आज के दौर में लगभग सभी के पास कम से कम एक बैंक अकाउंट तो उपलब्ध है। बैंक अकाउंट हमारे लिए बहुत जरूरी होते हैं क्योंकि हमारा पैसा वहां सुरक्षित रहता है। हम अपना पैसा जमा करते हैं और बैंक उसे इंटरेस्ट के साथ वापस दे देते हैं। इसका मतलब है कि जितना पैसा हमने दिया होता है उससे ज्यादा ही हमें मिलता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचने की कोशिश की है कि जब बैंक्स हमें ज्यादा पैसा देते हैं तो वो आखिर कमाते कैसे हैं? इसी के साथ, बैंक कर्मचारियों के वेतन से लेकर उनकी सुविधाओं तक वो कैसे मुहैया कराते हैं?
अब आप कहेंगे कि बैंक लोगों को लोन देकर उसके इंटरेस्ट के पैसे से अपना प्रॉफिट कमाते हैं, लेकिन क्या ये काफी है? शायद आपको इस बात का अंदाज़ा न हो, लेकिन बैंकों की कमाई के कई अन्य रास्ते भी होते हैं। तो चलिए आज आपको बैंकों के प्रोसेस के बारे में कुछ जानकारी देते हैं।
आपके बैंक की तरफ से आपके पास कितने एसएमएस आते हैं? क्या आपको पता है कि इन एसएमएस के लिए भी बैंक क्वाटर्ली अपने कस्टमर्स को चार्ज करता है। RBI की गाइडलाइन कहती है कि बैंकों को ये सर्विस फ्री देनी चाहिए, लेकिन कई बैंक्स ऐसे हैं जो 5 पैसे प्रति एसएमएस के हिसाब से 25 रुपए महीने तक (जीएसटी अलग से) कस्टमर्स के बैंक अकाउंट से लेते हैं। Axis बैंक का एसएमएस चार्ज भी इतना ही है।
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NEFT, RTGS, IMPS जैसी सेवाओं के लिए अलग-अलग ट्रांजैक्शन लिमिट सेट की गई है। एक बार पैसे ट्रांसफर करने में IMPS में 5 से लेकर 50 रुपए तक लग सकते हैं। ये सिर्फ एक ट्रांजैक्शन की फीस होगी यानी अगर आप महीने में 5 ट्रांजैक्शन भी करते हैं तो 250 प्लस जीएसटी चार्ज लग सकते हैं। ऐसे ही RTGS, NEFT में भी चार्ज लगाए जाते हैं। 10000 से कम कीमत वाले ट्रांजैक्शन के लिए NEFT चार्ट 25 पैसे ही लगता है।
ये तो आपको पता ही होगा कि अगर आप नॉन-बैंक एटीएम से 3 बार से अधिक पैसे निकालते हैं तो बैंक उसके लिए भी अलग चार्ज लगाता है, बैंक आपसे प्रति ट्रांजैक्शन 25 रुपए (जीएसटी अलग) वसूल सकता है। इतना ही नहीं कार्ड का मेंटेनेंस चार्ज भी लगता है जिसमें साल में एक बार आपके खाते से 100-500 रुपए तक की रकम काटी जाती है। अगर आपको किसी भी तरह का नया कार्ड बनवाना है तो उसके लिए भी पैसे चुकाने पड़ते हैं।
ये आजकल सबसे ज्यादा प्रचलन में है और बैंकों द्वारा ई-कॉमर्स चार्जेस लिए जाते हैं। 20 रुपए से लेकर 100 रुपए तक प्रति ट्रांजैक्शन ये चार्ज लिए जाते हैं। ये सिर्फ ई-कॉमर्स वेबसाइट्स तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई सर्विसेज जैसे IRCTC से टिकट बुक करवाने, पेमेंट एप्स इस्तेमाल करने, यूपीआई पेमेंट आदि के दौरान भी बैंक चार्ज वसूलते हैं।
अब आपको लग रहा होगा कि एटीएम से पैसा निकालने का चार्ज और पैसे ट्रांसफर करने और ई-कॉमर्स का चार्ज तो बैंक लेते ही हैं उसके साथ अन्य कौन सा ट्रांजैक्शन चार्ज है तो मैं आपको बता दूं कि ये कार्ड स्वाइप करने का चार्ज भी है।
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यहां नेट बैंकिंग के पिन को रीसेट करने की बात नहीं हो रही है बल्कि यहां डेबिट या क्रेडिट कार्ड पिन रीसेट की बात हो रही है। कई प्राइवेट बैंक्स जैसे HDFC अपने पिन रीसेट करने के लिए ग्राहकों पर एडिशनल चार्ज लगाते हैं। ऐसे ही अगर किसी कार्डधारक को अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड पूरी तरह से बंद करवाना है तो उसका भी अलग से चार्ज लगता है।
अब वो कमाई जो शायद सबसे ज्यादा प्रॉफिट दे सकती है। बैंक कस्टमर्स द्वारा जमा किया हुआ पैसा अन्य कस्टमर्स को लोन के रूप में दे देते हैं। इसके अलावा, डिपॉजिट का कुछ पैसा बैंक्स मार्केट में शेयर्स और फंड्स पर भी लगाते हैं, बैंक्स सिर्फ कस्टमर्स को ही नहीं बल्कि कई बिजनेस और फर्म्स को भी लोन देते हैं जिनकी रकम बहुत ज्यादा होती है। इसपर बैंक्स को इंटरेस्ट भी बहुत ज्यादा मिलता है।
आपको लग रहा होगा कि एक कस्टमर से 25-30 रुपए वसूल कर बैंक्स का काम कैसे चलता होगा, लेकिन प्रतिदिन ऐसे करोड़ों ट्रांजैक्शन्स के एवज में बैंकों को करोड़ों रुपए मिलते हैं और यही कारण है कि बैंक्स को प्रॉफिट होता है। अब आप समझ ही गए होंगे कि बैंक्स अपना खर्च कैसे निकालते हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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