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alluminium foil kaise banta hai facts

क्या आप जानते हैं कैसे बनता है एल्युमीनियम फॉइल, जिसमें इतनी आसानी से रैप कर लेते हैं खाना

अगर आपके घर में भी एल्युमीनियम फॉइल का इस्तेमाल होता आया है तो आप ये भी जान लीजिए कि आखिर ये बनती कैसे है।
Editorial
Updated:- 2022-06-22, 14:28 IST

हमारे किचन में ऐसी कई चीज़ें होती हैं जिन्हें रोज़ाना इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कई बार उनके बनने के तरीके और इस्तेमाल के बारे में पता नहीं होता है। वैसे तो एल्युमीनियम के इस्तेमाल को सेहत के लिए सही नहीं माना जाता है, लेकिन हम खाना पकाने के लिए एल्युमीनियम के बर्तन और खाना पैक करने के लिए एल्युमीनियम फॉइल का इस्तेमाल करते हैं।

देखा जाए तो एल्युमीनियम का इस्तेमाल हमेशा ही इंडस्ट्रियल कामों के लिए होता है, लेकिन हम घरों में इतना एल्युमीनियम क्यों इस्तेमाल करते हैं ये तो उसके रूप पर निर्भर करता है। तो चलिए आज बात करते हैं एल्युमीनियम फॉइल की और कैसे इसे बनाया जाता है।

कब हुआ था एल्युमीनियम फॉइल का आविष्कार?

alluminium foil invention

इसके आविष्कार को 1913 से जोड़कर देखा जा सकता है। उस दौर में एक चर्चित कैंडी को पहले एल्युमीनियम फॉइल में रैप किया गया है। पिछले 100 सालों में इसका इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया गया है और अब ये एक ऐसी जरूरत बन गया है जिसे नकारा नहीं जा सकता है।

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कैसे बनता है एल्युमीनियम फॉइल?

  • जैसा कि नाम बता रहा है ये एल्युमीनियम से ही बनता है और इसका प्रोसेस पूरी तरह से मशीनों पर निर्भर करता है।
  • एल्युमीनियम फॉइल के प्योर एल्युमीनियम नहीं बल्कि एलॉय ( alloy) वाला एल्युमीनियम यानि मिक्स मेटल इस्तेमाल किया जाता है।
  • पर इसमें भी 92-99 प्रतिशत तक एल्युमीनियम हो सकता है और इसीलिए कई एक्सपर्ट्स अब इसके इस्तेमाल को सही नहीं ठहराते।
  • सबसे पहले मेटल को पिघलाया जाता है और उसके बाद एक खास मशीन में फिल किया जाता है जिसे रोलिंग मिल कहते हैं।
  • रोलिंग मिल में ही सारा काम होता है और यहां कई वर्कर्स होते हैं जो सेंसर्स का ध्यान रखते हैं।
  • ऐसा इसलिए क्योंकि अगर मिल का प्रेशर 0.01 प्रतिशत भी ऊपर-नीचे हुआ तो एल्युमीनियम फॉइल खराब हो जाएगी और मेटल सूखने के बाद मोड़ने लायक नहीं बचेगा।
  • जब मेटल को रोल कर 0.00017 से 0.0059 इंच की मोटाई का बना दिया जाता है तो इसे कोल्ड रोलिंग मिल में डाला जाता है जिससे ये ठंडा हो जाए।
  • अब यहां दिक्कत ये है कि अगर इसे इसी तरह से इस्तेमाल किया जाएगा तो बहुत पतला होने के कारण सूखने पर मेटल टूटने लगेगा और इसीलिए कोल्ड रोलिंग मिल में दोबारा इसपर मेटल की एक परत चढ़ाई जाती है।
  • तभी सख्त दिखने वाला एल्युमीनियम मेटल इतनी पतली और आसानी से मोड़ी जा सकने वाली चीज़ में बदल दिया जाता है।

क्यों इतना इस्तेमाल किया जाता है एल्युमीनियम फॉइल?

alluminium foil uses

एल्युमीनियम फॉइल का मेकिंग प्रोसेस कुछ इस तरह का होता है कि उसके अंदर ऑक्सीजन, मॉइश्चर और बैक्टीरिया पहुंच नहीं पाता है। यही कारण है कि इसे फूड पैकेजिंग और फार्मा कंपनियों द्वारा इतना इस्तेमाल किया जाता है।

प्रोसेस्ड फूड्स और टेट्रा पैक में भी इसलिए अंदर की तरफ से एल्युमीनियम फॉइल की परत चढ़ाई जाती है। मेटल की क्वालिटी होने के कारण ये रेफ्रिजरेट भी आसानी से किया जा सकता है।

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क्या सुरक्षित होती है एल्युमीनियम फॉइल?

एल्युमीनियम धरती पर मौजूद एक ऐसा मेटल है जिसकी भरमार है। ऐसे में अगर आप देखें तो लगभग हर चीज़ में किसी न किसी तरह से एल्युमीनियम का इस्तेमाल होता है। रिसर्च के अनुसार शरीर में एल्युमीनियम की थोड़ी मात्रा होती ही है और अगर एल्युमीनियम को खाने से इन्जेस्ट कर लिया जाए तो ये यूरिन और स्टूल्स के जरिए निकल जाता है। इसलिए ही एल्युमीनियम फॉइल को खतरनाक नहीं समझा जाता है, लेकिन ये भी एक फैक्ट है कि इसका इस्तेमाल करने से शरीर में एल्युमीनियम कंटेंट बढ़ जाता है।

ऐसे में आपको एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए कि आपके लिए ये सही है या नहीं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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