मच्छरों, जो मलेरिया के लिए जिम्मेदार होते हैं, अक्सर ठहरे हुए पानी में प्रजनन करते हैं। इसलिए, मलेरिया से बचाव के लिए कूलर का पानी नियमित तौर पर बदलना जरूरी होता है।
मलेरिया से बचने के लिए, कूलर का पानी कम से कम हफ्ते में एक बार बदलना चाहिए। इसके साथ ही, कूलर की टंकी को भी साफ करना चाहिए। कूलर के पानी को साफ करने के लिए, आप मिट्टी के तेल, नींबू के रस में सिरका मिलाकर, डिटर्जेंट, विनेगर, या लुब्रिकेंट ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर, कूलर की टंकी में केरोसिन का तेल भी डाला जा सकता है, जिससे मच्छरों के पैदा होने से रोका जा सकता है। कूलर पैड को भी साफ करना चाहिए और समय-समय पर पैड खोलकर धूप भी लगानी चाहिए।
कूलर में होने वाले मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए, हफ़्ते में दो बार कूलर के पानी में फिनाइल के 2-3 ढक्कन डालें।
मच्छरों को मारने या उन्हें कूलर के पानी में पनपने से रोकने के लिए, हफ़्ते में करीब 2 बार कूलर के पानी में मिट्टी का तेल डालें।
पानी में बर्फ मिलाने से पैड ठंडे हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ठंडी हवा उनमें से गुजरती है।
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कूलर के पानी को 5-6 दिन में बदलना चाहिए। इससे कूलर में मौजूद गंदगी भी साफ हो जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज के मुताबिक, डेजर्ट कूलर का पानी हफ्ते में एक बार जरूर बदलना चाहिए। कूलर के पानी में धूल-मिट्टी और घास गिर जाती है, जिससे पानी में बदबू आने लगती है। कूलर को धूप में रखने पर भी पानी में जल्दी बैक्टीरिया पनपते हैं और बदबू आने लगती है। कूलर के वाटर टैंक को भी हर हफ़्ते साफ करना जरूरी है। इसे मिट्टी के तेल, नींबू के रस में सिरका मिलाकर, डिटर्जेंट, विनेगर, या लुब्रिकेंट ऑयल से साफ किया जा सकता है।
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एयर कूलर में साफ, ठंडा पानी डालना चाहिए। गर्मी में घर की टंकी का पानी गर्म रहता है, इसलिए कूलर में गर्म पानी डालने से ठंडी हवा नहीं मिलती। पानी की टंकी में बर्फ या ठंडा पानी डालने से कूलर की शीतलन शक्ति बढ़ सकती है। कुछ एयर कूलर शीतलन दक्षता में सुधार के लिए पानी के बजाय बर्फ का उपयोग करने का विकल्प भी देते हैं।
एयर कूलर में बहुत कठोर या अशुद्ध पानी डालने से खनिज जमा हो सकते हैं और चलने में प्रभावित हो सकता है। पानी की टंकी और कूलिंग पैड को हर कुछ हफ़्तों में या उपयोगकर्ता मैनुअल में बताए अनुसार साफ करना चाहिए। समय के साथ धूल और खनिज जमा हो सकते हैं, जिससे शीतलन क्षमता कम हो जाती है।
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