तनाव आज के समय में हर व्यक्ति की जिन्दगी का हिस्सा बन गया है। अब इससे बच्चे भी अछूते नहीं है। छोटे बच्चों से लेकर टीनेजर्स भी कई कारणों से तनावग्रस्त रहने लगे हैं। वैसे भी बच्चे भावनात्मक रूप से काफी कमजोर होते हैं और यही कारण है कि छोटी सी बात भी उन्हें तनावग्रस्त कर देती है। इतना ही नहीं, बच्चे जल्दी से अपनी बात माता-पिता से शेयर नहीं करते, जिसके कारण स्थिति और भी अधिक गंभीर हो जाती है। ऐसे में यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चों में आने वाले बदलावों पर नजर रखें। कई ऐसे संकेत होते हैं, जो यह बताते हैं कि आपके बच्चे की जिन्दगी में कुछ गड़बड़ है और उसे आपकी जरूरत है। हालांकि अधिकतर माता-पिता अपने काम में कुछ इस कदर व्यस्त होते हैं कि वह इन बदलावों पर ध्यान नहीं देते या फिर उसे देखकर भी अनदेखा कर देते हैं। तो चलिए आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बता रहे हैं, जो आपके बच्चे के तनावग्रस्त होने का संकेत देते हैं-
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सोने में परेशानी
तनाव किसी भी व्यक्ति के स्लीप पैटर्न को सबसे पहले प्रभावित करता है। बच्चों में भी यह लक्षण आसानी से देखा जा सकता है। जब बच्चा किसी बात को लेकर तनाव में होता है तो सबसे पहले इसका असर उसकी नींद पर नजर आता है। अक्सर तनावग्रस्त बच्चे या तो जरूरत से ज्यादा सोते हैं या फिर उन्हें रात-रातभर नींद नहीं आती। कई बार बच्चे रात को सोते-सोते उठकर बैठ जाते हैं। कुछ बच्चे तो तनाव के कारण अपने बेड पर भी सोने से आनाकानी करते हैं।
बदला व्यवहार
तनाव बच्चे के मस्तिष्क को बहुत गहराई से प्रभावित करता है, जिसके कारण उनके व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जाता है। तनाव के कारण कई बार बच्चे नाखून चबाना, अंगूठा चूसना या बिस्तर भी गीला कर देते हैं। अगर आपको भी बच्चे के व्यवहार में कोई अजीब व एकाएक बदलाव नजर आए तो यह आपके लिए एक खतरे की घंटी है।
मूड स्विंग्स
तनाव के कारण बच्चे में काफी मूड स्विंग्स नजर आते हैं। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा किसी बात से परेशान है तो आप उसके मूड स्विंग्स पर गौर करें। ऐसे बच्चे बिना किसी वजह के गुस्सा करने लगते हैं या फिर स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं। कुछ बच्चे तनावग्रस्त होने पर बिल्कुल शांत हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के बदलते व्यवहार को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।
खाने की आदत
खाने की आदत में बदलाव भी यह संकेत देता है कि आपका बच्चा तनावग्रस्त है। कई बार तनाव व एंग्जाइटी के कारण बच्चों की भूख काफी हद तक कम हो जाती हैं और वह बेहद कम खाना शुरू कर देते हैं। वहीं कुछ बच्चे अपनी खुशी खाने में ढूंढते है और इसलिए तनाव को खुद से दूर करने के लिए वह जरूरत से ज्यादा ही खाना खाने लग जाते हैं। इसलिए अगर आपको बच्चे के खाने के पैटर्न में बदलाव नजर आए तो उससे प्यार से इस बारे में बात अवश्य करें। हो सकता है कि आपके प्यार व भरोसा देने पर वह अपनी समस्या आपसे शेयर कर दें।
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एकाग्रता में कमी
जब बच्चे के मार्क्स कम आने लगते हैं तो अक्सर पैरेंट्स यह समझते हैं कि बच्चे का ध्यान अब खेल की तरफ अधिक है, लेकिन हर बार ऐसा ही हो, यह जरूरी नहीं है। कभी-कभी कोई चिंता या तनाव बच्चे को मन ही मन परेशान करता है। जिसके कारण उन्हें ध्यान एकाग्र करने में परेशानी होती है। इसका असर सिर्फ बच्चे की पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अन्य चीजों पर भी पड़ता है। जब बच्चा अपने माइंड को कंसन्ट्रेट नहीं कर पाता तो हर जगह उसकी परफार्मेंस का स्तर गिरता चला जाता है।
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