(How to do lord hanuman puja at home) हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां अंजनी और वानरराज राजा केसरी के घर बजरंगबली का जन्म हुआ था। इस दिन हनुमान जी के साथ-साथ भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा-अर्चना करने का महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो सकते हैं। अब ऐसे में अगर आप हनुमान जन्मोत्सव के दिन मंदिर जाने में सक्षम नहीं हैं, तो इस दिन घर पर किस विधि से पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
हनुमान जन्मोत्सव के दिन इस विधि से करें पूजा (Ghar par Hanumanji ki Puja Kaise Kare 2024)
- हनुमान जन्मोत्सव के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर हनुमान जी को प्रणाम कर दिन अपनी दिन की शुरुआत करें। उसके बाद स्नान-ध्यान करें।
- अपनी हथेली में जल लेकर 'ॐ केशवाय नम:, ॐ नाराणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ हृषीकेशाय नम: मंत्र का उच्चारण करें।
- इसके बाद लाल रंग का वस्त्र धारण करें और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- हनुमान जन्मोत्सव के दिन एक चौकी लें और उसपर लाल वस्त्र बिछाएं। फिर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल सिंदूर, अक्षत, फूल अर्पित करें।
- पवनपुत्र को लाल मिठाई का भोग अवश्य लगाएं।
- इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है। इसलिए आसन पर बैठकर 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें।
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- पूजा करने के बाद हनुमान जी की आरती करें।
- हनुमान जी की पूजा करने के साथ-साथ श्रीराम जी की पूजा अवश्य करें। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सकता है।
- अगर आप हवन करना चाहते हैं, तो हवन दोपहर से पहले कर लें।
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सिन्दूर अर्पित के समय इस मंत्र का करे जाप (Lord Hanuman Mantras)
- दिव्यनागसमुद्भुतं सर्वमंगलारकम् |
- तैलाभ्यंगयिष्यामि सिन्दूरं गृह्यतां प्रभो ||
फूल अर्पित करते समय करें इस मंत्र का जाप
- नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारैः कमलैरपि |
- कुमुदैः पुण्डरीकैस्त्वां पूजयामि कपीश्वर ||
- पंचामृत अर्पण के दौरान मंत्र जाप
- मध्वाज्य क्षीर दधिभिः सगुडैर्मन्त्रसन्युतैः |
- पन्चामृतैः पृथक् स्नानैः सिन्चामि त्वां कपीश्वर ||
अर्घ्य अर्पण करते समय मंत्र जाप
- कुसुमा-क्षत-सम्मिश्रं गृह्यतां कपिपुन्गव |
- दास्यामि ते अन्जनीपुत्र | स्वमर्घ्यं रत्नसंयुतम् ||
क्षमा याचना के लिए मंत्र
- मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |
- यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ||
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