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कैसे इस शहर का नाम पड़ा जम्मू-कश्मीर? जानें इसकी दिलचस्प कहानी

भारत में आजादी के बाद कई अलग-अलग राज्यों का गठन हुआ। कुछ को केंद्रशासित प्रदेश का नाम भी दिया गया। इन सभी में सबसे ज्यादा चर्चित रहा तो वो जम्मू कश्मीर है। आइए आज हम इसी के गठन के बारे में बताते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-07-17, 16:51 IST

History of Jammu and Kashmir: भारत में कई राज्य आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में रहता है। कभी ये अपनी खूबसूरती के लिए सुर्खियों में रहते हैं, तो कभी आंतकवादी हमले या किसी तरह की घटनाओं के कारण ट्रेंड में रहते हैं। भारत में कुल 28 राज्य और 9 केंद्रशासित प्रदेश हैं, जिनमें जम्मू और काश्मीर का नाम काफी चर्चित रहता है। ऐसे में आज हम भी आपको इसी राज्य के बारे में बताने वाले हैं। दरअसल, हम आपको बताएंगे कि आखिर इस खूबसूरत राज्य का नाम जम्मू-कश्मीर कैसे पड़ा और इसके पीछे का इतिहास क्या है।

जम्मू का नाम कैसे पड़ा?

history of Jammu and Kashmir

भारत के हर शहर और राज्य का अपना अलग इतिहास है। यहां तक की इनके नाम पड़ने के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। इसी तरह जम्मू और कश्मीर के नाम के पीछे भी एक किस्सा है। दरअसल, जम्मू शहर का नाम जम्बू लोचन के नाम पर रखा गया है, जो कि 9वीं शताब्दी में शासन करने वाले एक शक्तिशाली सरदार बाहु के भाई थे। कहा जाता है कि जम्बू लोचन राजा बनने के बाद शिकार पर गए थे और तवी नदी को पार करते हुए वे एक हिरण और एक बाघ को एक ही तालाब से पानी पीते हुए देखे थे। फिर, उनके मंत्रियों ने उन्हें समझाया कि इसका मतलब है कि इस स्थान की मिट्टी बेहद पवित्र है। यहां कोई भी जीवित प्राणी किसी दूसरे के प्रति शत्रुता नहीं रखता है। ऐसा सुनने के बाद राजा जम्बू लोचन ने इसी जगह पर अपनी राजधानी बनाने का फैसला किया, जिसका नाम जम्बूपुरा रखा। यह उनके भाई राजा बाहु के किले के सामने तवी नदी के ठीक दाहिने किनारे पर मौजूद थी। इसी जम्बूपुरा का नाम आगे चलकर जम्मू से मशहूर हो हुआ।

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कश्मीर के नाम के पीछे क्या है कहानी?

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जम्मू की तरह ही कश्मीर के नाम के पीछे भी एक अलग इतिहास है। ऐसा माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर कश्मीर का प्राचीन नाम रखा गया था। मान्यता है कि जलोद्भव नामक राक्षस ने ब्रह्मा के वरदान लेकर आतंक फैला रहा था। इसके बाद देवताओं के आग्रह करने पर पक्षी रूप में भगवती ने राक्षस को मारा था। बाद में वो पत्थर हरी पर्वत बन गया और महर्षि कश्यप ने फिर इस स्थान को बसाया। इसके बाद से यह स्थान कश्मीर के नाम से जाना जाने लगा। इस तरह जम्मू-कश्मीर बना।

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