती थीं।
- हड़प्पा सभ्यता के दौरान, गंगा घाटी में बैल की सवारी महिलाओं द्वारा किया जाने वाला प्राथमिक ट्रांसपोर्ट था।
हड़प्पा सभ्यता के दौरान महिलाएं सिंदूर लगाती थीं
- हड़प्पा की खुदाई के दौरान कई रहस्यों से पर्दा उठा था, जिसमें महिलाओं के श्रृंगार को लेकर भी कई रोचक तथ्य सामने आए थे। दरअसल खुदाई के समय महिलाओं के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली ब्यूटी प्रोडक्ट्स के अवेशष मिले थे, जिसमें मनके की माला, मिट्टी, तांबा की चूड़ियां, कंगन, सोने के आभूषण, मिट्टी की माथे की बिंदी, सिंदूर दानी, अंगूठी, कानों की बालियों समेत कई और भी चीजें शामिल थीं, जिन्होंने साबित किया कि उस समय महिलाएं सजती-संवरती थीं।
- हजारों साल पुरानी सभ्यता में महिलाएं मांग में सिंदूर भी भरती थीं, क्योंकि खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को जो कंकाल मिले थे, उनका DNA टेस्ट करने पर सिंदूर के साक्ष्य मिले थे। जहां हम आज कांच या मेटल की चूड़ियों का इस्तेमाल करते हैं, उस वक्त महिलाएं मिट्टी की चूड़ियां पहनती थीं। वे माथे पर बिंदी की जगह मिट्टी की बिंदी लगाती थीं।
- हड़प्पा की खुदाई के दौरान एक भट्टी भी मिली थी, जिससे पता चलता है कि महिलाएं सोने के आभूषण भी पहनती थीं।
महिलाओं के शव के साथ बर्तन भी रखे जाते थे
पुरातत्व विभाग के मुताबिक, हड़प्पा काल के अवशेषों से पता चलता है महिलाओं को समाज में विशेष दर्जा मिला हुआ था। दरअसल, साल 1997 से 2000 के बीच हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में जब खुदाई हुई थी, तब एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि हड़प्पा सभ्यता में शवदाह के समय महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा जमीन मिलती थी। उस समय शवदाह के दौरान महिलाओं के शव के साथ बर्तन भी रखे जाते थे।
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ASI के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर अमरेंद्र नाथ ने 12 सालों की रिसर्च के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें उन्होंने लिखा था कि हड़प्पा काल में जब किसी महिला की मृत्यु उसके पति से पहले हो जाती थी, तो उसके गहनों को उसके शव के साथ ही दबा दिया जाता था। उस समय महिलाएं श्रम साध्य काम भी करती थीं।
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