एक मां की जान उसके बच्चे में ही बसती है और कोई भी मां अपने बच्चे की सेहत के साथ किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती। शुरूआती छह महीनों में तो शिशु को स्तनपान कराना ही सबसे बेहतर और सुरक्षित माना जाता है, लेकिन उसके बाद बारी आती है उसे पूरक आहार देने की। पूरक आहार में शिशु को अनाज आधारित चीजें जैसे दलिया, दाल आदि दिया जाता है। कुछ महिलाएं बाजार में शिशु के लिए रेडीमेड सेरल्स भी खरीदती हैं। इस तरह के आहार को खासतौर पर बच्चों की उम्र को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। लेकिन जब आप शिशु के लिए आहार का चयन करें तो थोड़ा सावधानी जरूर बरतें। सबसे पहले तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके शिशु को सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलें, वहीं दूसरी ओर उन आहार से बच्चे के स्वास्थ्य को कोई नुकसान न हो। दरअसल, जब बच्चा पूरक आहार लेना शुरू करता है तो कई बार उसका पेट गड़बड़ा जाता है। इतना ही नहीं, कुछ बच्चों को खास तरह के आहार से एलर्जी होती है और इसका पता तभी चल पाता है, जब वह पूरक आहार लेना शुरू करते हैं। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको बच्चों के लिए भोजन चुनने से पहले ध्यान में रखना चाहिए-
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आजकल मार्केट में ऐसे कई भोजन मिलते हैं, जिनमें कलर व फ्लेवर को अलग से एड किया जाता है, लेकिन इस तरह के आहार शिशु के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं होते। आप ध्यान रखें कि भोजन का आहार व स्वाद नेचुरल ही हो। इसलिए जब भी आप शिशु के लिए कोई आहार खरीदें तो एक बार पैक के पीछे लेबल को जरूर देखें।
चूंकि शुरूआत में बच्चों को आहार प्यूरी के रूप में दिया जाता है, इसलिए उसकी कंसिस्टेंसी पर ध्यान देना बेहद जरूरी होती है। कुछ महिलाएं अपने शिशु के आहार को बेहद पतला बनाती है, लेकिन आपको ऐसे आहार को चुनना चाहिए, जिनकी प्यूरी या जूस थोड़ा थिक हो। सबसे पहले तो इससे बच्चे का पेट अच्छी तरह भर जाता है और दूसरा अगर आहार की कंसिस्टेंसी थिक होती है तो इसका अर्थ है कि उसमें फाइबर की कुछ न कुछ मात्रा शामिल है, जो वास्तव में बच्चे के पाचन तंत्र को डेवलप करने में अहम् भूमिका निभाते हैं।
कुछ महिलाएं बच्चे को अधिक पौष्टिक आहार देने के चक्कर में कई तरह की खाद्य सामग्री को मिलाकर बच्चे के लिए आहार बनाती हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे का टेस्ट सही तरह से डेवलप नहीं हो पाता क्योंकि वह अलग-अलग आहार के स्वाद को समझ नहीं पाता। वहीं दूसरी ओर, अगर बच्चा किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जिक होगा तो इसका आपको पता नहीं चल पाएगा।
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जब भी आप बच्चे के लिए आहार का चयन करें तो अतिरिक्त सोडियम और चीनी वाले उत्पादों से बचें। शिशु अपनी दैनिक सोडियम की जरूरत स्तनपान, सब्जी, फल व सेरेल्स आधारित भोजन से पूरा कर लेता है। इसलिए उन्हें अलग से सोडियम देने की जरूरत नहीं होती।
आजकल बच्चे सब्जी खाना कम पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें बचपन से इसे नहीं खिलाया जाता। इसलिए आप कोशिश करें कि उनके आहार में प्लेन फ्रूट की तुलना में वेजिटेबल कंटेंट अधिक हो। इससे उनके आहार में विटामिन व मिनरल्स अधिक होते हैं और सब्जियों के स्वाद के साथ भी अच्छी तरह परिचित हो जाते हैं।
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