हिंदू नव वर्ष 2 अप्रैल 2022 से प्रारंभ हो रहे हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का भी शुभारंभ हो रहा है। गुड़ी पड़वा भी इसी दिन मनाया जाता है। हिंदू नव वर्ष को विक्रम नवसंवत्सर 2079 भी कहते हैं। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के मुताबिक, परमपिता ब्रह्मा जी ने पृथ्वी का निर्माण चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी कि नवरात्रि के पहले दिन किया था। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के पहले दिन यानी कि नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से ही हिंदू नव वर्ष लग जाते हैं। हिंदू नव वर्ष की शुरुआत अखंड भारत के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य (विक्रम सेन परमार) के नाम पर हुई। विक्रमादित्य अपनी प्रजा के लिए बेहद न्यायप्रिय शासक था और वह अपनी प्रजा के हितों की रक्षा भी करता था।
विक्रमादित्य के जन्म से पहले उज्जैन पर अत्याचारी शकों का शासन था। लेकिन शूरवीर विक्रमादित्य ने 57 BCE में शकों को हरा कर जीत के उपलक्ष्य में नए काल सत्र का निर्माण किया, इसे ही हिंदू पंचांग में विक्रम संवत या हिंदू नव वर्ष कहा जाता है।
विक्रमादित्य की पौराणिक कथा
बेताल पच्चीसी और सिंहासन-द्वात्रिंशिका में भी कहानियों के रूप में राजा विक्रमादित्य का जिक्र मिलता है। राजा विक्रम बेताल को बंदी बनाता है और बेताल राजा को भ्रम में डालने वाली कही कहानियां सुनाता है। हर कहानी के अंत में बेताल राजा से कुछ सवाल पूछता है। लेकिन राजा को हर बार स्थिति को चुप रहकर टालना होता है। क्योंकि अगर राजा बेताल की बातों का जवाब देता तो बेताल उसकी कैद से मुक्त हो जाता।
हिंदू नव वर्ष कैसे शुरू हुआ?
पंडित रामनारायण मिश्रा जी के अनुसार, हिंदू नव वर्ष यानी कि विक्रम संवत का आरंभ 57 ई. पू. में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नाम पर हुआ था। सम्राट विक्रमादित्य अखंड भारत के चक्रवर्ती राजा थे। राजा गंधर्वसेन के सबसे छोटे पुत्र विक्रमादित्य थे। सम्राट विक्रमादित्य का जन्म 101 BCE में भारत के प्राचीन नगर अवंतिका( वर्तमान उज्जैन), मध्य प्रदेश में हुआ था।
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हिंदू नव वर्ष का महत्व
पौराणिक मान्यता है कि पतझड़ के बाद बसंत ऋतु का आगमन भारतीय नव वर्ष के साथ ही होता है। बसंत में पेड़-पौधे नए फूल और पत्तियों से लद जाते हैं। इसी समय किसानों के खेतों में फसल पक कर तैयार होती है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार, इसी शुभ दिन प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक भी हुआ था।
बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों में नया साल अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से होता है जोकि अमूमन मार्च या अप्रैल में पड़ती है। वहीं पंजाब में बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी इस साल 14 अप्रैल को पड़ रही है। सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार, होला मोहल्ला से नए साल की शुरुआत मानी जाती है।
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बंगाली या तेलगु नव वर्ष भी मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्र प्रदेश में इसे उगादी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। उगादी चैत्र महीने का पहला दिन होता है। तमिलनाडु और केरल में नए साल को विशु कहा जाता है।
मारवाड़ी लोग नया साल दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ मनाते हैं। बंगाल में नए साल को पोइला बैशाख कहते हैं। महाराष्ट्र में हिंदू नव वर्ष के प्रारंभ के साथ ही गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परमपिता भगवान ब्रह्मा ने गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्मांड की रचना की थी।
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