बच्चों से निजी बातें करना आसान नहीं होता है। वो किसी भी बात का बड़ा मतलब निकाल सकते हैं और आगे चलकर ऐसी बातें उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन सकती हैं। अगर बच्चे को कोई समस्या है तो उसे इसके बारे में बात करने की समझ होनी चाहिए। अधिकतर लोग इस चीज़ से झिझकते हैं कि वो अपने बच्चों से किस तरह से बात करेंगे, लेकिन असल मायने में ये जरूरी है कि आप बच्चों से निजी बातें करें और उन्हें ये बताएं कि आखिर क्यों उनके लिए ये जानकारी अहम है।
बच्चों से निजी बात करने का सही तरीका क्या है इस बारे में हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की।
डॉक्टर भावना ने हमें बताया कि माता-पिता ही नहीं बल्कि इस बारे में दादा-दादी, दोस्त या टीचर कोई भी चिंतित हो सकता है। सही दिशा देना और उनके बारे में सही जानकारी रखना बहुत जरूरी है। ये बहुत मुश्किल होता है कि आप अपने बच्चों के बारे में सही जानकारी ले सकें और ये समझ सकें कि आखिर उन्हें समस्या क्या हो रही है।
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बच्चे बहुत ही इंट्रोवर्ट और परेशान हो जाते हैं अगर घर पर कोई समस्या हो और माता-पिता हमेशा ही लड़ते रहें, घर पर तलाक हो या फिर परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए। बच्चों को इस तरह की समस्याओं के लिए तैयार करना भी जरूरी है। ऐसे में आपको ये ध्यान रखना है कि अगर बच्चा रिएक्ट नहीं कर रहा है तो उसके सामने इस तरह की चीज़ों को थोड़ा कम रखें।(ऐसे बढ़ाएं बच्चों का आत्मविश्वास)
अगर आपको बच्चों से कोई निजी बात करनी है तो आप इन स्टेप्स को जरूर फॉलो करें-
बच्चे अपने खेल को और शब्दों के द्वारा ही अपने मन की बात बताने की कोशिश करते हैं और उनके साथ समय बिताकर ये जरूरी है कि आप उनकी फीलिंग्स के बारे में समझें। आपको जो बात करनी है वो करने से पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि बच्चों की मन स्थिति क्या है। ऐसे बच्चे जो स्ट्रेस में होते हैं या फिर बहुत ज्यादा डिस्टर्ब रहते हैं वो अपने खिलौनों के साथ लड़ने की कोशिश करते हैं। घर की चीज़ों को तोड़ने-फोड़ने की कोशिश करते हैं। ऐसे में ये आपकी जिम्मेदारी बन जाती है कि कोई भी बात करने से पहले बच्चों की स्थिति को समझें।(टीनएज बच्चों की परेशानियों का ऐसे लगाएं पता)
ऐसे कई बच्चे होते हैं जो इस तरह की बातों से झेंप जाते हैं और ना ही अपनी परेशानी बता पाते हैं या फिर ना ही वो लोग आपकी बातें सुन पाते हैं। ऐसे में कई बार माता-पिता बच्चे के व्यवहार को देखकर इरिटेट हो जाते हैं। ये बिल्कुल नहीं करना है, बच्चों से कहें, 'तुम्हे मुझे जो भी बताना है वो बताओ', 'अगर तुम्हारे पास समय है तो हम बात कर सकते हैं', 'आज मैं बहुत जरूरी बात करना चाहती हूं, क्या तुम सहज महसूस कर रहे हो?'
ऐसा हो सकता है कि अगर आप उससे निजी बातें करें तो आपका बच्चा आपको पहले की किसी घटना के बारे में बताए। माता-पिता के लिए ये दुस्वप्न जैसा हो सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप बच्चे को पहले इसके बारे में ना बताने के लिए डांटें, या उसकी बात ना सुनें। या एकदम से बहुत ही ज्यादा शॉकिंग रिएक्शन दें जिससे बच्चा डर जाए। ये आपके साथ-साथ बच्चे के लिए भी बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
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कभी भी ऐसी चीज़ों को समझाते समय भारी शब्दों का प्रयोग ना करें बल्कि आराम से बच्चों को समझाने की कोशिश करें। भारी शब्द या फिर आपके दबे हुए रिएक्शन उन्हें ये अहसास दिला सकते हैं कि आप जिसके बारे में बात कर रहे हैं वो गलत है। आप उसके बारे में ध्यान से बात नहीं कर पाएंगे।
बच्चों को सही और सच बताना बहुत जरूरी है जो उन्हें आसानी से समझ आए। माता-पिता का झेंपना बच्चे की जिज्ञासा को और बढ़ा सकता है और ऐसे में ये जानकारी रखना बहुत जरूरी है कि बच्चा गलत जगहों से भी ऐसी जानकारी ले सकता है। खुलकर बात करने से कई समस्याएं हल हो सकती हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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