हिन्दू मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि का विशेष महत्त्व है और इस दिन मुख्य रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में इस दिन का विशेष महत्त्व है। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन से धरती में हरियाली की शुरुआत होती है और पूरा वातावरण बसंत के मनोरम रंग में सराबोर हो जाता है।
इस दिन मुख्य रूप से पीले वस्त्र पहने जाते हैं और पीले फूल सरस्वती माता को अर्पित करके उनका पूजन किया जाता है। भोजन में भी पीले व्यंजन बनाने का विधान है। कहा जाता है कि श्रद्धा भाव से सरस्वती माता का पूजन करने से उनकी कृपा दृष्टि पूरे साल बनी रहती है।
प्रख्यात ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी के अनुसार बसंत पंचमी बसंत के आगमन का पर्व है इस समय ऋतु परिवर्तन होता है, ग्रह स्थितियों के अनुसार इस समय भगवती सरस्वती का पूजन व्यक्ति की बुद्धि में ज्ञान में प्रखरता लाता है। इसी कारण इस दिन को अबूझ मुहूर्त की संज्ञा भी दी गई है। अर्थात इस दिन सारे ही कार्यों के लिए उपयुक्त मुहूर्त की स्थिति बनती है। इस समय सारे ही ग्रह अपनी सौम्यता को बिखेरते हैं और प्रकृति भी अपनी सुंदरता को लुटाती है। इसलिए इस दिन कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए।
मांस मदिरा का सेवन
मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मांस मदिरा का सेवन करने से पूरी तरह बचना चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि की देवी सरस्वती रुष्ट हो जाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन मांस मदिरा की जगह शुद्ध भाव से सात्विक भोजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
काले वस्त्र न पहनें
कहा जाता है कि पीला रंग माता सरस्वती को विशेष रूप से पसंद है। इसलिए इस दिन पीले वस्त्र धारण करना अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि काले वस्त्र इस दिन नहीं पहनने चाहिए। विशेष रूप से सरस्वती के पूजन के समय भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें।
पेड़ पौधों की कटाई न करें
कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन से खेतों में नयी फसल की शुरुआत होती है और खेत खलिहान लहलहाने लगते हैं। इसलिए इस दिन पेड़ पौधों की कटाई करने से पूरी तरह बचना चाहिए। ऐसा करने से सरस्वती माता रुष्ट हो सकती हैं जिसका असर हमारी दैनिक गतिविधियों पर भी पड़ता है।
लहसुन प्याज का सेवन
बसंत पंचमी के दिन लहसुन प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए। पीले रंग के सात्विक व्यंजन बनाने चाहिए और मां सरस्वती को भोग अर्पित करना चाहिए। यदि आप भोजन में नियमित रूप से लहसुन प्याज खाते हैं तब भी इस दिन इसके सेवन से बचें।
इसे जरूर पढ़ें:Basant Panchami 2021: जानें कब है बसंत पंचमी का त्योहार, क्या है इस दिन सरस्वती पूजन का महत्त्व
बड़ों का निरादर न करें
कहा जाता है कि इस दिन बड़ों का निरादर करने से सरस्वती माता भी रुष्ट हो जाती हैं। इस दिन बड़ों का मुख्य रूप से सम्मान करें और लड़ाई झगड़े से बचें। किसी पर गुस्सा भी न करें।
करें माता सरस्वती का पूजन
धार्मिक मान्यता के मुताबिक इसी दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, इसीलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना की जाती है। इस दिन शादी, गृह प्रवेश जैसे मंगल कार्य करना बेहद शुभ माना जाता है और किसी भी काम में सफलता भी मिलती है।
कैसे करें माता का पूजन
- बसंत पंचमी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करने के बाद माता का पूजन करें।
- पीले वस्त्र धारण करें और पीले फूल अर्पित करें।
- माता सरस्वती को पीले रंग की सामग्री भोग में अर्पित करें।
- सरस्वती की माता के सामने किताब और कलम रखकर पूजन करें।
- माता की आरती पूरे परिवार के साथ मिलकर करें।
- बसंत पंचमी के दिन नहीं करें ये गलतियां
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik
Recommended Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों