Naye Akhade Ka Nirman Kaise Hota Hai: महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। आम लोगों से लेकर बड़े सेलेब्रिटी तक सभी इसका हिस्सा बनना चाहते हैं। हर रोज लाखों लोग इस सम्मेलन का हिस्सा बन रहे हैं। इस दौरान अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संतों की भी भीड़ देखने को मिल रही है। महाकुंभ में ऐसे कई साधु और संत भी देखने को मिल रहे हैं, जो वर्षों से किसी एकांत स्थान पर तपस्या कर रहे थे।
महाकुंभ मेले में देशभर के कोने-कोने से साधु-संत शामिल होने आए हैं। सभी 13 अखाड़े के साधु-संत महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे हैं। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर देश में नए अखाड़े बनते कैसे हैं? आइए जानें, नए अखाड़े कैसे बनाए जाते हैं? इसके लिए आवेदन कहां और कैसे देना होता है?
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महाकुंभ में शामिल हो रहे अखाड़ों को आस्था के नजरिए से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। साधु-संतों के बड़े समूहों को ही अखाड़ा कहा जाता है। बता दें कि ये अखाड़े हमेशा से ही भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा रहे हैं। इनका इतिहास बहुत ही पुराना है।
अखाड़ा साधुओं का एक ऐसा समूह होता है, जो शास्त्रों के साथ-साथ शस्त्र विद्या में भी परिपूर्ण होता है। एक अखाड़े के पास हाथी-घोड़े की सजावट, शाही सवारी, घंटा-नाद, नागा-अखाड़ों के करतब और तलवार से लेकर बंदूक तक होती है। भारतीय अखाड़ों का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है। बहुत से संतों का ऐसा मनाना है कि जो लोग शास्त्र से बात नहीं मानते, उन्हें शस्त्रों से मनाने के लिए अखाड़ों का जन्म हुआ है।
अखाड़ों की अपनी एक अलग व्यवस्था चलती है। 13 अखाड़ों का संचालन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है। किसी भी नए अखाड़े को बनाने के लिए पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की रजामंदी लेनी पड़ती है। अखाड़े का निर्माण करने के लिए अखाड़ा परिषद् में अर्जी देनी पड़ती है। इसके लिए पहले उन्हें नए अखाड़ें की जरूरत है और उसकी धर्म की रक्षा के लिए क्या आवश्यकता है, इन तथ्यों के बारे में बताना होता है। वहीं, अखाड़े का निर्माण होने पर उनकी अगुवाई महामंडलेश्वर करते हैं।
नए अखाड़े का निर्माण करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में अवादेन करना होता है, जो मुख्य तौर पर प्रयागराज में सक्रिय है। अखाड़ा बनाने से पहले उसके अनुयायियों की संख्या, समाज में प्रतिष्ठा और उनके धर्म ज्ञान को परखा जाता है। अखाड़ा परिषद से मान्यता मिलने के बाद ही किसी नए अखाड़े का निर्माण होता है और इसके बाद ही कोई अखाड़ा शोभा यात्रा, धार्मिक यात्रा और पवित्र स्नान कर सकता है।
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Image Credit:Her Zindagi
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