घर में रबर बैंड का इस्तेमाल ना जाने कितनी चीजों में किया जा सकता है। चिप्स का खुला हुआ पैकेट बांधना हो या फिर बालों को संवारना हो, पेपर को सहेजना हो या फिर रिमोट के पीछे के कवर को कसकर बांधना हो। रबर बैंड का कुछ भी इस्तेमाल हो, लेकिन एक बात तो तय है कि जब भी इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब यह मिलती ही नहीं है। दो रुपये में गुच्छा भर रबर बैंड आपको बाजार में आसानी से मिल जाएगी, लेकिन कभी सोचा है कि इतनी छोटी सी चीज आखिर बनती कैसे है?
यह रबर पेड़ से बनती है यह तो पता है, लेकिन इसे बनाने का असल प्रोसेस भी जान लेना जरूरी है। इंस्टाग्राम इंफ्लूएंसर @foodexplorerlalit अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस तरह के वीडियोज शेयर करते रहते हैं। ललित के 6 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं और वह देश-विदेश के खाने को ट्राई करने हैं, उसका रिव्यू करते हैं और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजें कैसे बनती हैं उसकी जानकारी अपने पेज पर वीडियो फॉर्म में शेयर करते हैं।
किस चीज से बनाया जाता है रबर बैंड
इसका बेस मटेरियल रबर प्लांट का दूध ही होता है। हालांकि, इन्हें बनाने के लिए बहुत सारे दूध की जरूरत होती है और कई घंटों में इसे बाल्टियों में इकट्ठा किया जाता है। एक बाल्टी रबर का दूध भरने के लिए 24 घंटे से 48 घंटे तक का समय लग सकता है।
एक ड्रम भर रबर के दूध से लाखों रबर बैंड बनाए जा सकते हैं। हालांकि, इस प्रोसेस में कई अलग-अलग स्टेप्स होते हैं।
इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं कैसे बनता है मखाना? जानें इससे जुड़े मिथक
रबर के सफेद दूध में मिलाया जाता है रंग
दूसरा स्टेप होता है रबर के दूध को प्रोसेस करते हुए रंग मिलाने का। इस स्टेप में किसी रॉड की मदद से रबर के दूध को बहुत ज्यादा घोटा जाता है और धीरे-धीरे उसमें रंग मिलाया जाता है। इस प्रोसेस में रबर के घोल को कई बार मिलाया जाता है ताकि रंग एक जैसा मिक्स हो जाए।
View this post on Instagram
रबर मिक्सचर को डाला जाता है सांचे में
इसके बाद का प्रोसेस कुछ तकनीकी है। भले ही वीडियो में यह ना दिख रहा हो, लेकिन किस तरह के सांचे में इस मिक्सचर को डालना है वह उसके साइज और रबर के घोल के गाढ़ेपन से देखा जाता है। रबर बैंड के तीन मुख्य साइज होते हैं, फ्लैट लेंथ (चपटा रबर बैंड जिसकी लंबाई ज्यादा होती है), कट विड्थ (मोटा रबर बैंड जिसकी लंबाई मीडियम होती है), और वॉल थिकनेस (सबसे मोटा रबर बैंड जिसका साइज छोटा होता है)।
साइज के हिसाब से सांचे तैयार होते हैं और रबर के घोल में इन्हें डाला जाता है। रबर बैंड की थिकनेस बढ़ाने के लिए सांचे को दो तीन बार घोल में डाला जाता है।
इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं कैसे बनता है एल्युमीनियम फॉइल, जिसमें इतनी आसानी से रैप कर लेते हैं खाना
इसके बाद इसे पानी से धोया जाता है ताकि इसे सेट किया जा सके। इसे सेट करने के लिए थोड़ा इंतजार भी किया जाता है क्योंकि यह घोल सेट होने में समय लगाता है। इसके बाद पानी की मदद से सांचे से रबर मोल्ड को निकाल कर धूप में सुखाया जाता है। इस स्टेज तक यह लचीला हो जाता है, लेकिन इसे थोड़ा और सेट करना होता है।
एक बार यह अच्छे से सूख जाए तो इसे मशीन के जरिए काटा जाता है। अलग-अलग मशीन होती हैं जो अलग-अलग आकार में इन्हें काटती हैं। एक बार रबर बैंड बन गईं फिर ये अलग-अलग कंपनियों में पैक और मैन्युफैक्चर होने चली जाती हैं।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों