पति-पत्नी के संबंधों पर हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जिसे सुनने के बाद कोई दुखी तो कोई खुश है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पत्नी द्वारा तलाक के लिए दाखिल की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह कहा है कि पत्नी से मारपीट करना ही नहीं बल्कि उसे गुजारा करने के लिए पैसे देने से भी मना करना अपनी पत्नी के साथ क्रूरता करने जैसा ही है।
इस बात को कहने के साथ ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने महिला की तलाक के लिए दायर की गई याचिका को मंजूर करते हुए उसके हक में फैसला लिया है।
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क्या था केस?
कपूरथला की रहने वाली एक महिला ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में तलाक की याचिका देते हुए बताया था कि उसने साल 2005 में चंडीगढ़ में लव मैरिज की थी। इसके बाद कुछ समय तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन फिर अचानक से उसके पति और ससुराल वालों का बर्ताव बदलने लगा। साथ ही उससे पैसों की भी मांग किए जाने लगी।
साल 2007 में विवाद बढ़ने के बाद उसे ससुराल से निकाल दिया गया। इसके बाद उसने तलाक के लिए याचिका दी लेकिन पति ने अच्छे से बर्ताव करने की बात कही जिसके बाद उसने फिर से ससुराल चले जाने का फैसला किया।
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साल 2009 में फिर से उसे घर से निकाल दिया गया। पीड़िता ने पुलिस को शिकायत दी और तलाक के लिए केस डाला लेकिन फिर शादी बचाने के लिए केस वापस ले लिया। लेकिन बाद में हाईकोर्ट तक केस पहुंचने के बाद पति ने विरोध करते फैमली से अलग रहने के लिए दबाव बनाने और अक्सर झगड़ा करने की बात कही। साथ ही कहा कि बार-बार याचिका दाखिल की गई और वह इसकी आदी है।
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क्या कहना था हाईकोर्ट का?
हाईकोर्ट ने इस याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि कुछ समय पहले कोर्ट ने याचिका लंबित रहते पत्नी और बच्चों के गुजारे-भत्ते के लिए 5 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए थे और इन आदेशों का पति ने पालन नहीं किया। ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि पति पत्नी के साथ क्रूर था। केवल मारपीट ही नहीं गुजारा भत्ता ना देना भी क्रूरता ही है।
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साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं की कोशिश रहती है कि अपनी शादीशुदा जीवन को जहां तक हो सके बचाया जाए। इसकी वजह यह है कि आज भी हमारी सोसायटी में तलाक को कलंक माना जाता है। विवाद ज्यादा बढ़ने के बाद ही कोई महिला तलाक का रास्ता चुनती है।
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