अगर बात आजाद भारत की करें तो 1947 से लेकर अब तक बहुत कुछ ऐसा रहा है जो बदल गया है। पायदान दर पायदान भारत ने तरक्की तो कर ली है और साथ ही साथ हमारे देश ने एक विकसित देश होने की ओर कदम बढ़ा लिया है। हालांकि, भारत की जनसंख्या अब दुनिया में सबसे ज्यादा हो गई है और इसके कारण कहीं ना कहीं हमें पीछे हटना पड़ रहा है। यूनियन बजट में इस बढ़ी हुई जनसंख्या का ख्याल भी रखा जाता है। 1 फरवरी को एक बार फिर से निर्मला सीतारमन यूनियन बजट पेश करेंगी।
इस बार के बजट से हमें कई तरह की उम्मीदें हैं जैसे ये बजट महिला प्रधान हो सकता है, नौकरीपेशा कर्मचारियों के लिए ये बजट अच्छा हो सकता है आदि, लेकिन क्या आपको पता है कि सबसे पहला बजट कब पेश किया गया था? तब से लेकर अब तक इसमें कितने बदलाव आए हैं? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं भारतीय यूनियन बजट के इतिहास के बारे में।
आजाद भारत का सबसे पहला बजट पेश किया था फाइनेंस मिनिस्टर आरके षणमुखम चेट्टी ने। ये बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसके पहले भारत के बजट को हमेशा ब्रिटिश अधिकारी ही पेश करते थे। इस दौरान 171.15 करोड़ रेवेन्यू था और फिस्कल डेफिसिट 24.56 करोड़ थी और कुल खर्च 197.29 करोड़ था। इस साल डिफेंस का खर्च 92.74 करोड़ था।
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भारत सरकार ने 2016 सितंबर में आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश करने की मंजूरी दी थी। इसके अगले ही बजट यानी 1 फरवरी 2017 को संसद में इसे अरुण जेटली ने संयुक्त बजट के तौर पर पेश किया था। इसके पहले अंग्रेजों के जमाने से ही रेल बजट को अलग पेश किया जाता था और ये प्रथा 92 साल पुरानी थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम सबसे लंबी बजट स्पीच देने का रिकॉर्ड है। निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को 2 घंटे, 42 मिनट की स्पीच पेश की थी। हालांकि, आपको जानकर अचंभा होगा कि इस स्पीच के भी 2 पेज बच गए थे क्योंकि उनकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी।
हमेशा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मौन प्रधानमंत्री माना जाता रहा है, लेकिन उनकी इकोनॉमिक्स का तो जवाब नहीं। उन्होंने 1991 में 18650 शब्दों की बजट स्पीच पेश की थी। उनसे लंबी स्पीच और किसी ने नहीं दी। हां, उन्होंने इस स्पीच को देने में समय कम लगाया था।
सबसे छोटा बजट सिर्फ 800 शब्दों का था जिसे 1977 में तत्कालीन वित्त मंत्री हीरूभाई मूलजीभाई पटेल ने दिया था। इससे छोटी बजट स्पीच कभी नहीं दी गई।
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1999 तक यूनियन बजट अंग्रेजों के सेट किए टाइम के हिसाब से ही पेश किया जाता था। यानी फरवरी के आखिरी दिन शाम 5 बजे। पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने 1999 में इसका समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। इसके बाद 2017 में अरुण जेटली ने इसे लास्ट वर्किंग डे की जगह फरवरी के पहले वर्किंग डे को चुना। इसके बाद से ही बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है।
भारतीय यूनियन बजट के बारे में ये दिलचस्प फैक्ट्स क्या पता थे आपको? इस बजट को लेकर आपकी क्या उम्मीदें हैं ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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