इंडियन रेलवे को भारत की लाइफ लाइन कहा जाता है। कश्मीर से कन्याकुमारी या बंगाल से गुजरात तक, देश के कोने-कोने को जोड़ने का काम रेलवे ने किया है। इंडियन रेलवे में हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं और इन लाखों लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए हजारों ट्रेनें पटरियों पर दौड़ती हैं। लोहे की पटरियों पर दौड़ने वाली जनशताब्दी, शताब्दी, राजधानी, वंदे भारत और दूरंतो जैसी ट्रेनों के नाम आपने सुने ही होंगे। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इन ट्रेनों के नाम कैसे तय होते हैं? क्यों एक ही नाम की ट्रेनें अलग-अलग रूट्स पर दौड़ती हैं?
भारतीय रेलवे में ट्रेनों का नाम बहुत ही सोच-समझकर, उसकी गति, सुविधा और परिचालन क्षेत्र के आधार पर रखा जाता है। किसी भी ट्रेन का नाम रखने से पहले तीन कैटेगरी का ध्यान रखा जाता है। जिसमें पहली जरूरत, किसी विशेष स्टेशन या जगह से चलने या पहुंचने वाली ट्रेन, दूसरी खास लोकेशन से गुजरने वाली ट्रेन (जैसे- पार्क या मॉन्यूमेंट) और तीसरी सुविधा के अनुसार चलने वाली ट्रेन। आइए, यहां जानते हैं रेलवे किस तरह से ट्रेनों के नाम रखता है और एक ही पहचान की अलग-अलग ट्रेनें क्यों होती हैं।
इंडियन रेलवे ट्रेनों के नाम तय करते समय तीन कैटेगरी को ध्यान में रखता है, जिसमें पहली कैटेगरी किसी विशेष स्थान या स्टेशन से चलने या पहुंचने वाली ट्रेनें आती हैं। इस कैटेगरी की ट्रेनों को आप उदाहरण के साथ समझ सकते हैं। जैसे- हावड़ा से चलकर कालका पहुंचने वाली ट्रेन कालका मेल, मुंबई से चेन्नई जाने वाली ट्रेन चेन्नई एक्सप्रेस या मैसूर से चलकर जयपुर जाने वाली जयपुर एक्सप्रेस।
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जब किसी पहाड़, नदी, स्मारक या स्थल के नाम पर किसी ट्रेन को पहचान दी जाती है, तो उसे इस कैटेगरी में रखा जाता है। जैसे- रणथंभौर एक्सप्रेस, महाकाल एक्सप्रेस, काशी एक्सप्रेस, ईस्ट कोस्ट एक्सप्रेस, मालाबार एक्सप्रेस, कॉर्बेट पार्क एक्सप्रेस, काजीरंगा एक्सप्रेस, चारमीनार एक्सप्रेस और ताज एक्सप्रेस।
इस कैटेगरी में इंडियन रेलवे ट्रेनों को सुविधा के अनुसार नाम देता है। भारतीय रेलवे ने सुविधा के अनुसार कई ट्रेने चलाई हैं, जिसमें राजधानी, गरीब रथ, दूरंतो, संपर्क क्रांति, जनशताब्दी एक्सप्रेस आदि शामिल हैं। आइए, यहां जानते हैं कि राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों के नाम कैसे पड़े हैं।
देश के अलग-अलग राज्यों की राजधानियों को जोड़ने वाली ट्रेनों को राजधानी एक्सप्रेस कहा जाता है। बता दें, देशभर के राज्य की राजधानियों से नई दिल्ली दिनभर में कई राजधानी एक्सप्रेस आती और जाती हैं।
यह ट्रेन देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 100वें जन्मदिवस की वर्षगांठ पर चलाई गई थी। यही वजह है कि इसे शताब्दी एक्सप्रेस नाम दिया गया। इस ट्रेन की स्पीड और सुविधाएं लगभग राजधानी एक्सप्रेस की तरह ही है।
दूरंतो शब्द का अर्थ बंगाली में निर्बाध यानी बिना किसी रुकावट के होता है। यही वजह है कि इस ट्रेन के रूट्स में कम से कम स्टॉपेज होते हैं और इसका नाम दूरंतो एक्सप्रेस पड़ा।
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जैसा की इस ट्रेन के नाम से साफ है कि इसका मकसद संपर्क बनाना है। संपर्क क्रांति एक्सप्रेस बड़े शहरों से छोटे शहरों को जोड़ने का काम भी करती है। जैसे बिहार संपर्क क्रांति, राजस्थान संपर्कक्रांति।
ऐसे तो यह एक फुली एसी और डीलक्स ट्रेन है। लेकिन, इसकी टिकट अन्य डीलक्स ट्रेनों के मुकाबले कम रखी गई है। जिससे आम लोग भी इसे अफोर्ड कर सकें।
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Image Credit: Herzindagi
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