वो देखो....जहाज...आसमान में उड़ते देख यकीनन यह जुम्ला आपने भी बोला होगा। बचपन में तो जहाज देखने की खुशी अलग ही होती थी। हालांकि, खुशी के साथ कई सवाल भी होते थे कि कैसे जहाज आसमान में आसानी से उड़ता है और अपना रास्ता तय करता है।
एक पायलट सड़क कैसे ढूंढता होगा? कैसे पता चलता है कि कहां उतरना है? हवाई जहाज में कौन-सा तेल डाला जाता है? हवाई जहाज कितने किलोमीटर ऊपर उड़ते हैं? हालांकि,जब हम जहाज में बैठते हैं तो हमारे सवालों के जवाब खुद ही मिल जाते हैं।
ऐसे में अगर कुछ पता नहीं चल पाता वो है कि जब एक पायलट जहाज उड़ाता है, तो वो हमारी मंजिल तक पहुंचाने का काम कैसे करते हैं। उन्हें बादलों से भरे आसमान में सही रास्ता पता कैसे लगता है। अगर आपको भी नहीं पता तो यह लेख आपके काम आ सकता है।
जब पायलट ऐरोप्लेन प्लेन को उड़ाता है तो उससे रेडियो और रेडार के उपयोग से रास्ता बताया जाता है। इसके अलावा (ATC) एयर ट्रैफिक कंट्रोल होता है, जो पायलट को निर्देश देता है किस दिशा में जाना हैं और कहां नहीं जाना है। (फ्लाइट अटेंडेंट्स के बैग में हमेशा होती हैं ये 5 चीज़ें)
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हालांकि, अब तकनीक आधुनिक हो गई है कई तरह से मीटर आ गए है, जिससे रास्ते का पता लगाया जा सकता है। अगर हम प्राचीन समय की बात करें तो पहले पायलट रास्ते का पता पायलट जमीन, पहाड़, मकान और रेलवे लाइन को देखकर लगाते थे, जिसमें सेंसर लगाए जाते थे।
पायलट को सही रास्ता दिखाने के लिए HSI यानी होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का उपयोग किया जाता है। बता दें कि इसके देखकर पायलट को आसानी से पता चल जाता है कि कहां जाना है। साथ ही, यह कंप्यूटर हर स्थान की स्थिति अक्षांश और देशांतर को अच्छी तरह से नापने का काम करता है।
इसलिए इसमें दुनिया के सारे एयरपोर्ट के निर्देशांक भी कंप्यूटर से भरे होते हैं और एक रेखा की तरह रास्ता दिखाने का काम करते हैं। (फ्लाइट में जाते समय कभी न करें ये 10 काम, पड़ सकते हैं भारी)
हवाई जहाज आमतौर पर 35 हजार फीट यानि 10.668 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ता है। हालांकि, यात्रा और जगह के हिसाब से जहाज की ऊंचाई बदलती रहती है जैसे कहा जाता है कि वाणिज्यिक यात्री जेट विमान 9,0000 फीट की दूरी पर उड़ता है। मगर ज्यादातर विमान 35 हजार से 40 हजार फीट की दूरी पर ही उड़ते हैं।
कहा जाता है कि पैसेंजर विमान 45 हजार फीट की दूरी पर उड़ाया जाता है। इसलिए इस विमान को उड़ाते वक्त कई बातों का ध्यान रखा जाता है, खासकर ऑक्सीजन का। ऐसा इसलिए क्योंकि इतनी ऊंचाई पर जाने के बाद सांस न आने का खतरा भी बढ़ जाता है।
जहाज को चलाने के लिए ईंधन के रूप में केरोसिन (जेट ए-1) और नैप्था- केरोसिन (जेट-बी) के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है। यह डीजल ईंधन के समान ही होता है, जिसका उपयोग टरबाइन इंजन में भी किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रति सेकेंड में लगभघ 4 लीटर ईंधन की खपत होती है। ऐसे ही 1 किलोमीटर की दूरी तय करने पर लगभग 12 से 13 लीटर ईंधन की खपत होती है।
तेज रफ्तार में उड़ता जहाज आपने यकीनन आसमान में देखा होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी कितनी रफ्तार होती है? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि आधुनिक विमान लगभग 380 से 900 किमी प्रति घंटा की क्रूजिंग गति से उड़ता है। जबकि जेट लगभग 885,935 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ता है।
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