यह तो हम सभी को पता है कि जीवन में हमारे द्वारा लिए गए फैसलों पर ही भविष्य निर्भर करता है। कई बार हम सिर्फ वर्तमान परिस्थितियों के बारे में ही सोचकर फैसले लेते हैं और कुछ वक्त बाद हमें अहसास होता है कि हमारे द्वारा लिया गया फैसला उतना लाभदायी नहीं था। इसलिए तो कहा जाता है कि हमेशा कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार भविष्य के बारे में जरूर विचार करना चाहिए। हो सकता है कि शुरूआत में जो चीज कठिन लग रही हो, वही बाद में अधिक लाभ पहुंचाए। इसलिए हर फैसले को बेहद सोच-समझकर लिया जाना चाहिए। हालांकि बच्चों में इस समझ को विकसित कैसे किया जाए। चूंकि बच्चे मासूम होते हैं और वह सिर्फ उसी पल की खुशी के बारे में सोचते हैं। बच्चे के लिए अधिक बेहतर डिसीजन लेने की आदत डालना वास्तव में इतना भी मुश्किल नहीं है, जितना वास्तव में नजर आता है। अगर आप कुछ आसान छोटे-छोटे टिप्स अपनाती हैं तो इससे आप बच्चे को बेहतर डिसीजन लेना और अपने लिए अच्छे विकल्प चुनना सिखा पाएंगी। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
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बताएं रिजल्ट
अगर आप चाहती हैं कि बच्चे अपने लिए सही फैसला लें तो आप उनके लिए फैसला करने की जगह उन्हें दोनों ऑप्शन के फायदे व नुकसान के बारे में बताएं और फिर उन्हें खुद फैसला लेने दें। मसलन, अगर बच्चे के सामने हेल्दी फूड और जंक फूड है तो आप उन्हें यह ना कहें कि वह हेल्दी फूड खाएं। बल्कि आप उन्हें बताएं कि हेल्दी फूड से उन्हें क्या लाभ होंगे और जंक फूड के क्या नुकसान हैं। जब आप उन्हें इसके बारे में डीटेल से व प्यार से बताएंगी तो वह खुद-ब-खुद हेल्दी फूड का ऑप्शन चुनेंगे।
करने दें गलती
बच्चे में किसी भी अच्छी आदत का संचार करने के लिए पैरेंट्स में धैर्य का होना बेहद जरूरी है। कई बार दो ऑप्शन होने पर बच्चे गलत ऑप्शन भी चुन लेते हैं। इस स्थिति में पैरेंट्स उन्हें मना करके उनके लिए बेहतर ऑप्शन चुनते हैं। जबकि यह तरीका गलत है। अगर बच्चा गलती कर रहा है तो उसे गलती करने दें। क्योंकि जब वह खुद गलती करेगा तो उस गलती से उसे सीख भी मिलेगी, जो उसे ताउम्र याद रहेगी। मसलन, अगर बच्चा अपना स्कूल होमवर्क करने की जगह खेलना चाहता है तो आप उसे एक बार उसके फायदे व नुकसान बता दें और फिर उसके बाद उसे फोर्स ना करें। अगले दिन ऑनलाइन क्लॉस के समय जब टीचर उससे सवाल पूछेगी और वह जवाब नहीं दे पाएगा तो यकीनन उसे अहसास होगा कि उसे पहले पढ़ना चाहिए और फिर उसके बाद खेलना।
वास्तविक जीवन से कराएं परिचय
अमूमन मां बच्चे को अपने आंचल के नीचे छिपाना चाहती हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि जब तक आप उसे वास्तविक दुनिया से परिचय नहीं करवाएंगी, वह कभी भी एक बेहतर निर्णय लेना नहीं सीख पाएगा। मसलन, अगर आपने बच्चे को स्मोक करते हुए देखा है तो उसकी शिकायत किसी दूसरे से करने या फिर बच्चे पर गुस्सा करने और उसे दंड देने की जगह आप इंटरनेट से कुछ फोटो व वीडियोज डाउनलोड करें और उसे बताएं कि उसके द्वारा लिया गया निर्णय कितना सही व गलत है। जब वह फिल्मी दुनिया या फिर अपनी काल्पनिक दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया को अपनी आंखों से देखेगा तो यकीनन वह खुद के लिए सही डिसिजन लेना सीखेगा।
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उसकी रूचि को बनाएं जरिया
हर बच्चे के अपने इंटरस्ट व रोल मॉडल होते हैं। बाहर से देखने पर बच्चे को सिर्फ उसके अच्छे प्वांइट्स ही नजर आते हैं, लेकिन आप उन्हें इसकी वास्तविकता बताएं। मसलन, अगर वह किसी प्लेयर या फिर किसी अभिनेता को अपना रोल मॉडल मानता है तो आप उसे उसके संघर्ष के समय के बारे में बताएं। इससे उसे पता चलेगा कि जीवन में कुछ भी पाना इतना आसान नहीं है। मेहनत और सही निर्णय ही आपको आगे लेकर जाते हैं। जिससे वह शार्टकट अपनाने की जगह खुद के लिए सही निर्णय करना सीखेगा। साथ ही किसी भी फैसले को लेने से पहले वह उसके दूरगामी परिणामों के बारे में भी जरूर सोचेगा।
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