दूर्वा या डूब को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र घास की तरह पूजा जाता है। इस पवित्र घास का इस्तेमाल मुख्य रूप से गणपति की पूजा में किया जाता है। सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार जो भक्त इस घास को गणपति पूजन में नियमित रूप से विशेष बातों का ध्यान रखते हुए अर्पित करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अगर आप भी गणपति को दूर्वा चढ़ाती हैं तो आपको इसके नियमों को भी जरूर जान लाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गणपति पूजन में दूर्वा घास का जितना महत्व है उससे ज्यादा इसे अर्पित करने का तरीका और संख्या मायने रखती है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहियासेजानें कि आपको किस तरीके से दूर्वा घास अर्पित करनी चाहिए जिससे घर की सुख समृद्धि बनी रहे और गणपति पूजन का पूर्ण फल मिले।
गणपति को दूर्वा चढ़ाने का कारण
गणपति को दूर्वा घास चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक राक्षस अनलासुर था जिससे सभी परेशान थे। उसके प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए गणपति ने उसे निगल लिया।
उसके प्रभाव से उनके पेट में जलन होने लगी। इस अग्नि को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने उन्हें दूर्वा घास खिलाई, उससे उनकी अग्नि शांत हुई और तभी से गणपति को दूर्वा (गणपति को क्यों चढ़ाई जाती है दूर्वा) पसंद है। ऐसा माना जाता है कि जो भी उन्हें दूर्वा चढ़ाता है उसकी समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है।
गणपति को चढ़ने वाली दूर्वा कैसी होनी चाहिए ?
ज्योतिष के अनुसार श्री गणपति को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए। दूर्वा घास क्षत-विक्षत नहीं होनी चाहिए। दूर्वा के डंठल में 3, 5 या 7 जैसी विषम संख्या में पत्ते होने चाहिए।
दूर्वा की लंबाई कितनी होनी चाहिए?
ऐसा माना जाता है कि घर में गणपति की मूर्ति की लंबाई को ध्यान में रखते हुए ही दूर्वा की लंबाई होनी चाहिए। यदि मूर्ति यज्ञ की लकड़ी की ऊंचाई की हो, तो छोटी लंबाई की दूर्वा चढ़ाती चाहिए। दूसरी ओर, मूर्ति बड़ी होने पर भी दूर्वा की लंबाई ज्यादा होनी चाहिए। दूर्वा को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए इसे पानी में भिगोएं फिर उसे अर्पित करें।
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दूर्वा की संख्या कितनी होनी चाहिए?
दूर्वा को हमेशा विषम संख्या में चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसकी संख्या 3, 5, 7 या 21 होनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि यह मूर्ति में शक्ति के अधिक अनुपात में प्रवेश करती है। आमतौर पर श्री गणपति को दूर्वा की 21 कोंपलें चढ़ाई जाती हैं।
यदि हम अंक ज्योतिष की मानें तो 2 +1 = 3 है। श्री गणपति अंक 3 से संबंधित हैं। चूंकि अंक 3 सृजन, पालन और विघटन का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसकी ऊर्जा से 360 तरंगों को नष्ट करना संभव है। ऐसी मान्यता है कि यदि दूर्वा को सम संख्या में चढ़ाया जाए तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
दूर्वा चढ़ाने की सही विधि
यदि आप गणपति को दूर्वा चढ़ाती हैं तो श्री गणपति की मूर्ति का चेहरा छोड़कर उनका पूरा शरीर दूर्वा से ढका होना चाहिए। इस प्रकार, दूर्वा की सुगंध मूर्ति के चारों ओर फैल जाएगी। ऐसा माना जाता है कि चूंकि मूर्ति दूर्वा (दूर्वा के उपाय) से ढकी हुई होती है, इसलिए यह सुगंध गणपति की मूर्ति का रूप धारण कर लेती है और डूब घास भी गणपति के ही रूप में पूजी जाती है।
आप नियमित रूप से गणपति को 21 दूर्वा अर्पित कर सकती हैं और यदि आप बुधवार के दिन किसी मनोकामना की पूर्ति के साथ दूर्वा चढ़ाती हैं तो ये आपके लिए विशेष रूप से फलदायी हो सकता है। 21 दूर्वाओं का एक बंडल ब्रह्मांड से शक्तियों को आकर्षित करके पूरे घर में फैलाता है, जिससे घर में खुशहाली बनी रहती है।
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यदि आप गणपति को दूर्वा अर्पित करती हैं तो आपको इससे जुड़े नियमों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए, जिससे सुख समृद्धि में बढ़ोत्तरी हो सके।
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