क्या आपको कमर में अकड़न, पीठ और जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती हैं?
जिसके कारण आप रात में ठीक से सो नहीं पाती हैं?
या जोड़ों में दर्द के कारण आधी रात में आपकी नींद खुल जाती हैं और आपको बहुत अजीब सा महसूस होता है तो देर ना करें तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि आपको स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत हो सकती है। स्पॉन्डिलाइटिस से हार्ट, लंग्स और आंत समेत बॉडी के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं।
दिल्ली के सांकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के रूमैटोलोजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर पी. डी. रथ बताते हैं कि ''स्पॉन्डिलाइटिस को नजरअंदाज करने से गंभीर रोगों का खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने बताया कि इससे बड़ी आंत में सूजन यानी कोलाइटिस हो सकता है और आंखों में इंफेक्शन हो सकता है।''
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स्पॉन्डिलाइटिस एक प्रकार का अर्थराइटिस है। इसमें कमर से दर्द शुरू होता है और पीठ और गर्दन में अकड़न के अलावा बॉडी के निचले हिस्से थाई, घुटना व टखनों में दर्द होता है। रीढ़ की हड्डी में अकड़न बनी रही है। स्पॉन्डिलाइटिस में जोड़ों में इन्फ्लेमेशन यानी सूजन के कारण बहुत दर्द होता है। डॉक्टर रथ ने बताया कि ''नौजवानों में स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत ज्यादा होती है। आमतौर पर 45 से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं में स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत रहती है।
एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस अर्थराइटिस का एक सामान्य प्रकार है जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और कशेरूक में गंभीर पीड़ा होती है जिससे बेचैनी महसूस होती है। इसमें कंधों, कुल्हों, पसलियों, एड़ियों और हाथों व पैरों के जोड़ों में दर्द होता है। इससे आंखें, फेफड़े, और हृदय भी प्रभावित होते हैं।
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बच्चों में जुवेनाइल स्पांडिलोअर्थ्राइटिस होता है जोकि 16 साल से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है और यह वयस्क होने तक तकलीफ देता है। इसमें बॉडी के निचले हिस्से के जोड़ों में दर्द व सूजन की शिकायत रहती है। थाई, कुल्हे, घुटना और टखनों में दर्द होता है। इससे रीढ़, आंखें, त्वचा और आंत को भी खतरा पैदा होता है। थकान और आलस्य का अनुभव होता है। डॉक्टर रथ ने बताया, ''स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों को रात में नींद नहीं आती है और जोड़ों में दर्द होने से सुबह तीन-चार बजे नींद खुल जाती है और बेचैनी महसूस होती है।''
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स्पॉन्डिलाइटिस मुख्य रूप से जेनेटिक म्युटेशन के कारण होता है। एचएलए-बी जीन बॉडी की इम्यूनिटी को वाइरस और बैक्टीरिया के हमले की पहचान करने में हेल्प करता है लेकिन जब जीन खास म्युटेशन में होता है तो उसका हेल्दी प्रोटीन संभावित खतरों की पहचान नहीं कर पाता है और यह इम्यूनिटी बॉडी की हड्डियों और जोड़ों को निशाना बनाता है, जो स्पॉन्डिलाइटिस का कारण होता है। हालांकि अब तक इसके सही कारणों का पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि जब जोड़ों में दर्द की शिकायत हो तो उसकी जांच करवानी चाहिए क्योंकि इससे उम्र बढ़ने पर और तकलीफ बढ़ती है।
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एचएलए-बी 27 जांच करवाने से स्पॉन्डिलाइटिस का पता चलता है। एचएलए-बी 27 एक प्रकार का जीन है जिसका जानकारी ब्लड टेस्ट से होती है। इसमें ब्लड का सैंपल लेकर लैब में जांच की जाती है। इसके अलावा एमआरआई से भी स्पॉन्डिलाइटिस का पता चलता है। स्पॉन्डिलाइटिस का पता चलने पर इसका इलाज आसान हो जाता है। ज्यादातार मामलों का इलाज दवाई और फिजियोथेरेपी से हो जाता है। कुछ ही गंभीर व दुर्लभ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
डॉक्टर रथ ने कहा कि स्पॉन्डिलाइटिस एक गंभीर रोग है, मगर इसपर अभी बहुत कम रिसर्च हुआ है। भारत में आयुर्वेद और एलोपेथिक पद्धति के बीच समन्वय से अगर इसपर रिसर्च हो इसके निदान में लाभ मिल सकता है।
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