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क्यों हिन्दू धर्म के वेदों को रचा गया था दो बार, जानें ये दिलचस्प कथा

आज हम आपको वेदों के दो बार रचे जाने की रोचक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।     
Editorial
Updated:- 2022-12-19, 11:41 IST

Vedas: वेदों को सनातन धर्म का आधार और भारतीय सभ्यता का पावन साहित्य माना जाता है। हिन्दु धर्म की सबसे प्राचीन आधारशिला वेद ही हैं। माना जाता है कि हिन्दू धर्म में जितने भी ग्रंथ हैं, पुराण हैं, शास्त्र हैं, ज्योतिष, वास्तु और आयुर्वेद का ज्ञान है सब कुछ वेदों से ही उत्पन्न हुआ है।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि जब भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के बारे में सोचा तब उन्होंने सबसे पहले ब्रह्म देव को अपनी नाभि से प्रकट किया और उन्हें ब्रह्मांड की उत्पति और सृजन का कार्य सौंप दिया।

  • ब्रह्म देव में अहम के कारण ज्ञान की कमी थी। इसी कारण से उन्होंने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और वरदान स्वरूप उनसे ज्ञान प्राप्त किया। जब एक बार देवर्षि नारद (नारद जी ने क्यों दिया था नारायण को श्राप) जो ब्रह्मा जी के पुत्र भी हैं उनसे इसी ज्ञान का सार जानने ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तब ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम देवर्षि नारद को ज्ञान श्रवण कराया।

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  • ब्रह्मा जी के मुख से निकल रहे शब्द अपने आप हवा में एक किताब पर लिखे लेख की तरह अंकित होते चले गए और स्वतः ही वेदों का निर्माण हो गया। माना जाता है कि वेदों को सबसे पहले ब्रह्म देव ने रचा था जिसके बाद ब्रह्म देव से वेदों का ज्ञान सप्त ऋषियों (कौन हैं सप्तऋषि) को प्राप्त हुआ और उनसे अन्य ऋषिगणों को।

hindu vedas

  • समय-समय पर वेदों को कई ऋषियों द्वारा लिखे जाने का प्रयास होने लगा लेकिन ब्रह्म देव ने जिस ज्ञान को वेदों में अंकित किया था वह क्लिष्ट संस्कृत में था इसी कारण से कोई भी वेदों को लिखने में असमर्थ था।

story of hindu vedas

  • बाद में द्वापर युग के अंत के दौरान महऋषि वेदव्यास ने सभी वेदों और पुराणों को लिखने की ठानी और वेदों के विस्तारित स्वरूप को संक्षिप्त रूप में बदल दिया और वेदों को चार भाग में बांट दिया जिनका नाम पड़ा- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। यानी कि वेदों की भाषा को आम मनुष्यों द्वारा समझा जा सके इतना सरल बना दिया।

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  • जब महर्षि वेदव्यास ने वेदों को सरल रूप देकर मनुष्य तक पहुंचाया तब लगभग 6000 B।C का समय था। मगर शोध कर्ताओं ने इस समय को वेदों की आयु घोषित कर दिया जबकि असल वेदों का निर्माण तो सृष्टि की रचना से भी पहले ही हो गया था।

तो इस तरह वेदों को दो बार रचा गया, एक ब्रह्म देव द्वारा और दूसरी बार महर्षि वेदव्यास द्वारा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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