एक मां के लिए उसके बच्चे दुनिया में सबसे खास होते हैं और वह उनकी सेहत के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहतीं। यह तो हम सभी जानते हैं कि बच्चे की सेहत उसके द्वारा खाए गए आहार पर निर्भर करती है। लेकिन आज के समय में अधिकतर घरों में बच्चे खानपान को लेकर काफी तुनुकमिज़ाज होते हैं। बहुत से बच्चे अधिकतर सब्जियां तो खाते नहीं हैं और अगर खाते भी हैं तो भी उसमें बहुत छांटा-छांटी करते हैं। वहीं दूसरी ओर बच्चों को बाहर का खाना और जंक फूड काफी पसंद होता है। मम्मी-पापा के मना करने पर भी वह अक्सर कुछ ना कुछ बाहर का खाने की जिद करते हैं। इस स्थिति में पैरेंट्स को समझ ही नहीं कि बच्चे को पौष्टिक आहार किस प्रकार कराया जाए। अगर बच्चे को संतुलित आहार ना मिले तो उसका समग्र विकास नहीं हो पाता।
अगर आप भी एक बच्चे की मां है तो यकीनन इस स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकती होंगी। बच्चे के पीछे खाना लेकर भागना या फिर खाना खिलाने के लिए उन्हें डांटना हर मां की दिनचर्या में शामिल है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चा ऐसा क्यों करता है। आपको सुनने में शायद अजीब लगे और आप इसे माने नहीं, लेकिन इसके पीछे आप ही जिम्मेदार हैं। जी हां, माता-पिता की छोटी-छोटी गलतियां और उनकी गलत ईटिंग हैबिट्स बच्चे में पोषण की कमी का कारण बनती हैं। आज दिल्ली के सरोज अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ के के गुप्ता कुछ ऐसी ही गलत ईटिंग हैबिट्स और उन्हें ठीक करने के उपायों के बारे में बता रहे हैं-
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आज के समय में अधिकतर बच्चे बाहर से खाना खाना पसंद करते हैं और इसके पीछे मुख्य कारण आप ही होते हैं। अधिकतर घरों में पैरेंट्स ज्यादातर बाहर से खाना मंगवाते हैं, जिसके कारण बच्चा कभी भी घर के खाने की वैल्यू नहीं समझ पाते। यह उम्र ही ऐसी होती है, जब बच्चे पौष्टिकता को नहीं समझते, बल्कि उनके लिए खाने का टेस्टी होना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
डॉक्टर की राय- सबसे पहले अपनी आदतों में सुधार करें। हर दूसरे दिन बाहर का खाना न मंगवाएं। घर पर खाना बनाने और उसे सबके साथ मिलकर खाने की आदत डालें। आप बाहर के खाने के लिए महीने का एक दिन तय कर सकते हैं।
अधिकतर महिलाओं की यह शिकायत होती है कि बच्चा ठीक से खाना नहीं खाता। वह खाना ना खाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाता है।
डॉक्टर की राय- बच्चों को बीच-बीच में स्नैकिंग जैसे चिप्स, आदि ना खाने दें। इससे उनका पेट भर जाता है और वह खाना नहीं खाते। आप उन्हें स्नैकिंग के लिए हेल्दी चीजें जैसे नट्स आदि दें। इसके अलावा कभी भी अपनी प्लेट से बच्चे को खाना न खिलाएं। इससे उनकी पौष्टिक संबंधी आवश्यकताएं पूरी नहीं होती। हमेशा बच्चे को अलग प्लेट में खाना दें और अपने साथ बिठाकर खाना खिलाएं।
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यह समस्या भी बहुत से घरों में देखी जाती है। बहुत से बच्चे खाना ना खाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। कभी दर्द का बहाना तो कभी भूख ना लगने का। इसके पीछे का मुख्य कारण होता है कि उन्हें खाना खाने के फायदों के बारे में पता ही नहीं होता। उनके लिए तो यह सिर्फ भूख को खत्म करने का तरीका है।
डॉक्टर की राय- बच्चों के साथ खाना खिलाते समय कभी भी जबरदस्ती ना करें। इससे बच्चे के मन में घर के हेल्दी खाने के प्रति एक घृणा का भाव पैदा होता है और वह खाने से दूरी बनाता है। वहीं दूसरी ओर, आप बच्चे को जो भी दे रही हैं तो उन्हें उसे खाने के फायदे जरूर बताएं। इससे वह हेल्दी फूड खाने के लिए प्रेरित होंगे। मसलन, अगर आप बच्चे को अंडा खिलाना चाहती हैं तो उससे जबरदस्ती करने के स्थान पर बताएं कि इसमें ढेर सारा प्रोटीन होता है, जिससे उनकी मसल्स बिल्डअप होंगी और वह अधिक मजबूत बनेंगे। डॉ गुप्ता कहते हैं कि माता-पिता के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह बच्चे का स्वाद बचपन से ही डेवलप करें। छह महीने के बाद डॉक्टर की सलाह पर बच्चे को ठोस आहार देना शुरू कर दें। इससे उन्हें अलग-अलग खाने के स्वाद का पता चलेगा और वह आसानी से उसे बड़े होने के बाद भी खाएंगे।
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