देश-दुनिया के अधिकतर लोग एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए ट्रेन में सफर करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी भारी-भरकम लोहे की ट्रेन को चलाने में कितने डीजल की जरूरत पड़ती है। रास्ते में इसे कितने बार फुल किया जाता है। एक बार फुल करने पर ट्रेन कितनी दूरी तय करती है। अगर आपके दिमाग में ये सारे सवाल नहीं आए या आपको इसका जवाब नहीं है, इस लेख में आज हम आपको इन प्रश्नों के उत्तर के बारे में बताने जा रहे हैं। ये सब सवाल पढ़ने या सुनने में जितना मजेदार लगता है उसका जवाब उतना ही आपको हैरान कर सकता है।
ट्रेन के डीजल इंजन की टंकी का आकार और क्षमता, ट्रेन के प्रकार और मॉडल के आधार पर अलग-अलग होती है। हालांकि,सामान्य तौर पर एक डीजल इंजन की ईंधन टंकी की क्षमता लगभग 4000 लीटर से लेकर 6000 लीटर तक होती है। कुछ बड़े डीजल इंजन, जैसे कि मुख्य लोकोमोटिव में ईंधन की टंकी 8000 लीटर तक भी हो सकती है। बता दें कि ये क्षमता ट्रेन के ईंधन की खपत, रूट और चलाने की गति के हिसाब से तय की जाती है। टंकी भरने के बाद, यह ट्रेन को 500-1000 किलोमीटर या इससे भी अधिक तक यात्रा करने में सक्षम हो सकती है। (मालगाड़ी में कितने कोच होते हैं?)
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ट्रेन की डीजल खपत प्रति किलोमीटर, ट्रेन के प्रकार, वजन, ट्रैक की स्थिति और गति पर निर्भर करती है। आमतौर पर, डीजल इंजन वाली ट्रेनों में 1 किलोमीटर में 2-4 लीटर डीजल की खपत हो सकती है, लेकिन यह एक औसत अनुमान है। वहीं 12 डिब्बे वाले पैसेंजर ट्रेन को 1 किलोमीटर चलने में लगभग 6 लीटर डीजल लगता है। तेज गति वाली एक्सप्रेस ट्रेन को एक किलोमीटर की दूरी पूरी करने में 4.5 लीटर डीजल लगता है।
अगर 6000 लीटर डीजल वाली टंकी की बात करें, तो अलग-अलग प्रकार की ट्रेनों की दूरी इस प्रकार हो सकती है। पैसेंजर ट्रेन 6000 लीटर डीजल में लगभग 800 से 1000 किलोमीटर तक चल सकती है। वहीं एक्सप्रेस ट्रेन 6000 लीटर डीजल में 1200 से 1500 किलोमीटर तक सफर कर सकती है।
जब ट्रेन रुकती है और फिर चलने लगती है, तो इंजन को अचानक अधिक शक्ति की जरूरत होती है, जिससे डीजल की खपत ज्यादा होती है। बार-बार रुकने से ट्रेन की गति बार-बार बदलती रहती है और ये लगातार त्वरण और ब्रेकिंग की प्रक्रिया में अधिक ऊर्जा का उपयोग करती है, जिससे माइलेज में गिरावट आती है। पहाड़ी इलाकों या चढ़ाई वाली जगहों पर ट्रेन रुकने के बाद फिर से दौड़ने के लिए इंजन को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे खपत बढ़ जाती है।
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