वास्तु शास्त्र को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया गया है। खासतौर पर घर और घर में रखे हर एक सामान को वास्तु के अनुसार सही दिशा और दशा में रखना बहुत ही जरूरी बताया गया है। यदि हम घर के सबसे अहम हिस्से रसोई की बात करें, तो यहां पर बहुत सारे बर्तनों को वास्तु के अनुसार महत्वपूर्ण बताया गया है और उन्हें ग्रहों से भी जोड़ कर देखा जाता है।
रसोई में रखी लोहे की कढ़ाही भी इस लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका सीधा संबंध राहु ग्रह से होता है। राहु ग्रह व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा बदल देने की क्षमता रखता है। इसलिए हमने वास्तु एवं न्यूमेरोलॉजी एक्सपर्ट डॉक्टर शेफाली गर्ग से वास्तु शास्त्र में रसोई में कढ़ाही रखने के नियमों के बारे में पूछा।
शेफाली जी कहती हैं, 'कढ़ाही एक बहुत ही जरूरी बर्तन है और रसोई में इसकी गैरमौजूदगी में खाना पक पाना कठिन हो जाता है। आमतौर पर अब लोग रसोई में तरह-तरह की धातुओं और मिट्टी की कढ़ाही का भी इस्तेमाल करते हैं। मगर हर घर की रसोई में एक लोहे की कढ़ाही जरूर होती है। इस कढ़ाही में पका खाना तो सेहत के लिहाज से अच्छा होता ही है, साथ ही इसका रखरखाव आपके जीवन पर भी प्रभाव डालता है। इसके लिए वास्तु के साथ-साथ राहु की स्थिति को समझना भी जरूरी होता है।'
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राहु का स्वभाव
राहु का स्वभाव है कि वह जातक के मूड को प्रभावित करता है। जातक के सोचने की दिशा को बदल देता है। यहां तक की जातक को सपने भी बुरे आने लग जाते हैं, जो सेहत को प्रभावित करते हैं। धातुओं में लोहा राहु का प्रतिनिधित्व करता है, जिसकी मदद से राहु के अशुभ फलों पर विराम लगाया जा सकता है और शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। रसोई में लोहे का तवा और कढ़ाही भी राहु का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राहु के शुभ-अशुभ फल
राहु अगर जातक की राशि में तीसरे, छठे व दसवें भाव का कारक है तो वह शुभ फल देता है, वहीं अगर जातक की कुंडली में बुध और मंगल जब बारहवें भाव में होते हैं तो राहु अशुभ फल देता है।
कढ़ाही कैसी होनी चाहिए
अगर आपकी कुंडली में शनि और राहु ग्रह अशांत हैं और आपके जीवन में मुसीबतें खड़ी कर रहा है, तो आपको लोहे की कढ़ाही में भोजन पकाना चाहिए। शनि को शांत करने के लिए आप लोहे की कढ़ाही में मूंगफली को तल कर उसका सेवन कर सकती हैं, यह उपाय राहु को शांत करने में भी मददगार साबित होगा। कोशिश करें कि लोहे की जली हुई कढ़ाही का प्रयोग न करें, इससे दोनों ग्रहों की स्थिति प्रभावित होगी और वह ज्यादा अशुभ फल देने लग जाएंगे।
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रसोई में किस दशा में रखनी चाहिए कढ़ाही
- आमतौर पर महिलाएं कढ़ाही में भोजन पकाने के बाद पके हुए भोजन को अन्य बर्तन में निकालने के स्थान पर उसी में छोड़ देती हैं। ऐसा हरगिज़ न करें। कढ़ाही में भोजन के पकने के बाद उसे किसी दूसरे बर्तन में निकाल लें और फिर उसे खाने की प्लेट में परोसें।
- इस बात का भी आपको ध्यान रखना है कि कभी भी कढ़ाही में रखी खाने की वस्तु को डायरेक्ट उसमें से लेकर खाने की जगह पहले उसे किसी प्लेट में निकाल लें। दरअसल, यह आप कढ़ाही में रखी सामग्री को डायरेक्ट खाते हैं, तो इसे शनि प्रभावित होता है, जिससे जातक के विवाह में बाधा आ सकती है।
- कढ़ाही को कभी भी उल्टा करके न रखें। हो सके तो आपको कढ़ाही को ऐसे स्थान पर टांग देना चाहिए जहां से उसके सीधे हिस्से को देखा जा सके। कढ़ाही को उल्टा रखने पर आपको राहु ग्रह के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है।

किस दिशा में रखें कढ़ाही
कढ़ाही की गिनती क्योंकि भारी बर्तनों में होती है इसलिए रसोई में उसे दक्षिण दिशा तथा नैऋत्य दिशा में रखना चाहिए। नैऋत्य कोण दक्षिण-पश्चिम के मध्य के स्थान को कहते हैं। इस दिशा के स्वामी राहु-केतु हैं। शास्त्रों के अनुसार नैऋत्य कोण में ऊंचा और भारी सामान रखना चाहिए।
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Image Credit: thecalcuttagirl, Shutterstock
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