सिल्क की साड़ी यकीनन ग्रेसफुल होती है। इसकी मेंटेनेंस भी आसान नहीं है। पर लोग अपने शौक के लिए इसे रखते जरूर हैं। सिल्क अगर खरीदने की बात की जाए, तो इसकी कीमत भी कम नहीं होती है। पर आखिर सिल्कवर्म से साड़ी बनने तक का प्रोसेस क्या है? आखिर क्यों हज़ारों सालों से रेशम को ही सबसे बेस्ट माना जाता है? इसे दुनिया के सबसे महंगे फैब्रिक में से एक माना जाता है। समय के साथ-साथ इसका प्रोडक्शन थोड़ा आसान जरूर हो गया, लेकिन मॉर्डन तकनीकों के बाद भी इसका प्रोडक्शन इतना आसान नहीं है।
सिल्क को बनाना अभी भी आसान नहीं है। सबसे महंगा सिल्क नेचुरल चीजों से ही निकलता है। मैं आपको बता दूं कि सिल्क सिर्फ कीड़े से ही नहीं, बल्कि कुछ खास तरह के पौधों से भी निकाला जाता है। जैसे जापानी लोटस सिल्क बहुत फेमस और महंगा धागा होता है। सिल्क की कई वैरायटी होती है, लेकिन सबसे कॉमन सिल्कवर्म के लार्वा द्वारा बनाई गई वैरायटी ही है।
यहां मुर्गी के अंडों की बात नहीं हो रही है, बल्कि सिल्कवर्म के अंडों की बात है। सेरीकल्चर एक टर्म है जिसे सिल्कवर्म की खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। एक बार में एक मादा वर्म 300 से 500 अंडे देती है। इन सभी अंडों को एक जगह पर रखा जाता है जिनमें से लार्वा निकलते हैं। इन लारवा से ही काम होता है।
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हर एक सिल्कवर्म को मैनुअली अलग किया जाता है। उन्हें छोटे-छोटे कंपार्टमेंट्स में रखा जाता है। इन कंपार्टमेंट्स में शहतूत की पत्तियां भी होती हैं। सिल्कवर्म इन पत्तियों को खाते हैं और 3 इंच तक बढ़ जाते हैं। जब इनका खाना बंद होता है तब ये अपना कोकून बनाना शुरू करते हैं। इस पूरे प्रोसेस में 3 से 8 दिन लग जाते हैं।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि एक सिल्कवर्म सिल्क का एक ही धागा बना देते हैं जो 100 मीटर तक लंबा हो सकता है। यह धागा उनके अगल-बगल नेचुरल गम से चिपका होता है। आधा किलो सिल्क बनने में 2600 से 3000 सिल्कवर्म को मेहनत करनी होती है।
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अब सिल्क बनाने का सबसे मुश्किल प्रोसेस आता है। सिल्कवर्म वाले कोकून को उबलते हुए पानी में डाला जाता है ताकि सिल्क थ्रेड आसानी से निकल सके। अगर तापमान थोड़ा ज्यादा हुआ, तो सिल्क के धागे को डैमेज हो जाएगा। सिल्क का धागा जिस तरह से बनाया गया है उसी तरह से एक्सट्रैक्ट होता है।
यहां धागे को बार-बार धोया भी जाता है जिससे उसका नेचुरल गम निकल जाए। इसके बाद धागा लपेटा जाता है। इस प्रोसेस में कई घंटे लग जाते हैं।
अब धागे को ब्लीच करने के बाद सुखाया जाता है। फिर शुरू होती है सिल्क को डाई करना। इसका डाई भी नेचुरल चीजों से बनाया जाता है। इससे सिल्क की क्वालिटी पर असर नहीं पड़ता है। अलग-अलग धागों को बंडल्स में बांधकर डाई किया जाता है। इसे कई दिनों तक बार-बार किया जाता है। ऐसा करने से सही कलर टोन और क्वालिटी बनती है। हां, जिस सिल्क को केमिकल डाई से डाई किया जाता है, वो जल्दी तैयार हो जाता है।
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इतने लंबे प्रोसेस के बाद डाई किए हुए धागे को सुखाया जाता है। इसे अब स्पिन किया जाता है। स्पिनिंग प्रोसेस अब इंडस्ट्रियल हो गया है जिससे यह बहुत ही ज्यादा जल्दी होने लगा है। सिल्क के धागे इसी प्रोसेस में कपड़ा बनाने के लिए तैयार होते हैं।
अब ये धागे लूम में जाते हैं। पावर लूम और हैंड लूम दोनों ही तरह से सिल्क की साड़ी बनाई जा सकती है। इन्हीं धागों को एक तय पैटर्न में बुना जाता है। धीरे-धीरे बुनाई करने के बाद एक साड़ी तैयार होती है। इसी प्रोसेस से कपड़ा भी बनता है। अगर हैंडलूम की बात करें, तो एक साड़ी को बनने में 4-5 दिन से लेकर 2-3 महीने तक का समय भी लग सकता है। पावर लूम इस प्रोसेस को 1 दिन में कर सकता है।
यही कारण है कि सिल्क इतना महंगा होता है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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