Yamraj Rahasya: कैसे बने सूर्य पुत्र यम मृत्यु के देवता? जानें ये रोचक कथा

आज हम आपको सूर्य पुत्र यम के यमराज यानी कि मृत्यु के देवता बनने की बहुत ही रोचक कथा बताने जा रहे हैं।  

Yamraj Rahasya

Yamraj Rahasya: हिन्दू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता माना जाता है। यमराज व्यक्ति की आत्मा को उसके कर्म अनुसार मृत्यु के बाद उपर्युक्त स्थान प्रदान करते हैं। यानी कि अगर किसी व्यक्ति ने अच्छे कर्म किये हैं तो उसकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होगा वहीं, अगर किसी व्यक्ति ने बुरे कर्म किये हैं तो उसकी आत्मा को नर्क की प्रताड़ना भोगनी पड़ेगी। यमराज न सिर्फ व्यक्ति को मृत्यु देते हैं बल्कि मृत्यु के बाद की यात्रा भी वही तय करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिरकार यमराज मृत्यु के देवता कैसे बने।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आपको बता दें कि यमराज को मृत्यु का देवता बनने से पहले खुद मरना पड़ा था। पृथ्वी पर मृत्यु का चक्र भोगने के बाद ही यमराज को मृत्यु के देवता का पद प्राप्त हुआ था। तो चलिए जानते हैं यमराज से जुड़े इस दिलचस्प किस्से के बारे में।

  • पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार यमराज और शनि देव में युद्ध छिड़ गया था। अपनी-अपनी माताओं के अधिकार के लिए दोनों भाई आपस में लड़ पड़े थे।
yamraj story
  • कई महीनों तक युद्ध चलता रहा और शनि देव और यमराज के बीच का युद्ध भयंकर मोड़ लेने लगा। सूर्य देव समेत सभी देवताओं ने इस युद्ध को रोकने का प्रयास किया लेकिन सभी विफल हो गए।
  • चूंकि शनि देव को बालावस्था से ही महादेव का आशीर्वाद और उनकी कृपा के साथ साथ उनके द्वार दी गई दिव्य शक्तियां प्राप्त थीं लिहाजा शनि देव (शनिदेव के उपाय) ने यमराज को परास्त कर दिया और उन्हें अपने दंडास्त्र से मृत्यु के घाट उतार दिया।
  • अपने पुत्र की मृत काया को देख सूर्य देव अत्यंत विचलित हो उठे। सूर्य देव और उनकी दोनों पत्नियों देवी संज्ञा और देवी छाया ने महादेव का आवाहन किया और महादेव के प्रकट होने पर उनसे पुनः यम को जीवित करने का आग्रह किया।
yamraj ki katha
  • महादेव ने सूर्य देव की प्रार्थना को ठुकराते हुए उन्हें यह समझाया कि मृत्यु अटल सत्य है और एक मात्र उनके पुत्र के लिए वह इस सत्य को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं।
  • तब शनि देव ने स्वयं महादेव से प्रार्थना की और उन्हें यम को जीवित करने के पीछे का ठोस कारण भी बताया। शनि देव ने भगवान शिव (भगवान शिव और श्री कृष्ण संवाद) को कहा कि 1 माह के बाद मृत्यु के देवता का दायित्व संभालने के लिए महादेव स्वयं देवताओं में से ही किसी का चयन करने वाले थे।
  • इस चयन का आधार होता है मृत्यु के चक्र को पूरा करना। यम देवता पुत्र हैं किन्तु उन्हें किसी भी प्रकार की दैवीय शक्ति प्राप्त नहीं हुई थी। इसी कारण से वह अमृत से वंचित थे और उनकी मृत्यु हुई।
  • इस तरह यम ने मृत्यु का चक्र सर्वप्रथम पृथ्वी पर पूरा कर लिया है। इस आधार पर महादेव को यम को न सिर्फ जीवित करना चाहिए बल्कि उन्हें मृत्यु का देवता भी बनाना चाहिए।
shani dev aur yamraj
  • भगवान शिव शनि देव के तर्क से प्रसन्न हुए और उन्होंने शनि देव के आग्रह पर सूर्य पुत्र यम को जीवित कर दिया। भगवान शिव ने सूर्य पुत्र यम को मृत्यु के देवता का कार्यभार सौंपा और इस प्रकार सूर्य पुत्र यम मृत्यु देव यमराज बने।

तो ये थी यमराज के मृत्यु देव बनने की रोचक कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Shutterstock, Pinterest

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