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WHY DHOOP GHAS IS USED IN GANESH PUJA

Ganesh Chaturthi Durva Grass Significance 2023: भगवान गणेश को क्यों पसंद है दूर्वा घास?

Ganesh Chaturthi Durva Grass Significance 2023: इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गणेश जी की पूजा में दूर्वा घास का क्या महत्व होता है? 
Editorial
Updated:- 2023-09-18, 13:05 IST

पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। विधि-विधान के साथ भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है और पूजा में गणेश जी पर दूर्वा घास भी चढ़ाई जाती है। क्योंकि बिना दूर्वा घास (जिसे दूब घास भी कहते हैं) के गणेश जी की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गणेश जी की पूजा में दूर्वा घास का क्या महत्व होता है और इसके बिना पूजा अधूरी क्यों होती है?

क्यों भगवान गणेश को चढ़ाया जाता है दूर्वा घास? (Ganesh Chaturthi Durva Grass Significance 2023)

DHOOP GHAS KA PUJA MEI MAHATAV

आपको बता दें कि पूजा में भगवान गणेश जी को  21 दूर्वा की गाठें पूजा करते वक्त 21 बार अर्पित करी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे वह बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। दूर्वा घास के बिना भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके पीछे कई लोक कथा और पौराणिक कथा भी है कि भगवान गणेश को दूर्वा घास क्यों पसंद है?

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राक्षस अनलासुर को निगल लिया था

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पौराणिक कथा के अनुसार एक बार अनलासुर नाम का एक राक्षस था। वह राक्षस साधुओं को जिंदा ही निगल लेता था। जिसके प्रकोप से चारों तरफ उस समय हाहाकार मचा था।

फिर सभी साधुओं और संतों ने मिलकर भगवान गणेश जी की प्रार्थना करना शुरू की और अनलासुर के बारे गणेश जी को बताया था। गणेश जी फिर राक्षस अनलासुर के पास गए थे फिर उस राक्षस को ही उन्होंने निगल लिया था।

इसके बाद उनको सही से पाचन ना होने कि वजह से बहुत तेज से पेट के अंदर जलन होने लगी। तभी कश्यप ऋषि ने उस ताप को शांत करने के लिए गणेशजी को 21 दूर्वा घास खाने को दी थी। इससे गणेशजी का ताप शांत हो गया था। इस कारण की वजह से यह माना जाता है कि गणेश जी दूर्वा घास चढ़ाने से जल्द प्रसन्न होते हैं।

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कैसे हुई भगवान गणेश जी की भूख शांत?

इसके अलावा गणेश पुराण में एक कथा में यह भी बताया है कि नारद जी भगवान गणेश जी को जनक महाराज के अंहकार के बारे में बताते हैं और कहते हैं कि वह स्वयं को तीनों लोकों के प्रथम स्वामी हैं। इसके बाद गणेश जी ब्राह्मण का वेश धारण कर मिथिला नरेश के पास उनका अंहकार चूर करने के लिए पहुंच गए थे।

तब गणेश जी जो ब्रह्माण के रूप में थे उन्होंने कहा कि वह राजा की महिमा सुनकर इस नगर में पहुंचे हैं और बहुत दिनों से भूखे हैं। तब जनक महाराज मिथिला नरेश ने अपने सेवादारों से ब्राह्मण(गणेश जी) देवता को भोजन कराने के लिए कहा। फिर गणेश जी पूरे नगर के अन्न खा गए थे लेकिन उनकी तब भी भूख शांत नहीं हुई। इस बात की जानकारी राजा को मिली और उसने अपने अंहकार के लिए गणेश जी से क्षमा मांगी।

 

तभी ब्राह्मण रूप में ही गणेश जी एक गरीब ब्राह्मण जिसका नाम त्रिशिरस था। वह उसके घर के पर पहुंचते हैं। जहां पर उनको भोजन कराने से पहले ब्राह्मण त्रिशिरस की पत्‍नी विरोचना ने गणेश जी को दूर्वा घास दिया था।

जिसे खाते ही भगवान गणेश की भूख शांत हो गई थी और वह पूरी तरह प्रसन्न हो गए थे। बाद में भगवान गणेश जी ने दोनों को मुक्ति का आशीर्वाद भी दिया था। तब से गणेशजी को दूर्वा घास जरूर चढ़ाया जाता है। 

 

तो यह थी गणेश जी से जुड़ी हुई जानकारी।

 

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Image Credit- freepik/unsplash

 

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